पितृ

पितृ हिंदू धर्म में दिवंगत पूर्वजों की आत्माएं हैं। किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद , अंत्येष्टि (अंतिम संस्कार) करने से मृतक को अपने पूर्वजों के निवास स्थान पितृलोक में प्रवेश करने की अनुमति मिलती है। ऐसा माना जाता है कि इन अनुष्ठानों का पालन न करने पर बेचैन प्रेत के रूप में पृथ्वी पर भटकना पड़ता है।[1]

पितृरों की पूजा के लिए अमावस्या (अमावस्या दिवस),[2]के साथ-साथ हिंदू महीने अश्विन के दौरान पितृपक्ष के अवसर की प्रतीक्षा की जाती है। [3][4]

सन्दर्भ

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  1. Cush, Denise; Robinson, Catherine; York, Michael (2012-08-21). Encyclopedia of Hinduism (अंग्रेज़ी में). Routledge. पृ॰ 599. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-135-18978-5.
  2. Bhatt, Dr G. P.; Deshpande, Dr N. A. (2013-01-01). The Padma-Purana Part 2: Ancient Indian Tradition and Mythology Volume 40 (अंग्रेज़ी में). Motilal Banarsidass. पृ॰ 688. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-208-3907-6.
  3. Buck, Cecil Henry (1977). Faiths, Fairs & Festivals of India (अंग्रेज़ी में). Asian Educational Services. पृ॰ 98. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-206-1304-1.
  4. Melton, J. Gordon (2011). Religious Celebrations: An Encyclopedia of Holidays, Festivals, Solemn Observances, and Spiritual Commemorations (अंग्रेज़ी में). ABC-CLIO. पृ॰ 698. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-59884-205-0.

बाहरी कड़ियाँ

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