पाकिस्तान का संविधान | |
सृजन | १९ अप्रैल १९७३ |
अनुमोदित | १४ अगस्त १९७३ |
स्थान | इस्लामाबाद |
लेखक | बारहवीं संसद |
हस्ताक्षरकर्ता | बारहवीं संसद (एकमत) |
उद्देश्य | पाकिस्तानी संविधान, १९६२ और कानूनी ढांचा आदेश, १९७० को बदलने के लिये |
पाकिस्तान की राजनीति और सरकार पर एक श्रेणी का भाग |
संविधान |
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पाकिस्तान का संविधान (उर्दू: آئین پاکستان;आईन-(ए)-पाकिस्तान) या दस्तूर-ए-पाकिस्तान उर्दू: دستور پاکستان) को १९७३ की विधि भी कहते हैं। यह पाकिस्तान का सर्वोच्च विधान है।[1] पाकिस्तान का संविधान संविधान सभा द्वारा अप्रैल 10, 1973 को पारित हुआ तथा अगस्त 14, 1973 से प्रभावी हुआ।[2] इस का प्रारूप जुल्फिकार अली भुट्टो की सरकार और विपक्ष ने मिल कर तैयार किया। ये पाकिस्तान का तीसरा संविधान है और इसमें कई बार संशोधन किया जा चुका है।
1950 में भारत में संविधान के परवर्तन के बाद, पाकिस्तान के सांसदों ने अपने संविधान को गठित करने के प्रयास तेज़ कर दिए। प्रधानमन्त्री मोहम्मद अली और उनकी सरकार के अधिकारियों ने देश में विपक्षी दलों के सहयोग के साथ पाकिस्तान के लिए एक संविधान तैयार करने के लिए काम किया। [3]
अन्त में, इस संयुक्त कार्य के कारण, संविधान के पहले समूच्चय को लागू किया गया। यह घटना 23 मार्च 1956 को हुई थी, इस दिन को आज भी पाकिस्तान के संविधान के प्रवर्तन के उपलक्ष्य में गणतंत्रता दिवस(या पाकिस्तान दिवस) मनाता है। इस संविधान ने पाकिस्तान को "एकसदनीय विधायिका" के साथ सरकार की संसदीय प्रणाली प्रदान की। साथ ही, इसने आधिकारिक तौर पर पाकिस्तान को एक इस्लामी गणराज्य घोषित भी किया(इसी के साथ पाकिस्तान विश्व की पहली इस्लामी गणराज्य बन गई)। इसके अलावा, इसमें, समता के सिद्धान्त को भी पहली बार पेश किया गया था।
संविधान द्वारा, इस्कंदर मिर्जा ने अध्यक्ष पद ग्रहण किया, लेकिन राष्ट्रीय मामलों में उनकी लगातार असंवैधानिक भागीदारी के कारण, चार निर्वाचित प्रधानमंत्रियों को मात्र दो सालों में ही बर्खास्त कर दिया गया। जनता के दबाव के तहत, राष्ट्रपति इस्कंदर मिर्जा ने 1958 में तख्तापलट को वैध ठहराया; और इस प्रकार यह संविधान लगभग निलम्बित हो गया। शीघ्र ही बाद में जनरल अयूब खान ने इस्कन्दर मिर्जा अपदस्थ और खुद को राष्ट्रपति घोषित कर दिया। और इसलिए इस यह संविधान केवल 3 वर्ष के लिए ही चल पाया।
17 फरवरी 1960, को अयूब खान ने देश के भविष्य के राजनीतिक ढाँचे पर रिपोर्ट करने के लिए एक आयोग की नियुक्ति की। आयोग पाकिस्तान के पूर्व मुख्य न्यायाधीश, मोहम्मद शहाबुद्दीन की अध्यक्षता में दस अन्य सदस्यों के साथ गठित की गई थी। इसमें पूर्वी पाकिस्तान से पाँच सदस्य और पाँच पश्चिमी पाकिस्तान से भी पाँच सदस्य थे। यह पूर्णतः सेवानिवृत्त न्यायाधीशों, वकीलों, उद्योगपतियों और जमींदारों से बना था। इस संविधान आयोग की रिपोर्ट को 6 मई 1961 को राष्ट्रपति अयूब के समक्ष प्रस्तुत की गई और राष्ट्रपति और उनके मन्त्रिमण्डल द्वारा जाँच के पश्चात जनवरी 1962 में, कैबिनेट अन्त में नए संविधान के मूल पाठ को मंजूरी दे दी गई। इसे राष्ट्रपति अयूब द्वारा 1 मार्च 1962 को लागू किया गया था और अन्त में 8 जून 1962 को यह प्रभाव में आया। यह संविधान निहित 250 अनुच्छेद और बारह भागों और तीन कार्यक्रम में बाँटा गया था।
पिछले संविधान की तरह ही इसमें भी पाकिस्तान को इस्लामी मूल्यों पर बनाने की बात की गई थी और एकसदनीय विधायिका को तथस्त रखा गया था। परन्तु 1956 के संविधान के मुकाबले इस संविधान की परियोजनाओं के मुताबिक पाकिस्तान के राष्ट्रपति को अनेक कर्याधिकार दिये गए थे, और मूलतः एक अध्यक्षीय व्यवस्था गठित की गई थी।
१९५६ के संविधान की तरह ही 1962 का संविधान भी अधिक समय तक नहीं रह पाया। पाकिस्तान में दूसरा मार्शल लॉ(सैन्य शासन), 26 मार्च 1969 को लगाया गया था जब राष्ट्रपति अयूब खान ने 1962 में संविधान निराकृत किया और सेना के कमाण्डर-इन-चीफ़ जनरल आगा मोहम्मद याह्या खान को सत्ता सौंप दिया। राष्ट्रपति पद संभालने पर, जनरल याह्या खान पश्चिम पाकिस्तान में लोकप्रिय माँग पर एक इकाई व्यवस्था को खत्म कर दिया और एक आदमी एक वोट के सिद्धान्त पर आम चुनाव का आदेश दिया।[4]
1970 के संवैधानिक संकट के बाद नई सरकार के लिए सबसे महत्वपूर्ण कार्यों में से एक एक नए संविधान का मसौदा तैयार करना था। 1971 में पूर्वी पाकिस्तान के विभाजन के बाद 1972 को 1970 के चुनाव के आधार पर विधायिका बनाई गई। एक समिति विभिन्न राजनीतिक दलों के पार अनुभाग से स्थापित की गई। इस समिति का उद्देश्य देश में एक संविधान बनाना था, जिस पर सभी राजनीतिक पार्टियाँ सहमत हूँ। समिति के अन्दर एक अन्तर यह था कि क्या देश में संसदीय सत्ता प्रणाली होनी चाहिए या राष्ट्रपति प्रणाली। इसके अलावा प्रान्तीय स्वायत्तता के मुद्दे पर अलग अलग विचार थे। संवैधानिक समिति ने अपनी रिपोर्ट तैयार करने में आठ महीने किए, अन्ततः 10 अप्रैल 1973 को समिति ने, संविधान के बारे में अपनी रिपोर्ट पेश की। संघीय विधानसभा(नेशनल असेम्ब्ली) में बहुमत यानी 135 सकारात्मक मतों के साथ यह अपनाया गया और 14 अगस्त 1973 को यह संविधान पाकिस्तान में लागू कर दिया गया।
पाकिस्तानी संविधान में बारह भाग और पाँच अनुसूचियाँ हैं, इसके अलावा संविधान के प्रस्तावना के रूपमें ऑब्जेक्टिव्स रेज़ोल्यूशन(उद्देश्य संकल्प) को भी, बतौर पूरकांश, 1985 में जोड़ा गया है। इसके अलावा संविधान में 21 संशोधन भी हैं, जिन्हें भिन्न अवसरों पर संविधान में जोड़ा गया है।
संविधान के भिन्न-भिन्न लेखों को संविधान के निम्नलिखित भागों में बाँटा गया है:
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अनुसूचियां संविधान में दी गई सूचना है जो सरकारी नीति और नौकरशाही गतिविधियों को श्रेणीबद्ध और सारणीबद्ध करती है:
पाकिस्तान के पीछे संविधानों में दिए गए प्रावधानों के विरुद्ध इस संविधान में संशोधन पाकिस्तान कि संसद की मंजूरी से ही लाया जा सकता है मौजूदा कानून के अनुसार संशोधन के लिए प्रस्ताव संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत से पारित होना चाहिए। इसके अलावा संधत्व-संबंधिन प्रस्तावों को प्रांतीय विधायिकाओं में भी पारित होना होगता है। मौजूदा संविधान में लाए गए संशोधनों की सूची नीचे दी गई है:
ऑब्जेक्टिव्स रेज़ोल्यूशन (उद्देश्य संकल्प) को 1946 में पाकिस्तानी संविधानसभा में, बतौर नीति-निर्देशक, पारित किया गया था। 1985 में इसे संविधान में प्रस्तावना के रूप में संकलित किया गया था। इसका पाठ इस प्रकार है :
क्रमाङ्क | असली अंग्रेज़ी संस्करण | हिन्दी अनुवाद |
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१) | Sovereignty over the entire universe belongs to Allah Almighty alone and the authority which He has delegated to the state of Pakistan, through its people for being exercised within the limits prescribed by Him is a sacred trust. | सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड पर सम्प्रभुता केवल अल्लाह सर्वशक्तिमान के अन्तर्गत आती है और जो अधिकार उन्होंने पाकिस्तान के लोगों के माध्यम से पाकिस्तान राज्य को सौंपा है, उनके द्वारा पूर्वनिर्धारित सीमाओं के भीतर ही प्रयोग करने हेतु, एक पवित्र विश्वास है। |
२) | This Constituent Assembly representing the people of Pakistan resolves to frame a constitution for the sovereign independent state of Pakistan. | यह संविधान सभा जो कि पाकिस्तानी लोगों का प्रतिनिधित्व करते हुए सम्पूर्ण प्रभुत्व-सम्पन्न स्वतन्त्र पाकिस्तानी राज्य हेतु एक संविधान रचने सङ्कल्प लेती है। |
३) | The state shall exercise its powers and authority through the chosen representatives of the people. | राज्य लोगों द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों के माध्यम से अपनी शक्तियों और अधिकार का प्रयोग करेगा। |
४) | The principles of democracy, freedom, equality, tolerance and social justice, as enunciated by Islam, shall be fully observed. | इस्लाम द्वारा प्रतिपादित लोकतन्त्र, स्वतन्त्रता, समानता, सहिष्णुता और सामाजिक न्याय के सिद्धान्तों का पूरी तरह से पालन किया जायेगा।' |
५) | The Muslims shall be enabled to order their lives in the individual and collective spheres in accordance with the teachings and requirements of Islam as set out in the Holy Quran and Sunnah. | मुसलमान पवित्र कुरान और सुन्नत द्वारा रखे गए शिक्षाओं और अवश्यक्ताओं के अनुसार व्यक्तिगत और सामूहिक क्षेत्रों में अपने जीवन को निर्देशित करने के लिये सक्षम होंगे। |
६) | Adequate provision shall be made for the minorities to freely profess and practice their religions and develop their cultures. | अल्पसंख्यकों के लिये पर्याप्त प्रावधान किये जाएँगे ताकी वे स्वतन्त्र रूप से अपने धर्मों का पालन कर सकें और अपनी संस्कृतियों को विकसित कर सकें। |
७) | Pakistan shall be a federation and its constituent units will be autonomous. | पाकिस्तान एक सन्धानराज्य (Federation state) होगा और उसकी घटक इकाइयाँ स्वायत्त होंगी। |
८) | Fundamental rights shall be guaranteed. They include equality of status, of opportunity and before law, social, economic and political justice, and freedom of thought, expression, belief, faith, worship and association, subject to law and public morality. | मौलिक अधिकारों का आश्वासन दिया जाएगा इनमें स्थिति, अवसर और कानूनी समानता; सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय और सोचा, अभिव्यक्ति, विश्वास, आस्था, पूजा और सभा करने की स्वतन्त्रता, कानून और सार्वजनिक नैतिकता के अधीन शामिल हैं। |
९) | Adequate provisions shall be made to safeguard the legitimate interests of minorities and backward and depressed classes. | अल्पसंख्यकों और पिछड़े और दलित वर्गों के वैध हितों की रक्षा करने के लिए पर्याप्त प्रावधान किये जायेंगे। |
१०) | The independence of the judiciary shall be fully secured. | न्यायपालिका की स्वतंत्रता को पूरी तरह से सुरक्षित किया जायेगा। |
११) | The integrity of the territories of the federation, its independence and all its rights, including its sovereign rights on land, sea and air shall be safeguarded. | महासंघ के राज्यक्षेत्र की अखण्डता, उनकी स्वतन्त्रता और भूमि, समुद्र और वायु पर उनके सम्पूर्ण प्रभुत्व-सम्पन्न अधिकारों सहित उनके सभी अधिकारों की रक्षा की जाएगी। |
१२) | The people of Pakistan may prosper and attain their rightful and honored place among the nations of the world and make their full contribution towards international peace and progress and happiness of humanity. | पाकिस्तान के लोगों को समृद्ध और दुनिया के देशों के बीच अपनी सही और सम्मानित स्थान प्राप्त करने और अंतरराष्ट्रीय शांति और प्रगति और मानवता की खुशी के प्रति अपनी पूर्ण योगदान कर सकें। |
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(मदद)