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दृश्यम् | |
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निर्देशक | निशिकांत कामत |
निर्माता | कुमार मंगत पाठक, अजित अंधारे, अभिषेक पाठक |
अभिनेता | अजय देवगन, मृणाल जाधव |
प्रदर्शन तिथियाँ |
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देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
दृश्यम् वर्ष 2015 की निर्देशक निशिकांत कामत की थ्रिलर-ड्रामा आधारित हिन्दी भाषा की भारतीय फिल्म है। फिल्म की मुख्य भूमिकाओं में अजय देवगन, श्रिया सरन एवं तब्बू सम्मिलित हैं और निर्माता की भागीदारी में कुमार मंगत पाठक, अजीत आंध्रे और अभिषेक पाठक सम्मिलित है। यह 2013 की मूल लेखक जीतु जोसेफ की मलयालम संस्करण फिल्म 'दृश्यम' की आधिकारिक हिन्दी रूपांतरण हैं। हिन्दी संस्करण की दृश्यम 31 जुलाई 2015 को प्रदर्शित की गई।
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विजय सलगांवकर (अजय देवगन) का परिचय अनाथ और चौथी कक्षा फेल के रूप में किया जाता हैं। पर अपनी मेहनत और ईमानदारी से वह एक सफल व्यवसायी के रूप में गोवा में वह मिराज केबल नाम से केबल टीवी की सुविधा मुहैया कराता है। पारिवारिक सदस्यों में उसकी पत्नी नंदिनी (श्रिया सरन) और दो बेटियाँ हैं, जिनमें बड़ी अंजू (ईशिता दत्ता) गोद ली हुई है जो बारहवीं कक्षा में अध्ययनरत हैं और उनकी छोटी अनु छठी कक्षा में है। अपने परिवार से लगाव के अतिरिक्त उसे फिल्में देखने का भी शौक है, जिसका अधिकतर समय अपने छोटे से ऑफिस में लगे टीवी देखते हुए व्यतीत करता है।
स्कूल के सौजन्य पर नेचर कैंप के दौरान बाथरूम में छिपाए सेलफोन के जरिए अंजू को नहाते हुए तस्वीरें ली जाती हैं। जोकि आरोपी सैम उर्फ समीर की हरकत हैं जो स्वयं गोवा पुलिस की प्रमुख इंस्पेक्टर मीरा देशमुख (तब्बू) का बेटा है। सैम अवकाश के दिन विजय की गैरहाजिरी में अंजु को सहवास के लिए ब्लैकमेल करता है। नंदिनी बीच-बचाव करते हुए उसके परिवार को छोड़ने की याचना करती हैं। लेकिन सैम की नीयत नंदिनी को देख बिगड़ जाती है और अंजु के बदले नंदिनी को उसके साथ सोने की जिद करता है। अचानक अंजू सैम के हाथों उसके मोबाइल छीनने के अंजाने प्रयास में एक जोरदार वार उसके सिर पर मार देती हैं जिससे सैम की तत्काल मौत होती है। भयभीत अनु दोनों को खादवाले खड्डे में शव छिपाते देख लेती हैं।
अगली सुबह, नंदिनी बीती रात का सारा वाकया विजय को बताती है और तब विजय अपने परिवार को पुलिस से किसी तरह बचाने की युक्ति लगाता है। जिसमें टुटे फोन के सिम और सैम की कार छिपाना शामिल था, लेकिन इस प्रयास में सह-इंस्पेक्टर लक्ष्मीकांत गायतोण्डे (कमलेश) उसे देख लेता है जो विजय से बैरभाव रखता है।
विजय पणजीम के सफर में सैम के मोबाइल सिम और कार को ठिकाने लगाकर अगले दिन फिर अपने परिवार संग पणजीम में फिल्म देखने और रेस्तराँ में खाने घूमने जाता है। वहीं पुलिस द्वारा सैम की गुमशुदा कार मिलने पर मीरा मामले की जांच शुरू करती। मीरा प्रारंभिक जांच के पहले विजय और उसके परिवार से घटना के दिन संबंधित सवाल करती है। विजय को आभास था कि पुलिस उससे और परिवार से मौका ए वारदात के मामले की छानबीन करेगी। पर जब वही सवाल प्रत्येक सदस्यों से एकांत में पुछा जाता है तो सभी एक जैसे ही बयान देते हैं, और अपनी बात साबित करने के लिए वो रेस्तराँ की रसीद, फिल्म टिकट और बस टिकट भी दिखाते हैं जिनसे मालूम होता कि अपराधस्थल में उपस्थित नहीं थे। मीरा सभी सबूतों एवं गवाहों से संबंधित विजय की मौजुदगी पर पुछताछ करती है। मीरा समझ जाती है कि विजय ने जरूर घटना के रोज सभी टिकट और रसीद का इंतजाम करने साथ उससे जुड़े हरेक मालिक से खुद को परिचित कराया होगा फिर दुबारा अगले दिन परिवार सभी परिचित जगहों पर घुमने निकलती हैं जिससे ये प्रमाण किया जाए कि वे घटना के रोज हाजिर नहीं थे और बाकी सभी मालिकों को जाने-अंजाने अपने रचे झूठ में सच ठहराते है।
मीरा बलपूर्वक विजय और उसके परिवार को हिरासत में लेती है और गायतोण्डे के सहारे निर्ममता से सच्चाई उगलवाने की कोशिश करती है। आखिरकार, अन्नू मार के डर से शव छिपाये जाने के स्थान का पता बताती है। फिर उसी खादवाले गड्ढे की खुदाई में उन्हें क्षतविक्षत बछिए का शव मिलता हैं, जो विजय द्वारा असल शव हटाने की ओर इंगित करता है। विजय ऐन वक्त में मिडिया के समक्ष गायतोण्डे के विरुद्ध शिकायत दर्ज करता है और आक्रोशित भीड़ द्वारा गायतोण्डे की पिटाई कराता है। नतीजतन सह-इंस्पेक्टर गायतोण्डे के निलंबित होने बाद मीरा पुलिस पद से इस्तीफा देती है। जब नंदिनी शव छुपाने की घटना विजय से पुछती हैं तो वह उसके लिए बेमतलब बताकर इंकार करता है और शव के बारे में अंजान बने रहने में स्वयं की बेहतरी समझाता है।
वहीं दूर एकांत में विजय को बुलाकर मीरा व महेश अपने कठोर और बर्बर व्यवहार के लिए खेद जताते है लेकिन विजय स्वयं अफसोस जताकर अप्रत्यक्ष रूप से उस 'गैर आमंत्रित मेहमान' के अज्ञात हादसे के बारे में बताता है। विजय इन्हीं यादों के बाद नवनिर्मित स्थानीय पुलिस थाने में हाजिरी चढ़ाने पहुँचता है। वहीं नया थाना प्रभारी विजय को धमकी भरे लहजे में शव ढुंढ़ निकालने की चुनौती देता है। ज्यों ही विजय हस्ताक्षर कर मुड़ता है तो उसके पृष्ठभूमि में बीते दिनों की झलक पाते हैं जब उसी अर्धनिर्मित थाना प्रभारी के कमरे की जमीन में सैम के शव को गाड़कर विजय रुख़सत होता है।
इस पूरी फिल्म को देखने के बाद लेखक और निर्माता निर्देशक के गहन सोच और सिनेमा की गहराई तथा उत्तम अभिनय का साक्षात्कार करेगें ।
इसके मुख्य किरदार के लिए अक्टूबर 2014 में सैफ अली खान को लेने का निर्णय लिया गया जिसका मलयालम भाषा में बनी फ़िल्म में मोहनलाल ने निभाई थी। बाद में यह किरदार अजय देवगन को दे दिया गया।