द्रव अवस्था वाले नाइट्रोजन को द्रव नाइट्रोजन (Liquid nitrogen या LN2) कहते हैं। इसका तापमान 77 °K (−196 °C) से से भी कम होता है। औद्योगिक उपयोग के लिये यह द्रवित वायु के प्रभाजी आसवन के द्वारा प्राप्त की जाती है। द्रव नाइट्रोजन को आसानी से ठोस रूप में बदला जा सकता है।
वायुमंडलीय दाब पर द्रव नाइट्रोजन 77 °K (−196 °C; −321 °F) पर गैस बन जाती है। इस ताप पर इसका घनत्व 0.807 ग्राम प्रति मिलीलीटर होता है। यह रंगहीन द्रव है। द्रव नाइट्रोजन को एक विशेष रूप से डिजाइन टंकी में रखा जाता है।
द्रव नाइट्रोजन को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना आसान होता है क्योंकि इसे दाबित करने की आवश्यकता नहीं होती। इसके अलावा, जल के हिमांक बिन्दु से बहुत कम ताप होने के कारण यह अनेकानेक कार्यों के लिए अत्यन्त उपयोगी है। इसके प्रमुख उपयोग निम्नलिखित हैं-
बनाने की विधि :- 1 नाइट्रोजन बनाने की प्रयोगशाला विधि एक गोल पेंदे के फ्लास्क में अमोनियम क्लोराइड (NH4Cl) और सोडियम नाइट्राइट (NaNO2) मिलाकर हल्का गर्म करते है, जिससे अमोनियम नाइट्राइट (NH4NO2) बनता है, जो अपघटित होकर N₂ गैस बनाता है। नाइट्रोजन गैस निकास नली द्वारा गैस जार में पानी के ऊपर एकत्रित होती है।
2 रासायनिक समीकरण
NH4Cl + NaNO₂→ NH4NO2 + NaCl
3. गुण - (i) यह एक रंगहीन, गंधहीन गैस है
(ii) जल में बहुत कम विलेय है। अधिक दाब पर यह रक्त में विलेय है।
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