पन्ना Panna | |
---|---|
पन्ना बाईपास से जलप्रपात का दृश्य | |
निर्देशांक: 24°43′N 80°11′E / 24.72°N 80.18°Eनिर्देशांक: 24°43′N 80°11′E / 24.72°N 80.18°E | |
वंश | बघेल , बूंदेला क्षत्रिय |
प्रान्त | मध्य प्रदेश |
ज़िला | पन्ना ज़िला |
ऊँचाई | 416 मी (1,365 फीट) |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 59,091 |
भाषा | |
• प्रचलित | हिन्दी |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
आई॰एस॰ओ॰ ३१६६ कोड | IN-MP |
वाहन पंजीकरण | एमपी-35 |
वेबसाइट | www |
पन्ना (Panna) भारत के मध्य प्रदेश राज्य के पन्ना ज़िले में स्थित एक ऐतिहासिक नगर है। जिसे मूलतः राजगोंड क्षत्रिय द्वारा बसाया गया था। पन्ना बुंदेला क्षत्रियों मुख्य रूप से राजा छत्रसाल के शासन काल का ऐतिहासिक गवाह है।[1][2] पन्ना हीरों के लिए दुनिया भर में विख्यात है।
पन्ना जिले का नाम पन्ना जिला मुख्यालय के निकट पद्मावती देवी जी के मंदिर के नाम पर रखा गया है। पन्ना को महाराजा छत्रसाल की नगरी के नाम से भी जाना जाता है। पन्ना में हीरे की खदानें हैं, साथ ही यह अपने प्राचीन और खूबसूरत मंदिरों के लिए भी प्रसिद्ध है। इसी कारण इसे 'मंदिरों का शहर' भी कहा जाता है। यहां स्थित श्री प्राणनाथ जी और श्री बलदेव जी का मंदिर तीर्थयात्रियों के बीच प्रसिद्ध है।[3]
पन्ना एक पौराणेतहासिक नगर है इसका उल्लेख विष्णु पुराण और पद्मपुराण में किलकिल प्रदेश से आता है वाकटाक वंश की उत्पत्ति स्थल है। नागवंशी राजगोंड क्षत्रियो की कुलदेवी पद्मावती किलकिला नदी के तीरे विराजित हैं इसी कारण इसका नाम पद्मा और बाद में परना झिरना और पन्ना हुआ। राजगोंड राजवंश के बाद 1675 में बुंदेलखंड के शासक महाराजा छत्रसाल जूदेव बुंदेला द्वारा उनके आध्यात्मिक गुरु स्वामी प्राणनाथ के आदेश पर राजधानी बनाए जाने के कारण इस शहर का महत्त्व बढ़ गया। यहाँ स्थित ऐतिहासिक महत्त्व के भवनों में संगमरमर के गुंबद वाला स्वामी प्राणनाथ मंदिर (1795) और श्री बलदेवजी मंदिर शामिल हैं। और बुंदेलखण्ड के प्रसिद्ध श्री युगलकिशोर मंदिर में देश की भगवान श्रीकृष्ण का अष्टसिद्ध शालिगराम विग्रह है। पन्ना स्थित बलदेव मंदिर लंदन पैलेस श्रेणी पर आधारित है। पन्ना प्राणनाथ मंदिर प्रणामी संप्रदाय के लोगो का प्रमुख केंद्र है। यहां भारत का दुसरा सबसे प्राचीन एवं विशाल जगन्नाथ मंदिर स्थित है जिसका निर्माण 1817 में महराज किशोर सिंह जूदेव ने कराया था। प्रतिवर्ष यहां रथयात्रा का आयोजन भव्य स्वरूप में किया जाता है। महाभारत कालीन विराट नगर की पहचान यहां के बरहटा से की जाती है। 1921 में यहाँ नगरपालिका गठन हुआ था। इसके आसपास के क्षेत्र मुख्यत: भूतपूर्व पन्ना और अजयगढ़ रियासतों के हिस्से हैं। इसमें पन्ना श्रृंखला नामक पर्वतीय क्षेत्र भी शामिल है, जो विंध्य श्रृंखला की शाखा है। त्रेता युग में भगवान श्रीराम चित्रकूट होते हुये पंंन्ना से पवई तहशील आस पास प्रसिद्ध स्थल बृजपुर के निकट बृहस्पति कुंड , सारंगपूर के निकट सुुतीक्ष्ंण ऋषि का आश्रम, बडगांव के निकट ऋषि अग्निजिह का आश्रम सलेहा के निकट अगस्तमुनि का आश्रम, सिद्धनाथ आश्रम कुछ समय बिताया। चंद्रगुप्त के गुरु चाणक्य के जन्मस्थली सलेहा से 4 कि॰मी॰ दूर प्रसिद्ध चौमुखनाथ शिवमन्दिर है। पवई तहशील के निकट स्थित कलेही माता का मन्दिर , हनुभाटे चान्दे की प्रसिद्ध पहाड़िया, तेंदूघाट प्रसिद्ध स्थल है जो मनोहर स्थल हैं।
पन्ना एक ऐतिहासिक नगर यह नगर भारत के राज्य मध्य प्रदेश के उत्तरी भाग में स्थित है। बुंदेलखंड की रियासत के रूप में इस नगर को बुंदेला नरेश छत्रसाल ने औरंगजेब की मृत्यु (1707 ई.) के पश्चात् अपने राज्य की राजधानी बनाया। मुग़ल सम्राट बहादुरशाह ने 1708 ई.में महाराजा छत्रसाल बुंदेला की सत्ता को मान लिया। पन्ना में स्थित ऐतिहासिक महत्त्व के भवनों में संगमरमर के गुंबद वाला स्वामी प्राणनाथ मंदिर (1756 ई.) और श्री बलदेवजी मंदिर (1795 ई.)शामिल हैं। पन्ना में पद्मावती देवी का एक मंदिर है, जो उत्तर-पश्चिम में स्थित पौराणिक किल-किला नदी के पास आज भी स्थित है। स्थानीय जनश्रुति है कि प्राचीन काल में पन्ना की बस्ती किल-किला नदी के उस पार थी जहाँ राजगौंड(आदिवासी क्षत्रिय राजवंश) और कोल लोगों का राज्य था। पन्ना से 2 मील उत्तर की ओर महाराज छत्रसाल बुंदेला का पुराना महल आज भी खण्डहर रूप में विद्यमान है। पन्ना को अठारहवीं-उन्नीसवीं सदी में पर्णा भी कहते थे। यह नाम तत्कालीन राज्यपत्रों में उल्लिखित है।
पर्यटन स्थल
सिद्धनाथ मंदिर पटना तमोली जिला पन्ना मध्यप्रदेश
भगवान श्रीराम के वनवास का साक्षी रहे दिव्य स्थानों में से एक सिद्धनाथ है अगस्त ऋषि से भगवान श्रीराम की भेंट यही हुई थी। इसका प्रमाण रामायण में भी मिलता है। साथ ही राम वन पथ गमन मार्ग की खोज के दौरान पुरातत्व विभाग की टीम ने भी इसकी पुष्टि की थी। यह स्थान पन्ना जिला मुख्यालय से 60 किमी दूर पटना तमोली क्षेत्र में है, जिसे सिद्धनाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है। यहीं अगस्त ऋषि का आश्रम आज भी मौजूद है। यहां वे तपस्या किया करते थे।
अगस्त मुनि पन्ना जिले के पटना तमोली ग्राम के पास स्थित सिद्धनाथ क्षेत्र में आए थे और यहां उन्होंने तपस्या की थी। संत वेल कुडी का कहना है कि बाल्मीकी रामायण में भी इसका वर्णन मिलता है। तमिल भाषा संस्कृत के समकक्ष है और इसका प्रकाशन भी अगस्त मुनि ने किया था। बोधिगयी पहाड़ दक्षिण में है और वहां भी अगस्त जी ने तपस्या की थी। इसके बाद वे भारत की यात्रा पर निकले और उन्होंने पूरे भारत को एक सूत्र में पिरोया। दक्षिण भारत के प्रसिद्ध ग्रंथ आडिंवार में भी अगस्त मुनि का वर्णन मिलता है और यहां दर्शन कर हम लोग धन्य होते हैं।
सिद्धनाथ का मंदिर 6 ठी शताब्दी में बनाया गया था। अनोखी शिल्प कला के इस मंदिर के साथ कभी यहां 108 कुंडीय भव्य मंदिर भी हुआ करता था जिसके प्रमाण साफ देखे जा सकते हैं।
पन्ना में एक बाघ आरक्षित क्षेत्र है, जिसे पन्ना राष्ट्रीय उद्यान कहा जाता है।[4] पन्ना में बाघों की देख-रेख हाल के वर्षों में गिर गई है, और प्राकृतिक बाघों की आबादी के आंकड़े विवादास्पद हैं। यहाँ 2009 में योजना बना कर दो बाघों को स्थानांतरित किया गया, लेकिन एक नर बाघ गायब हो गया।[5] फिर वहाँ पुन: एक नर बाघ को वहां स्थानांतरित किया गया। पुनर्स्थापित बाघों में से एक ने यहाँ 2010 में तीन शावकों को जन्म दिया।[6]
पन्ना में हीरे की महत्त्वपूर्ण ख़ानें हैं, जिनमें 17वीं शताब्दी से खुदाई हो रही है। यह भारत में हीरा उत्पादन करने वाला एकमात्र खदान क्षेत्र है। पन्ना कृषि उत्पादों, इमारती लकड़ियों और वस्त्र व्यापार का केंद्र है; हथकरघा व बुनाई यहाँ के मुख्य उद्योग हैं। चावल, गेहूं, ज्वार और तिलहन यहाँ की मुख्य फ़सलें हैं। यहाँ कई मत्स्यपालन केंद्र भी हैं।
पन्ना में महाराजा छत्रसाल बुंदेला बुन्देलखंड विश्वविद्यालय छतरपुर से संबद्ध छत्रसाल बुंदेला महाविद्यालय हैं।
2011 में, पन्ना की जनसंख्या 1,016,520 थी, जिसमें पुरुष और महिलाएँ क्रमशः 533,480 और 483,040 थीं। 2024 में पन्ना की अनुमानित जनसंख्या 1.210,000 है |[7]
|title=
में 11 स्थान पर line feed character (मदद)