किसी कृषि उपज (जैसे गेहूँ, धान आदि) का न्यूनतम समर्थन मूल्य वह मूल्य है जिससे कम मूल्य देकर किसान से सीधे वह उपज नहीं खरीदी जा सकती। न्यूनतम समर्थन मूल्य, भारत सरकार तय करती है। उदाहरण के लिए, यदि धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य २००० रूपए प्रति कुन्तल निर्धारित किया गया है तो कोई व्यापारी किसी किसान से २१०० रूपए प्रति क्विंटल की दर से धान खरीद सकता है किन्तु १९७५ रूपए प्रति कुन्तल की दर से नहीं खरीद सकता।
भारत सरकार ने वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिये रबी की फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा की है। इस दौरान गेहूं हेतु न्यूनतम समर्थन मूल्य 1840 रुपए प्रति कुंतल निर्धारित किया गया है। विगत वित्तीय वर्ष 2018-19 हेतु धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 200 रुपये बढ़ाकर 1,750 रुपये क्विंटल कर दिया गया था, जबकि ए ग्रेड धान पर 160 रुपये का इजाफा किया गया। खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में अधिकतम वृद्धि रागी में हुई है जो 1900 रुपये बढ़ाकर 2,897 रुपये प्रति क्विंटल किया गया है। मक्के के समर्थन मूल्य को 1425 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 1700 रुपये किया गया। मूंग की खरीद प्रति क्विंटल 5575 रुपये की दर से हो रही थी अब किसानों को इसके लिए 6975 रुपये मिलेंगे। उड़द के न्यूनतम समर्थन मूल्य को 5400 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 5600 रुपये किया गया। बाजरे के एमएसपी को 1425 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 1950 रुपये किया गया।
कपास (मध्यम रेशा) के लिए किसानों को अभी तक 4,020 रुपये प्रति 100 किलोग्राम मिल रहा था अब इसे बढ़ाकर 5,150 रुपये किया गया है। लंबे रेशे वाले कपास का मूल्य 4,320 रुपये से बढ़ाकर 5,450 हो गया है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP 2023 के रबी सीजन से शुरू होकर, सरकार ने गेहूं, चना, सरसों और अन्य मुख्य रबी फसलों के लिए एक नए, उच्च न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी ने इस बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी है। मसूर, सफेद सरसों, जौ, चना, गेहूं और कुसुम सभी के लिए एमएसपी में 500 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की जाएगी। इसके अलावा जौ में 100 रुपये प्रति क्विंटल, चना में 105 रुपये प्रति क्विंटल, गेहूं में 110 रुपये प्रति क्विंटल और कुसुम में 209 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की है। [1]