देबश्री राय | |
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[[Image:|225px]] देबश्री रॉय | |
जन्म |
८ अगस्त १९६५ (आयु ५२) कोलकाता, पश्चिम बंगाल, भारत |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
कार्यकाल | १९७९ — बर्तमान |
माता-पिता |
वीरेन्द्रकिशोर राय आरती राय |
देबश्री राय एक भारतीय अभिनेत्री, नर्तक, कोरियोग्राफर, राजनेता और पशु अधिकार कार्यकर्ता हैं।[1] एक अभिनेत्री के रूप में, उन्होंने हिंदी और बंगाली सिनेमा में अभिनय किया है। उन्हें बंगाली वाणिज्यिक सिनेमा की शाही रानी के रूप में उद्धृत किया गया है। उन्होंने सौ से अधिक फिल्मों में अभिनय किया और ४० से भी अधिक पुरस्कार जीते, जिसमें राष्ट्रीय पुरस्कार , तीन बीएफजेए पुरस्कार, पांच कलाकार पुरस्कार और आनंदलोक पुरस्कार शामिल हैं। उन्होए कुछ तमिल फिल्मो में भी अभिनय किया है। एक नर्तक के रूप में, वह भारतीय लोक नृत्य के विभिन्न रूपों के अपने मंच अनुकूलन के लिए जानी जाती है। वह नटराज नृत्य मंडल के निर्माता, कोरियोग्राफर और प्रेरक भी हैं। वह देबासरी रॉय फाउंडेशन की संस्थापक हैं, जो एक गैर-लाभकारी संगठन जो भटक गए जानवरों के लिए काम करता है।[2][3] रॉय रायदीघी निर्वाचन क्षेत्र से विधान सभा की सदस्य है २०११ से। जब वह १२ साल की थी तब उन्होंने पहेली बार अभिनय किया और फेर कई फिल्मो में कम किया जैसे की तरुण मजूमदार की बंगाली फिल्म कुहेली (१९७१) में।
उनकी पहली फिल्म अरबिंदा मुखोपाध्याय की बंगाली फिल्म नदी थेके सागर (१९७८) थी। उन्होंने हिंदी फिल्मो की शुरवात कनक मिश्रा की जियो तो ऐस जियो (१९८१)। फिर और भी हिंदी फिल्मे की जैसे की बुरा आदमी (१९८२), जस्टिस चौधरी (१९८३), फूलवारी (१९८४), कभी अजनबी थे (१९८५) और सीपीयान (१९८६)। गौतम मुखर्जी की प्रेम त्रिकोण फिल्म ट्रॉय (१९८२) में मिथुन चक्रवर्ती के विपरीत अभिनय के बाद वह काफी प्रसिद्ध हुई।
रॉय का जन्म कोलकाता, पश्चिम बंगाल में बिरेंद्र किशोर रॉय और आरती रॉय के घर हुआ। वह छह भाई बहनों में सबसे छोटी है। उन्होंने हिरणमोय सेन के पगोल ठाकुर में एक बाल कलाकार के रूप में अपने सफ़र की शुरुआत की और वह फिर से हिरणमोय सेन के बालक गडधर (१९६९) में एक बाल कलाकार के रूप में दिखाई दीं। उनका पहला रंममंच प्रदर्शन तब हुआ जब वह मुश्किल से तीन साल की थीं। १९७१ में, ९ साल की उम्र में, वह तरुण मजूमदार के बंगाली फिल्म कुहेली में रणू के किरदार को चित्रित करने के बाद काफी प्रसिद्ध हुई।
रॉय टेलीविजन में करियर विकसित करने में रुचि रखती थी क्योंकि उन्हें हमेशा टेलीविज़न में लेखक समर्थित भूमिकाएं दी जाती थीं। उन्होंने सौमित्र चटर्जी अभिनीत बंगाली टीवी श्रृंखला देना पाओना में अपनी टेलीविजन कैरियर की शुरवात की। १९८८ में, वह बी आर चोपरा के महाभारत में सत्यवती के रूप में दिखाई दीं।
देबश्री, वर्तमान में अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस के विधान सभा के सदस्य हैं।
रॉय "देबश्री रॉय फाउंडेशन" की संस्थापक हैं, जो एक गैर-लाभकारी संगठन जो भटक गए जानवरों के लिए काम करता है। इस संगठन का उद्देश्य मानव जाति और जानवरों के बीच एक अच्छा रिश्ता स्थापित करना है।
सन | चित्र | परिचालक |
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१९७८ | घटा | कूलदीप पांडे |
१९८१ | जियो तो एसे जियो | |
१९८२ | बुरा आदमी | |
१९८३ | जस्टिस चौधरी | |
१९८४ | फूलवारी | |
सीपीया | ||
१९८५ | कभी अजनबी थे | |
१९८९ | प्यार का सावन | |
१९९४ | चुभन | राजदीप |
१९९७ | कालसंध्या | |
१९९८ | स्वामी विवेकानन्द | |
२००१ | डटार्स अब दिस सेन्चुरि | तपन सिन्हा |
२००२ | हिन्दुस्तानी सिपाही |