नवाब यह सम्मान की उपाधि मुग़ल शासकों द्वारा उपयोग किया जाता था। भारत में मुग़ल शासन के अधीन यह उपाधि बाद में बंगाल, अवध तथा ऑर्काट के स्वतंत्र शासकों द्वारा अपनाई गई थी। इंग्लैंड में नवाब नाम उन लोगों को दिया गया, जिन्होंने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी में काम करते हुए बहुत पैसा कमाया तथा घर लौटकर संसद की सीटें ख़रीदीं। अत: नवाब शब्द से तात्पर्य उस व्यक्ति से है, जिसके पास अकूत संपदा या असामान्य विशिष्टता हो।[1][2]
"नवाब" आमतौर पर पुरुषों को संदर्भित करता है और इसका शाब्दिक अर्थ है वायसराय; महिला समकक्ष को "बेगम" या "नवाब बेगम" कहा जाता है। एक नवाब का प्राथमिक कर्तव्य एक निश्चित प्रांत के प्रशासन के साथ-साथ मुगल सम्राट की संप्रभुता को बनाए रखना था।
"नवाबी" की उपाधि उच्चतम सत्ता द्वारा उन व्यक्तियों और परिवारों को निजी पारितोषक के रूप में भी दी जाती थी, जिन्होंने ब्रिटिश भारत की सरकार को विभिन्न सेवाओं के लिए रियासत दी थी। कुछ मामलों में, इसके साथ ही जागीर अनुदान भी दिया जाता था। ब्रिटिश राज के दौरान, बड़ी या महत्वपूर्ण जनजातियों के प्रमुखों, या सरदारों को भी इस उपाधि से नवाजा गया था, जिनके पास पहले से ही पारंपरिक पदवियां थी।
"ज़मींदारी" शब्द का इस्तेमाल मूल रूप से मुग़ल साम्राज्य के दौरान बने "सूबे" (प्रांत) के सूबेदार के लिए किया जाता था।
।।