निल बट्टे सन्नाटा | |
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फ़िल्म का पोस्टर | |
निर्देशक | अश्विनी अय्यर तिवारी |
लेखक |
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निर्माता |
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अभिनेता |
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छायाकार | गैविमिक यू एरी |
संपादक | चंद्रशेखर प्रजापति |
संगीतकार | रोहन तथा विनायक |
निर्माण कंपनियां |
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वितरक | एरोस इंटरनेशनल |
प्रदर्शन तिथियाँ |
सितम्बर २०१५ (सिल्क रोड फ़िल्म फेस्टिवल) २२ अप्रैल २०१६ |
लम्बाई |
१०४ मिनट |
देश | भारत[1] |
भाषा | हिन्दी |
कुल कारोबार | ६.९ करोड़[2] |
निल बट्टे सन्नाटा, जिसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर द न्यू क्लासमेट के नाम से जारी किया गया था, अश्विनी अय्यर तिवारी द्वारा निर्देशित २०१५ की एक भारतीय कॉमेडी-ड्रामा फिल्म है। कलर येलो प्रोडक्शंस और जेएआर पिक्चर्स के बैनर तले आनंद एल राय, अजय राय और एलन मैकएलेक्स द्वारा निर्मित इस फिल्म को अय्यर, नीरज सिंह, प्रांजल चौधरी और नितेश तिवारी ने लिखा है। फ़िल्म में स्वरा भास्कर ने चंदा सहाय नामक एक हाई-स्कूल ड्रॉप-आउट घरेलू नौकरानी की भूमिका निभाई, जो अपेक्षा (रिया शुक्ला द्वारा अभिनीत) नामक एक सुस्त युवा लड़की की एकल माँ थी। फिल्म सामाजिक प्रतिष्ठा के निरपेक्ष किसी व्यक्ति का सपने देखने और अपने जीवन को बदलने के अधिकार के विषय पर आधारित है।
२२ अप्रैल २०१६ को भारत में जारी हुई निल बट्टे सन्नाटा को एरोस इंटरनेशनल द्वारा वितरित किया गया था और इसे समीक्षकों और दर्शकों, दोनों से ही प्रशंसा प्राप्त हुई। समीक्षकों ने निर्माण के अधिकांश पहलुओं की प्रशंसा की, विशेष रूप से इसकी कथा और यथार्थवाद की, और कलाकारों के प्रदर्शन, विशेष रूप से भास्कर की। ६२वें फिल्मफेयर पुरस्कारों में, अय्यर ने सर्वश्रेष्ठ डेब्यू निर्देशक के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार जीता, जबकि भास्कर और शुक्ला ने क्रमशः सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री (क्रिटिक्स) और सर्वश्रेष्ठ बाल कलाकार के लिए स्क्रीन पुरस्कार जीते। फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन किया - अपने पूरे प्रदर्शन काल में इसने लगभग ६.९ करोड़ रुपये (९६०,००० डॉलर) का व्यापार किया। उसी वर्ष, फिल्म को तमिल में अम्मा कनक्कू के नाम से पुनर्निर्मित किया गया, जिसका निर्देशन फिर अय्यर ही किया। अगले वर्ष, इसे मलयालम में उधारणम सुजाथा के नाम से बनाया गया था।
अपेक्षा "अप्पू" शिवलाल सहाय (शुक्ला) एक छात्रा है, जो पढ़ाई में रूचि न होने के बावजूद विद्यालय में दसवीं कक्षा तक पहुँचने में सफल रही है। अपने दोस्तों, स्वीटी (नेहा प्रजापति) और पिंटू (प्रशांत तिवारी) की ही तरह वह भी गणित में कमजोर है। एक हाई-स्कूल ड्रॉप-आउट उसकी एकल माँ चंदा (भास्कर), चार अलग-अलग घरों में नौकरानी के रूप में काम करती हैं, जिसमें से एक घर डॉ। दीवान (पाठक) का भी है।
अपनी बेटी के उदासीन रवैये से परेशान, चंदा डॉ दीवान को अपनी दुविधा बताती है, जो उसे अप्पू के लिए एक गणित ट्यूटर को नियुक्त करने की सलाह देती हैं। चंदा को बताया गया है कि अप्पू को ट्यूशन शुल्क में छूट प्राप्त करने के लिए अपनी प्री-बोर्ड गणित की परीक्षा पास करनी होगी। जब यह बात वह अप्पू को बताती है, तो वह पलटकर जवाब देती है कि उसकी किस्मत में नौकरानी के रूप में काम करना ही लिखा है, क्योंकि चंदा उसकी उच्च शिक्षा के लिए वित्तीय रूप से सहायता प्रदान नहीं कर सकती है। डॉ दीवान के प्रोत्साहन के साथ, चंदा भी अप्पू के स्कूल में दाखिला ले लेती है, ताकि वह स्वयं गणित सीखे, और फिर अप्पू को भी सिखा सके। यह अप्पू को शर्मिंदा करता है, और वह लगातार अपनी माँ का उपहास करती रहती है। स्कूल के प्रधानाचार्य श्री श्रीवास्तव (त्रिपाठी) को छोड़कर, अप्पू और चंदा के रिश्ते के बारे में कोई नहीं जानता; चंदा स्वीटी और पिंटू समेत अप्पू के अधिकतर सहपाठियों के साथ दोस्ती कर लेती है, और अपने शिक्षकों को अपनी निरंतर प्रगति के साथ प्रभावित करती है। चंदा गणित को समझने के लिए अपने शर्मीले सहपाठी अमर (विशाल नाथ) की मदद लेती है, और उसकी सलाह पर मन के नक्शों का प्रयोग करने लगती है।
चंदा को निरंतर गणित में प्रगति करते देख अप्पू अपनी माँ से जलने लगती है, क्योंकि वह स्वयं इसे समझने में असफल रहती है। तब चंदा अप्पू को चुनौती देती है कि यदि वह गणित में उससे अधिक अंक हासिल कर सकी, तो चंदा विद्यालय आना बंद कर देगी। अमर की मदद से और निरंतर अध्ययन के साथ, अप्पू इस चुनौती को पूरा करने में सफल रहती है। चंदा पहले तो बहुत खुश होती है, लेकिन तब उसका दिल टूट जाता है, जब अप्पू उसे बताती है कि उसने यह प्रदर्शन विद्यालय में अपनी माँ की अनुपस्थिति सुनिश्चित करने के एकमात्र उद्देश्य के साथ किया है। इससे क्रोधित होकर चंदा अपने वादे से मुकर जाती है और विद्यालय में लौट आती है, जहाँ उसका प्रदर्शन पहले से भी बेहतर रहता है। विद्यालय में अधिक समय आवंटित करने के कारण, चंदा अपनी चार नौकरियों में से एक को खो देती है, और फिर अमर के कहने पर एक रेस्तरां में काम करना शुरू कर देती है।
एक रात, चंदा का एक पुरुष सहकर्मी उसे घर छोड़ने आता है; अपू यह देखती है, और मान लेती है कि चंदा वैश्यावृत्ति के धंधे में लग गयी है। वह उस सारे पैसे को चुरा लेती है, जो चंदा उसके गणित ट्यूशन के लिए भुगतान करने के लिए इकट्ठा करती रही थी, और यह सब भोजन और नए कपड़ों पर खर्च कर देती है। यह चंदा को झकझोर देता है, और अप्पू के यह कहने पर कि यह पैसा मेहनत से कमाया नहीं गया था, चंदा अवसाद की स्थिति में चली जाती है। वह स्कूल जाना बंद कर देती है, और एक दयालु जिलाधिकारी (संजय सूरी) से प्रेरित होकर इस आशा के साथ काम करना जारी रखती है कि अप्पू भी एक दिन भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल हो जाएगी। इस बीच, अमर चंदा को रेस्तरां में काम करता दिखा कर अप्पू को उसकी गलती का एहसास दिलाने में मदद करता है। अप्पू अपनी माँ के साथ सम्मान के साथ व्यवहार करना शुरू कर कर देती है, और एक बार फिर विद्यालय में रुचि लेने लगती है - यह महसूस करते हुए, कि यदि उसके पास इच्छाशक्ति है, तो वह अच्छा प्रदर्शन कर सकती है। वह अपनी मां को विद्यालय वापस लाती है, और दोनों अपनी दसवीं कक्षा एक साथ पूरी करते हैं।
ताजमहल के एक सुंदर दृश्य के साथ, चंदा अप्पू को हमेशा अपने सपनों का पालन करने के लिए प्रेरित करती है, यह समझाते हुए कि सभी सपने प्रयासों पर निर्भर हैं न कि परिस्थितियों पर। कुछ साल बाद, अप्पू अपनी सभी परीक्षाएँ सफलतापूर्वक उत्तीर्ण करने के फलस्वरूप संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा के साक्षात्कार में भाग लेती है। यह पूछे जाने पर कि उसे आईएएस के लिए आवेदन करने के लिए किसने प्रेरित किया, वह उत्तर में अपनी माँ का नाम लेती है, जो अब मुफ्त में गणित के छात्रों को ट्यूशन पढ़ा रही है।
सभी पात्र नीचे सूचीबद्ध हैं:[1]
निल बट्टे सन्नाटा का निर्देशन अश्विनी अय्यर तिवारी ने किया है; एक निर्देशक के तौर पर यह उनकी पहली फ़िल्म है।[3] इस फ़िल्म का विचार उन्हें शिकागो स्थित एक विज्ञापन कंपनी लियो बर्नेट वर्ल्डवाइड के साथ हिन्दी धारावाहिक कौन बनेगा करोड़पति के एक प्रचार वीडियो पर काम करते हुए आया था।[4][5] द इंडियन एक्सप्रेस के साथ एक साक्षात्कार में, अय्यर ने कहा कि "निल बट्टे सन्नाटा की कहानी प्रासंगिक होने के साथ-साथ प्रेरणादायक भी है"।[6] फ़िल्म की पटकथा अय्यर, नीरज सिंह, प्रांजल चौधरी और नितेश तिवारी द्वारा लिखी गई है।[1][4] इस पटकथा को देखने के बाद, जेएआर पिक्चर्स के अजय जी राय ने फिल्म का निर्माण करने का फैसला किया, और अय्यर पर ही इसे निर्देशित करने के लिए जोर दिया। हालांकि शुरुआत में अनिच्छुक, अय्यर ने निर्देशित करने के लिए सहमति व्यक्त कर दी, और अपनी तैयारी के रूप में सिनेमैटोग्राफी के प्रमुख पहलुओं को सीखना आरम्भ किया।[4] गेवमिक यू एरी ने फिल्म में छायाकार के रूप में काम किया, और कुणाल शर्मा ने ध्वनि विभाग का नेतृत्व किया। फिल्म के सभी दृश्य प्रभाव हैदराबाद में स्थित मोशन पिक्चर पोस्ट-प्रोडक्शन स्टूडियो प्रसाद फिल्म लैब्स द्वारा प्रदान किए गए थे, और वेशभूषा सचिन लोवलेकर द्वारा डिजाइन की गई थी।[1]
मुकेश छाबड़ा फ़िल्म के कास्टिंग निर्देशक थे।[4] सर्वप्रथम स्वरा भास्कर को चंदा सहाय की भूमिका के लिए चुना गया, जो एक १५ वर्षीय लड़की की एकल माँ की थी। अपने करियर के प्रारम्भिक काल में ही पर्दे पर माँ की भूमिका निभाने के बारे में भास्कर शुरू में संशय में थी, हालाँकि उन्होंने पटकथा पढ़ने के बाद अपना मन बदल लिया।[7][8] भूमिका को बेहतर तरीके से समझने के लिए, भास्कर आगरा में पेशेवर नौकरानियों के साथ रही, जहाँ फिल्म की कहानी सेट है।[8] इसी क्रम में उन्होंने एक हैंडबैग, एक कंघी, एक पॉकेट मिरर और रबर की चप्पल समेत कई सामान भी खरीदे।[9] एक किशोर बेटी को संभालने संबंधी दृश्यों के लिए उन्होंने अपनी माँ के अनुभवों से मार्गदर्शन प्राप्त किया। फिल्म की रिलीज के बाद, भास्कर ने डीएनए के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि हिंदी फिल्म उद्योग में उनके दोस्तों ने उन्हें सलाह दी कि वे इस भूमिका को न निभाएं क्योंकि उन सबको लगा था कि यह उनके "करियर की आत्महत्या" होगी। वह परियोजना में भाग लेने के लिए सहमत हो गई क्योंकि "कहानी [उनके] दिमाग में रही।"[8] फ़िल्म की अगली प्रमुख भूमिका नायिका की १५ वर्षीय बेटी की थी, जिसके लिए रिया शुक्ला को लखनऊ में एक ऑडिशन के बाद चुना गया।[4] रत्ना पाठक और पंकज त्रिपाठी ने फिल्म में सहायक भूमिकाएँ निभाई हैं। इसके अतिरिक्त लगभग २५ स्थानीय बच्चों ने विद्यालय के छात्रों की भूमिका निभाई।[6][10] A group of around 25 local children played the students at the school.[10]
निल बट्टे सन्नाटा की प्रधान फोटोग्राफी मई २०१४ में आगरा में शुरू हुई, और नवंबर के अंत तक पूरी हो गई थी।[7] आगरा के कई स्थानों पर, क्रू को "अति उत्साही भीड़" का प्रबंधन करना मुश्किल लगा।[11] इसके तुरंत बाद संपादन की प्रक्रिया शुरू हुई, और पिक्सोन स्टूडियो के चंद्रशेखर प्रजापति द्वारा इसकी देखरेख की गई।[7] फ़िल्म के एडिटर कट को राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम फिल्म बाज़ार में वर्क-इन-प्रोग्रेस लैब में भी प्रस्तुत किया गया था।[12] भारत में एरोस इंटरनेशनल द्वारा वितरित निल बट्टे सन्नाटा का अंतिम कट कुल १०४ मिनट का था।[13][14]
निल बट्टे सन्नाटा | ||||
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फिल्म साउंडट्रैक रोहन तथा विनायक द्वारा | ||||
जारी | १४ अप्रैल २०१६ | |||
संगीत शैली | बॉलीवुड संगीत | |||
लंबाई | २१:३८ | |||
लेबल | एरोस इंटरनेशनल | |||
रोहन तथा विनायक कालक्रम | ||||
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निल बट्टे सन्नाटा के लिए संगीत रोहन तथा विनायक द्वारा तैयार किया गया है, तथा इसके गीत मनोज यादव, नितेश तिवारी और श्रेयस जैन ने लिखे हैं।[15][16] ७ गीतों वाली फ़िल्म की संगीत एल्बम को एरोस इंटरनेशनल के लेबल तले १४ अप्रैल २०१६ को जारी किया गया था।[17] बॉलीवुड हंगामा के जोगिंदर टुटेजा ने अपनी मिश्रित समीक्षा में "मुरब्बा" और "मैथ्स में डब्बा गुल" गीतों की काफी सराहना की, और साथ ही साउंडट्रैक के "ग्रामीण स्वाद" को भी स्वीकार किया। उन्होंने समग्र एल्बम को "सख्ती से स्थितिजन्य" माना।[15] द टाइम्स ऑफ इंडिया के आलोचक मोहर बसु ने साउंडट्रैक को ५ में से ३ सितारे देते हुए कहा कि "एल्बम आपको अपनी मासूमियत से जीतती है"। सुखद "मुरब्बा" और आकर्षक "मैथ्स में डब्बा" की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि फिल्म में ऐसा "संगीत है जो आपके दिल को छू जाएगा"।[18]
निल बट्टे सन्नाटा (ओरिजिनल मोशन पिक्चर साउंडट्रैक) | ||||
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क्र॰ | शीर्षक | गीतकार | गायक | अवधि |
1. | "मुरब्बा" | मनोज यादव | न्यूमैन पिण्टो | ३:५७ |
2. | "मैथ्स में डब्बा गुल" | नितेश तिवारी | आरती शेनाई, रोहन उत्पत | २:५८ |
3. | "मौला" | मनोज यादव | नन्दिनी श्रीकर | ३:३७ |
4. | "माँ" | श्रेयस जैन | मोहन कानन | ३:२३ |
5. | "माँ (हरिहरन)" | श्रेयस जैन | हरिहरन | ३:२३ |
6. | "माँ थीम" (इंस्ट्रुमेंटल) | २:१८ | ||
7. | "चन्दा थीम" (इंस्ट्रुमेंटल) | २:०७ | ||
कुल अवधि: | २१:३८[19] |
फ़िल्म का वर्ल्ड प्रीमियर सितंबर २०१५ के अंतिम सप्ताह में सिल्क रोड फ़िल्म फ़ेस्टिवल, फ़ूझोउ, चीन में हुआ था।[20] मराकेश इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल और क्लीवलैंड इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल जैसे अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोहों में इसे द न्यू क्लासमेट शीर्षक के तहत जारी किया गया था।[21][22][23] इसके बाद फिल्म को २३ अक्टूबर २०१५ को बीएफआई लंदन फिल्म फेस्टिवल (एलएफएफ) में प्रदर्शित किया गया, जहाँ इसे काफी प्रशंसा प्राप्त हुई।[3] ८ मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के साथ भारत में फिल्म का पहला लुक जारी हुआ।[24] फिल्म के इस पोस्टर में, लाल साड़ी में एक मुस्कुराती हुई स्वरा भास्कर और नीले रंग की सलवार कमीज में रिया शुक्ला एक साथ छलांग लेती दिखाई दी। पोस्टर का अनावरण भास्कर की करीबी मित्र अभिनेत्री सोनम कपूर ने किया।[24] इसके बाद फ़िल्म का आधिकारिक ट्रेलर २२ मार्च २०१६ को एरोस प्रोडक्शंस द्वारा जारी किया गया था।[25] यह लॉन्च भास्कर, शुक्ला और पंकज त्रिपाठी की उपस्थिति में एक कक्षा-सेट में आयोजित मीडिया सत्र में हुआ।[26] इस कार्यक्रम में, फिल्म के निर्माता आनंद एल राय ने कहा, "मैं निल बट्टे सन्नाटा से सीधे दिल से जुड़ा था और मुझे फिल्म पर बहुत गर्व महसूस हो रहा है।"[27] इस ट्रेलर को आलोचकों और दर्शकों दोनों द्वारा खूब सराहा गया।[26][27] डेली न्यूज एंड एनालिसिस के एक समीक्षक ने इसे "दिल को छूनेवाला" माना।[28] २२ अप्रैल २०१६ को फ़िल्म को भारत भर के सभी सिणेममाघरों में जारी कर दिया गया।[29]
निल बट्टे सन्नाटा भारत में ३०० से कम पर्दों पर जारी हुई थी, और इसे बॉक्स-ऑफिस पर औसत ओपनिंग मिली। इसने अपने उद्घाटन के दिन २५ लाख रुपये (३५,००० यूएस डॉलर) एकत्र किए, लेकिन दूसरे दिन वर्ड ऑफ़ माउथ के सकारात्मक परिणामों के कारण यह आंकड़ा बढ़ गया।[30] फिल्म ने शनिवार को ६० लाख (८३,००० डॉलर) और रविवार को १.०५ करोड़ (१५०,००० यूएस डॉलर) का संग्रह किया और शुरुआती सप्ताहांत की कमाई को १.९ करोड़ (२६०,००० डॉलर) तक पहुँचा दिया।[31] फ़िल्म को अन्य छोटे बजट की हिंदी फ़िल्मों से प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा; बॉक्स ऑफिस पर इसके शुरुआती सप्ताहांत में लाल रंग और संता बंता प्राइवेट लिमिटेड भी जारी हुई थी, लेकिन सकारात्मक समीक्षा और वर्ड ऑफ़ माउथ की वजह से इसके अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद थी।[32] फिल्म ने अपने शुरुआती सप्ताह में ३ करोड़ (४२०,००० यूएस डॉलर) एकत्र किए।[33] उत्तर प्रदेश और दिल्ली में राज्य सरकारों द्वारा इसे कर मुक्त घोषित किया गया था।[34][35] फिल्म एक व्यावसायिक सफलता बन गई, और दूसरे सप्ताह में देश के ग्रामीण क्षेत्रों में भी बढ़ती रही।[36] इसने बॉक्स ऑफिस पर छह सप्ताह का प्रभावशाली प्रदर्शन किया और इसके जीवनकाल का संग्रह लगभग ७ करोड़ (९७०,००० यूएस डॉलर) था।[2]
निल बट्टे सन्नाटा को समीक्षकों की प्रशंसा प्राप्त हुई, और दर्शकों द्वारा भी इसे काफी सराहा गया।[37] इसे मुख्य रूप से निर्देशन के लिए, और भास्कर, शुक्ला और त्रिपाठी के अभिनय के लिए अत्यधिक प्रशंसा मिली। मुंबई मिरर के कुणाल गुहा ने लिखा, "ऐसी फिल्मों का आना दुर्लभ है जो आपको एक अच्छी फिल्म होने के अनुभव के साथ-साथ अपने पूर्वाग्रहों को अलग रखने के लिए मजबूर करती हैं।"[38] रीडिफ.कॉम की नम्रता ठाकुर ने फिल्म की प्रशंसा करते हुए इसे "एक निरपेक्ष रत्न" माना, और कहा कि "फिल्म में शायद ही कोई सुस्त पल हो"। उन्होंने इसे २०१५ की दम लगा के हईशा के साथ तुलना करते हुए वर्ष की सबसे अच्छी फिल्म माना।[39] द हिंदू की पत्रकार और फिल्म समीक्षक नम्रता जोशी ने निल बट्टे सन्नाटा को "२०१६ में अपनी छाप छोड़ने वाली हिंदी फिल्मों की सूची" में शामिल किया।[40] उसने इसे एक "एक गर्म, अच्छी-अच्छी फिल्म" के रूप में वर्णित किया, "जो उम्मीद और वादा पेश करती है"।[41]
पात्रों के चित्रण में यथार्थवाद और फिल्म के सार्वभौमिक विषय को भी समीक्षकों द्वारा व्यापक रूप से सराहा गया। हिंदुस्तान टाइम्स के गौतम भास्करन ने इसे ५ में से ४ सितारे दिए, और टिप्पणी की कि फिल्म "एक शक्तिशाली और ईमानदार काम है",[42] और द इंडियन एक्सप्रेस की शुभ्रा गुप्ता ने कहा कि "फिल्म चीजों को वास्तविक रखने पर निर्भर करती है।"[43] मोहर बसु ने द टाइम्स ऑफ इंडिया में अपनी समीक्षा में फिल्म को "व्याख्यात्मक" बताया, यह कहते हुए कि "फिल्म आपको उसकी मासूमियत और सरलता से जीत लेती है"।[14] एनडीटीवी के सिब्बल चटर्जी ने कहा कि यह फिल्म "एक निहायत ही सरल और दिल को छू लेने वाली फिल्म" है।[44] डेक्कन क्रॉनिकल की सुपर्णा शर्मा ने इसे "वास्तविक लोगों के बारे में वास्तविक सेटिंग में वास्तविक फिल्म" कहा जो कई सशक्त, शक्तिशाली संदेश देता है।[45]
मुख्य कलाकारों के अभिनय की समीक्षकों द्वारा मुख्य रूप से प्रशंसा की गई थी। जोशी, जो विशेष रूप से त्रिपाठी और शुक्ला के प्रदर्शन से प्रभावित थे, ने फिल्म को इसके अच्छे-अच्छे चरित्रों और उनके रिश्तों की अपील को स्वीकार किया, जो "अच्छी तरह से एक साथ कलाकारों की टुकड़ी द्वारा जीवंत किए गए थे।".[41] इस विचार को फिल्मफेयर के रचित गुप्ता ने साझा किया, जिन्होंने कहा कि "अभिनेता इस फिल्म को इतना यादगार बनाते हैं"। उन्होंने भास्कर को सबसे अधिक प्रशंसा देते हुए कहा कि उन्होंने "जीवन भर का प्रदर्शन" किया, हालाँकि उन्होंने शुक्ला के "सुपर", पाठक के "शानदार" और त्रिपाठी के "मास्टरक्लास" प्रदर्शन की भी प्रशंसा की।[46] अपनी समीक्षा में सीएनएन-न्यूज़१८ फिल्म समीक्षक राजीव मसंद ने भास्कर को "फिल्म का दिल" मानते हुए टिप्पणी की कि "एक नोट भी बाहर नहीं निकलते हुए, वह आपका ध्यान पकड़ती है"।[47] फर्स्टपोस्ट की उदिता झुनझुनवाला ने भी भास्कर की प्रशंसा करते हुए कहा कि "यह उनकी सबसे बारीकियों में से एक है, और यह एक स्वागत योग्य बदलाव है", और त्रिपाठी को "दृश्य-चोरी करने वाले उत्साही स्कूल प्रिंसिपल" कहा।[48]
वर्ष | पुरस्कार | श्रेणी | नामांकित | परिणाम | सन्दर्भ |
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२०१६ | सिल्क रोड इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल | सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री | स्वरा भास्कर | जीत | [49] |
स्क्रीन पुरस्कार | सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री – क्रिटिक | स्वरा भास्कर | जीत | [50] | |
सर्वश्रेष्ठ बाल कलाकार | रिया शुक्ला | जीत | |||
स्टारडस्ट पुरस्कार | वर्ष की फिल्म | निल बट्टे सन्नाटा | नामित | [51] | |
वर्ष का फिल्म निर्माता | अश्विनी अय्यर तिवारी | नामित | |||
वर्ष का कलाकार (महिला) | स्वरा भास्कर | नामित | |||
२०१७ | ज़ी सिने पुरस्कार | सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री | रत्ना पाठक | नामित | [52] |
बेस्ट डेब्यूटेंट – निर्देशक | अश्विनी अय्यर तिवारी | नामित | |||
बेस्ट डेब्यूटेंट – महिला | रिया शुक्ला | नामित | |||
एफओआई ऑनलाइन पुरस्कार | सर्वश्रेष्ठ फीचर फ़िल्म | निल बट्टे सन्नाटा | नामित | [53] | |
प्रमुख भूमिका में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री | स्वरा भास्कर | नामित | |||
सहायक भूमिका में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता | पंकज त्रिपाठी | नामित | |||
सहायक भूमिका में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री | रिया शुक्ला | नामित | |||
बेस्ट डेब्यू – निर्देशक | अश्विनी अय्यर तिवारी | नामित | |||
सर्वश्रेष्ठ कहानी | नितेश तिवारी | जीत | |||
सर्वश्रेष्ठ संवाद | अश्विनी अय्यर तिवारी, नीरज सिंह, नितेश तिवारी तथा प्रांजल चौधरी | नामित | |||
सर्वश्रेष्ठ पार्श्व संगीत | रोहन तथा विनायक | नामित | |||
फिल्मफेयर पुरस्कार | बेस्ट डेब्यू – निर्देशक | अश्विनी अय्यर तिवारी | जीत | [54] | |
मिर्ची म्यूजिक पुरस्कार | वर्ष का आगामी संगीतकार | रोहन विनायक – "मौला" | नामित | [55] | |
वर्ष का आगामी गीतकार | श्रेयस जैन – "माँ" |
नवंबर २०१५ में, अय्यर ने निर्माता धनुष और आनंद एल राय के लिए तमिल में फिल्म के रीमेक को निर्देशित करने पर सहमति व्यक्त की। धनुष की सितंबर २०१५ में मुंबई की यात्रा के दौरान राय द्वारा फिल्म का पूर्वावलोकन दिखाया गया था और दोनों ने निर्देशक के रूप में अय्यर को बनाए रखने के साथ फिल्म का सह-निर्माण करना चुना।[56] भास्कर, शुक्ला, पाठक, और त्रिपाठी द्वारा निभाई गई भूमिकाओं को अम्मा पॉल, युवसरी, रेवती और समुथिरकानी द्वारा क्रमशः अम्मा कनक्कू नाम से रीमेक में निभाया गया था, जिसे २४ जून २०१६ को रिलीज़ किया गया।[57] मंजू वारियर अभिनीत एक मलयालम रीमेक, उदयरामन सुजाथा, २०१७ में रिलीज़ हुई थी।[58]
निल बट्टे सन्नाटा (हिन्दी) (२०१६) |
अम्मा कनक्कू (तमिल) (२०१६) |
उदयरामन सुजाथा (मलयालम) (२०१७) |
स्वरा भास्कर | अमला पॉल | मंजू वारियर |
रिया शुक्ला | युवा लक्ष्मी | अनस्वारा राजन |
रत्ना पाठक | रेवती | नेदुमदी वेणु |
पंकज त्रिपाठी | पी समुथिरकानी | जोजू जॉर्ज |