आकाश में खगोलीय गोले पर देखे जाने पर धनु ए के तीन भाग प्रतीत होते हैं:
धनु ए पूर्व (Sagittarius A East) - यह एक महानोवा अवशेष है, जो लगभग २५ प्रकाशवर्ष चुड़ा है। खगोलशास्त्री अनुमान लगाते हैं कि यह महानोवास विस्फोट आज से ४०,००० से १,००,००० वर्ष पूर्व हुआ था।
धनु ए पश्चिम (Sagittarius A West) - यह एक सर्पिल प्रतीत होने वाला ढांचा है, जिसकी पृथ्वी से देखे जाने पर तीन भुजाएँ दिखती हैं। लेकिन कम्प्यूटर पर जब इसका त्रिआयामी ढांचा बनाया जाता है तो यह स्पष्ट हो जाता है कि यह वास्तव में सर्पिल नहीं है, बल्कि कई खगोलीय धूल और गैस के बने बादल हैं जो धनु ए पश्चिम के ठीक बीच में स्थित धनु ए* नामक काले छिद्र की परिक्रमा कर रहें हैं और १००० किमी प्रति सैकिंड की गति से उसमें गिरते जा रहे हैं। इन बादलों में १०० से अधिक ओबी श्रेणी के तारे देखे गए हैं जिनसे भयंकर वेग के कारण आयनीकृत गैस रिस कर इन बादलों में फैल रही है।
धनु ए* - धनु ए पश्चिम के बीच में यह एक अत्यंत शक्तिशाली रेडियो स्रोत है। माना जाता है कि यह हमारी आकाशगंगा (क्षीरमार्ग) के बीच का एक विशालकाय काला छिद्र है। इसके इर्द गिर्द घूम रहे तारे क्षीरमार्ग के किसी भी अन्य तारे से अधिक परिक्रमा वेग रखते हैं। इनमें से एक ताराऍस२ (S2) का अपनी कक्षा में चरम वेग ५,००० किमी/सैकंड है जो प्रकाशगति का १/६० है।