निकाह | |
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निकाह का पोस्टर | |
निर्देशक | बी॰ आर॰ चोपड़ा |
लेखक | अचला नागर |
निर्माता | बी॰ आर॰ चोपड़ा |
अभिनेता |
राजबब्बर, दीपक पाराशर, सलमा आग़ा, असरानी, हिना कौशर, इफ़्तेख़ार |
छायाकार | धरम चोपड़ा |
संपादक | एस॰ बी॰ माणे |
संगीतकार | रवि |
प्रदर्शन तिथियाँ |
24 सितम्बर, 1982 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
निकाह (उर्दू: نکاح) 1982 में बनी हिन्दी भाषा की फ़िल्म है। यह बी॰ आर॰ चोपड़ा द्वारा निर्मित और निर्देशित है। फिल्म में राज बब्बर, दीपक पाराशर और सलमा आग़ा ने अपनी बॉलीवुड फिल्म की पहली भूमिका निभाई। इस फिल्म में सहायक भूमिकाओं में असरानी और इफ़्तेख़ार भी थे। फिल्म का संगीत रवि ने तैयार किया था और यह बहुत बड़ा हिट था। इसे बॉक्स ऑफिस पर "ब्लॉकबस्टर" घोषित किया गया था।
हैदर (राज बब्बर) और नीलोफर (सलमा आग़ा) दोनों ओस्मानिया यूनिवर्सिटी में अपनी पढ़ाई करते रहते हैं। हैदर एक कवि बनना चाहते रहता है और नीलोफर से प्यार करने लगता है। उसे ये पता नहीं होता है कि नीलोफर की पहले ही वसीम के साथ सगाई हो चुकी है। जल्द ही नीलोफर और वसीम की शादी हो जाती है और वहीं हैदर एक मशहूर कवि और एक मैगज़ीन का संपादक बन जाता है।
शादी के बाद नीलोफर को पता चलता है कि वसीम को बस अपने काम से ही प्यार है और वो छोटी छोटी चीजों के लिए भी विमान में बैठ कर दूसरे शहर चले जाया करता है। हनीमून के दिन वसीम को एक बहुत बड़ा काम मिलता है और वो सारा का सारा वक्त काम करने में बिता देता है। इसके बाद भी कई बार वसीम उससे समय का वादा कर के वादा तोड़ देता है और नीलोफर को अकेला रोता हुआ छोड़ जाता है।
शादी के एक साल बाद उनके शादी की सालगिरह का वक्त भी आ जाता है। दोनों पार्टी का आयोजन करते हैं, लेकिन वसीम पार्टी में आ नहीं पाता है और सभी मेहमान नीलोफर से सवाल पे सवाल करते हैं, जिससे नीलोफर पार्टी छोड़ कर अपने कमरे में चले जाती है। वसीम के घर आने के बाद उन दोनों में जम कर बहस होती है और गुस्से में वसीम उसे तीन बार तलाक कह देता है।
नीलोफर को हैदर अपने मैगज़ीन में काम पर रख लेता है। इस दौरान उसे एहसास होता है कि हैदर अब भी उससे प्यार करता है। वसीम, जो गुस्से में नीलोफर को तलाक दे चुका है, वो दुबारा उससे शादी करना चाहते रहता है और इस कारण वो इमाम से मिलता है और इस मामले में सलाह मांगता है। इमाम उससे कहता है कि शरीया क़ानून के अनुसार उसे बताता है कि नीलोफर को इसके लिए किसी और से शादी करनी पड़ेगी, फिर तलाक लेने के बाद ही वो उससे फिर शादी कर सकता है।
इस दौरान हैदर अपनी दिल की बात नीलोफर को बता देता है। वे दोनों अपने माता-पिता की सहमति के बाद शादी कर लेते हैं। वसीम उसे एक पत्र लिखता है, जिसमें लिखा होता है कि वो हैदर को तलाक दे कर उससे फिर शादी कर ले। लेकिन वो पत्र नीलोफर के जगह हैदर पढ़ लेता है और उसे लगता है कि वसीम और नीलोफर एक दूसरे से अब भी प्यार करते हैं। वो वसीम को नीलोफर के पास लाता है और कहता है कि वो तलाक देने को तैयार है। लेकिन नीलोफर इससे इंकार कर देती है और कहती है सवाल करती है कि क्यों वे लोग उसके साथ एक महिला की तरह नहीं, बल्कि एक जायदाद की तरह बर्ताव कर रहे हैं? इसके बाद वो कहती है कि वो हैदर के साथ ही अपनी जिंदगी बिताना चाहती है। वसीम उन दोनों को शुभकामनायें देते हुए चला जाता है।
निकाह का प्रमुख हिस्सा हैदराबाद में कई स्थानों पर फिल्माया गया था - उस्मानिया विश्वविद्यालय, ईट स्ट्रीट या नेकलेस रोड (हुसैन सागर), चारमीनार के पास स्थित गवर्नमेंट निज़ामिया तिब्बी कॉलेज, सार्वजनिक उद्यान में शाही मस्जिद और रवींद्र भारती सभागार।[1][2]
सभी गीत हसन कमाल द्वारा लिखित; सारा संगीत रवि द्वारा रचित।
गाने | |||
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क्र॰ | शीर्षक | गायन | अवधि |
1. | "चुपके चुपके रात दिन (हसरत मोहानी की लिखी ग़ज़ल)" | ग़ुलाम अली | 7:48 |
2. | "चेहरा छुपा लिया है किसीने हिज़ाब में" | महेंद्र कपूर, सलमा आग़ा, आशा भोंसले | 6:32 |
3. | "दिल के अरमाँ आंसुओं में बह गए" | सलमा आग़ा | 4:22 |
4. | "दिल की ये आरज़ू थी कोई दिलरुबा मिले" | महेंद्र कपूर, सलमा आग़ा | 5:42 |
5. | "फ़ज़ा भी है जवाँ जवाँ" (1) | सलमा आग़ा | 5:49 |
6. | "फ़ज़ा भी है जवाँ जवाँ" (2) | सलमा आग़ा | 4:02 |
7. | "बीते हुए लम्हों की कसक साथ तो होगी" | महेंद्र कपूर | 5:57 |
वर्ष | नामित कार्य | पुरस्कार | परिणाम |
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(1982) | सलमा आग़ा ("दिल के अरमाँ" के लिए) | फ़िल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ गायिका पुरस्कार | जीत |
डॉ॰ अचला नागर | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ संवाद लेखन पुरस्कार | जीत | |
बलदेव राज चोपड़ा (बी आर फ़िल्म्स के लि) | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म पुरस्कार | नामित | |
बलदेव राज चोपड़ा | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ निर्देशक पुरस्कार | नामित | |
सलमा आग़ा | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार | नामित | |
डॉ॰ अचला नागर | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ कथा पुरस्कार | नामित | |
रवि | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ संगीतकार पुरस्कार | नामित | |
हसन कमाल (दिल के अरमाँ के लिए) | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ गीतकार पुरस्कार | नामित | |
हसन कमाल ("दिल की ये आरज़ू थी" के लिए) | नामित | ||
सलमा आग़ा ("प्यार भी है जवाँ" के लिए) | फ़िल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ गायिका पुरस्कार | नामित | |
सलमा आग़ा ("दिल की ये आरज़ू थी" के लिए)[3] | नामित |