नीदरमायर-हेंटिग अभियान (Niedermayer-Hentig Expedition) सन 1915-1916 में प्रथम विश्वयुद्ध की केंद्रीय शक्तियों द्वारा अफगानिस्तान में भेजा गया एक राजनयिक मिशन था। इसे काबुल मिशन भी कहते हैं। इसका उद्देश्य अफगानिस्तान को ब्रिटिश साम्राज्य से पूर्ण स्वतंत्रता की घोषणा करने के लिए प्रोत्साहित करना, प्रथम विश्वयुद्ध में केंद्रीय शक्तियों के पक्ष में प्रवेश करना और ब्रिटिश भारत पर आक्रमण करना था। यह अभियान हिंदू-जर्मन षड्यंत्र का भाग था। मोटे तौर पर यह भारतीय राजकुमार राजा महेन्द्र प्रताप सिंह के नेतृत्व में जर्मनी और तुर्की का एक संयुक्त अभियान था। इसका नेतृत्व जर्मन सेना के अधिकारी ओस्कर नीदरमेयर और वर्नर ओटो वॉन हेंटिग ने किया था। अन्य प्रतिभागियों में मौलवी बरकतुल्लाह और चेम्पाकरमन पिल्लई सहित बर्लिन समिति नामक एक भारतीय राष्ट्रवादी संगठन के सदस्य शामिल थे, जबकि तुर्कों का प्रतिनिधित्व एनवर पाशा के करीबी विश्वासपात्र काज़िम बे ने किया था।