नागा पर्वत शृंखला, जिन्हें नागा पहाड़ियाँ भी कहते हैं, भारत और बर्मा म्यान्मार की सीमा पर लगने वाली पर्वत शृंखला है। इसकी ऊँचाई लगभग 3,825 मीटर (12,549 फीट) है। यह जटिल पहाड़ प्रणाली का एक भाग है जिसमें से कुछ भाग भारतीय राज्य नागालैण्ड में तथा बर्मा में आते हैं।
ब्रितानी राज्य के दौरान इनमें से अधिकतर पहाड़ी क्षेत्र नागा हिल्स जिले के अन्तर्गता आता थी।
शब्द "नागा", नागा लोगों के लिए काम में लिया जाता है जिसे बर्मी भाषा में "नागा" अथवा "नाका" कहा जाता है और इसका अर्थ "छेदे हुये कान वाले लोगों" के साथ जोड़ा जाता है।[1]
ब्रितानी भारत में नागा पर्वत शृंखला का एक भाग १८६६ में एक जिलें में कर दिया गया।[2] नागा हिल्स जिले की सीमायें धीरे-धीरे बढ़ती चली गयी और इसमें और अधिक नागा प्रजातियों को शामिल किया गया जैसे एयोस अथव एओ नागा (1889), सेमास (1904) और कोन्याक (1910)। सन् 1912 में इस जनपद को असम प्रान्त का जिला घोषित कर दिया गया। भारत के विभाजन के समय इसका ट्वेनसांग जिले में विलय कर दिया गया जिससे 1963 में नागालैण्ड राज्य निर्मित किया गया।[3]