परम्बिकुलम बाघ अभयारण्य | |
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Parambikulam Tiger Reserve പറമ്പിക്കുളം കടുവാസങ്കേതം | |
आईयूसीएन श्रेणी चतुर्थ (IV) (आवास/प्रजाति प्रबंधन क्षेत्र) | |
अवस्थिति | पालक्काड़ ज़िला व त्रिस्सूर ज़िला, केरल, भारत |
निकटतम शहर | पालक्काड़ (90 किमी) |
निर्देशांक | 10°23′0″N 76°42′30″E / 10.38333°N 76.70833°Eनिर्देशांक: 10°23′0″N 76°42′30″E / 10.38333°N 76.70833°E |
क्षेत्रफल | 643.66 कि॰मी2 (248.52 वर्ग मील) |
स्थापित | 2009 |
आगंतुक | 100000 (2019 में) |
शासी निकाय | केरल वन विभाग |
वेबसाइट | www |
परम्बिकुलम बाघ अभयारण्य (Parambikulam Tiger Reserve) भारत के केरल राज्य के पालक्काड़ व त्रिस्सूर ज़िलों में 643.66 वर्ग किमी क्षेत्रफल पर विस्तारित एक वन्य अभयारण्य है। भूतपूर्व परम्बिकुलम वन्यजीव अभयारण्य (Parambikulam Wildlife Sanctuary), जिसका क्षेत्रफल 285 वर्ग किमी था, इसी बाघ अभयारण्य में सम्मिलित है। यह अभयारण्य आनेमलई पहाड़ियों और नेल्लियामपति पहाड़ियों के बीच सुंगम पहाड़ियों में फैला हुआ है।[1][2]
परम्बिकुलम वन्यजीव अभयारण्य सन् 1973 में स्थापित करा गया था।[3][4][5]पश्चिमी घाट, अनाइमलाई उपसमूह क्षेत्र और परम्बिकुलम वन्यजीव अभयारण्य सहित यह पूरा क्षेत्र यूनेस्को की विश्व विरासत समीति द्वारा एक विश्व धरोहर स्थल बनाए जाने के लिए विचाराधीन है।[6] यह अभयारण्य स्थानीय लोगों की 4 विभिन्न जनजातियों का घर है, इनमें छः बस्तियों में बसे काडर, मालासार, मुदुवर और मल मलसर शामिल हैं। 19 फ़रवरी 2010 को परम्बिकुलम वन्य जीवअभयारण्य को 390.88 वर्ग किलोमीटर (150.9 वर्ग मील) परम्बिकुलम टाइगर रिजर्व के एक भाग के रूप में घोषित किया गया।[7] [8]
यह अभयारण्य 76° 35’- 76° 50’ ई देशांतर और 10° 20’ – 10° 26’ एन अक्षांश के बीच स्थित है। यह पालक्कड शहर से 135 किमी और तमिलनाडु के पूर्व में अन्नामलाई वन्य जीव अभयारण्य के निकट स्थित है। उत्तर में इसकी सीमा नेमारा वन प्रभाग, दक्षिण में वेजाचल वन प्रभाग और पश्चिम में चलाकुडी वन प्रभाग से मिलती है। अभयारण्य का भूविज्ञान हॉर्नब्लेंड, बायोटाइट, शैल और क्रेनोकाइट से युक्त है।
इनकी ऊंचाई 300 है। थूथमपारा में अभयारण्य की उत्तरी सीमा पर नेल्लियमपथि पाहड़ियों से अन्नामलाई पाहड़ियों तक 600 मीटर की ऊंचाई है। अभयारण्य की प्रमुख चोटियां दक्षिण सीमा पर करीमाला (1438 मीटर), उत्तर में पंडारावराई (1290 मीटर), पूर्वी सीमा में कुच्चीमुड़ी, वेनगोली मालया (1120मीटर) पश्चिमी सीमा में पुल्लायप्पाड़म (1010 मीटर) हैं। अभयारण्य में तीन मनुष्य निर्मित जलाशय हैं: परम्बिकुलम, थुनाकदावू और पेरूवरिपल्लम और इनका सम्मलित क्षेत्र 20.66 वर्ग किलोमीटर है। थूवायर झरने इनमें से किसी एक जलाशय में जाकर खाली होते हैं। यहां पर 7 मुख्य घाटियां और परामबिकुलम, थेक्केडी और शोलायर नामक 3 बड़ी नदियां हैं। इस क्षेत्र में करापारा और कुरीअरकुट्टी नदियां भी बहती हैं। 3-डी स्थलाकृतिक मानचित्र देखें.
जंगल में पूर्व अनुमति के साथ ट्रेकिंग की जा सकती है। सम्पर्क करें: ईको केयर सेंटर, परम्बिकुलम वन्यजीव अभयारण्य, अनाप्पेडी, थुनकादावू (पीओ), पोलाची (विया), पालक्काड, केरल - 661 678.फोनः 04253 – 245025 जलाशय में नौकाविहार किया जा सकता है। यहां पर थुनकादावू गांव के पास ही एशिया का सबसे बड़ा केन्नीमेर सौगान का पेड़ भी है।
पारम्बिकुल्लम के मुख्यालय थुनकादावू में आरक्षित वन क्षेत्र में एक वृक्ष-गृह (ट्री हाउस) भी है जिसे पहले से आरक्षित करना पड़ता है। थुनकादावू थिल्लिकली और इलाथोड में बने राज्य वन विभाग के रेस्ट हाउस आरामदायक रहन-सहन प्रदान करते हैं।[9]
तमिलनाडु के पोलाची से सड़क द्वारा परम्बिकुलम पहुंचा जा सकता है। पालक्कड से पोलाची 45 किलोमीटर की दूरी पर है, फिर पोलाची से परम्बिकुलम 65 किमी की दूरी पर है। निकटतम रेलवे स्टेशन पोलाची में है और निकटतम हवाईअड्डा पलक्कड से 120 किमी पर कोयंबटूर, तमिलनाडु में है।
अभयारण्य में विविध प्रकार के जीव बड़ी मात्रा में पाए जाते हैं इनमें शामिल हैं: स्तनधारियों की 39 प्रजातियां, एम्फीबिया की 16 प्रजातियां, पक्षियों की 268 प्रजातियां, मछली की 47 प्रजातियां, 1049 प्रजातियों के कीड़े-मकोड़ों और तितिलयों की 124 प्राजातियां.
अभयारण्य में मुख्यतः सागौन, रोसवुड, चंदन और, नीम जैसे कई किस्म के पेड़ मौजूद हैं। यहां तक कि अब तक का सबसे पुराना सागौन का पेड़ केनीमारा भी यहीं हैं। यह लगभग 450 साल पुराना है और अविश्वसनीय रूप से इसकी परिधि 6.8 मीटर और ऊंचाई 49.5 मीटर है। इसे भारत सरकार का महावृक्ष पुरस्कार प्रदान किया गया है।
अप्रैल 2007 में परम्बिकुलम वन्यजीव अभयारण्य और नेल्लियमपथि जंगलों के आसपास के कुछ हिस्सों में लगी आग के कारण सैंकड़ों एकड़ वन्य इलाके और वृक्ष नष्ट हो गया। आग बेरोजगार अग्निशमन कर्मचारियों और शहद इकट्ठा करने वालों ने लगाई थी। आग का एक कारण पूर्वी क्षेत्र में मानसून पूर्व बारिश का अभाव होना भी रहा. इस क्षेत्र में जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल के दौरान बारिश होती है। इस वर्ष, जनवरी में यहाँ केवल 4 मिमी बारिश हुई और उसके बाद दोबारा बारिश नही हुई. गर्मियों में नेल्लियमपथि को अभूतपूर्व सूखे का सामना करना पड़ा. अप्रैल में अधिकत्तम तापमान 34o सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 26o तक पहुंच गया।[12]
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में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
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