नानकशाही जंतरी या नानकशाही पंचांग एक सौर पंचांग है जिसे शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने सिख धर्म से सम्बन्धित घटनाओं (तयौहारों) की तिथियाँ दर्शाने के लिये स्वीकार किया था। इसका उपयोग १९९८ से हो रहा है। इसके पहले सिखों के पर्वों के लिये शक पंचांग ही उपयोग किया जाता था। इसे पाल सिंह पुरेवाल ने डिजाइन किया था।
इसका आरम्भ गुरु नानक देव के जन्मदिन से किया गया था। इस जंतरी के अनुसार नव वर्ष का प्रथम दिन १४ मार्च को पड़ता है।
अंक | मास | दिनों की संख्या | ग्रेगरी (अंगरेजी) महीने |
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1 | चेत | 31 | मार्च - अप्रैल |
2 | वैसाख | 31 | अप्रैल - मई |
3 | जेठ | 31 | मई - जून |
4 | हाड़ | 31 | जून - जुलाई |
5 | सावण | 31 | जुलाई - अगस्त |
6 | भादों | 30 | अगस्त - सितम्बर |
7 | अस्सू | 30 | सितम्बर - अक्तूबर |
8 | कात्तक | 30 | अक्टूबर - नवम्बर |
9 | माघर | 30 | नवम्बर - दिसम्बर |
10 | पोह | 30 | दिसम्बर - जनवरी |
11 | माघ | 30 | जनवरी - फरवरी |
12 | फग्गण | 30/31 | फरवरी - मार्च |
सन् 2010, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने जन्तरी को परिवर्तित किया ताकि महीनों के आरम्भ की तिथियाँ विक्रमी सम्वत् के महीनों के आरम्भ की तिथि से मिलने लगें। इसके बाद कुछ और विवाद हुए और २०१४ में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने तथाकथित 'मूल नानकशाही जन्तरी' को निरस्त कर दिया और पुनः पूर्णतः बिक्रमी पंचांग पर आधारित हो गए । किन्तु यह जन्तरी अब भी 'नानकशाही जन्तरैइ' के नाम से ही प्रकाशित की जा रही है।