धन-शोधन निवारण अधिनियम, 2002

धन-शोधन निवारण अधिनियम, 2002
यह अधिनियम धन-शोधन की रोकथाम के लिए है और अवैध रूप से कमाई गयी सम्पत्ति (धन) को ज़ब्त करने का अधिकार देता है, जो धन-शोधन या इससे जुड़ी गतिविधियों से अर्जित की गयी हो।
शीर्षक Act No.15 of 2003
द्वारा अधिनियमित भारतीय संसद
अधिनियमित करने की तिथि 17 जनवरी 2003
अनुमति-तिथि 17 जनवरी 2003
शुरूआत-तिथि 1 जुलाई 2005
संशोधन
The Prevention of Money Laundering (Amendment) Act, 2005, The Prevention of Money Laundering (Amendment) Act, 2009
स्थिति : अज्ञात

धन-शोधन निवारण अधिनियम, २००२ भारत के संसद द्वारा पारित एक अधिनियम है जिसका उद्देश्य काले धन को सफेद करने से रोकना है। इसमें धन-शोधन से प्राप्त धन को राज्यसात (ज़ब्त) करने का प्रावधान है।[1][2] यह अधिनियम 1 जुलाई, 2005 से प्रभावी हुआ। यह कानून गैर जमानती है इसके तहत दोषी को जमानत नहीं दी जा सकती है

अभी तक इस अधिनियम में वर्ष 2005, 2009 और 2012 में संशोधन किए गये हैं।[3]

सन्दर्भ

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  1. "संग्रहीत प्रति". मूल से 8 अक्तूबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 1 फ़रवरी 2017.
  2. "संग्रहीत प्रति". मूल से 12 जून 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 1 फ़रवरी 2017.
  3. "संग्रहीत प्रति" (PDF). मूल से 13 दिसंबर 2016 को पुरालेखित (PDF). अभिगमन तिथि 1 फ़रवरी 2017.

बाहरी कड़ियाँ

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