किसी पुरुष के लिए पितृत्व या बाप बनने का एहसास बच्चे के जन्म के बाद धीरे-धीरे होता है। परन्तु महिला को मातृत्व का एहसास को तत्काल होता है क्योंकि नवजात उसी की कोख से निकलता है। इसी कारण बच्चों की आवशयकता पहले माँ को पता चलती है कि कब उसे भूख लगी है, कब उसे नींद आ रही है, कब वह मस्ती के मूड में है या सिर्फ चिड़चिड़ापन है। केवल उसे देखकर और एक ककर्श आवाज़ सुनकर जो किसी और को सुनाई नहीं देती, उसे यह भी पता चल जाता था कि बच्चा शौच कर रहा है। [1]
इसके बावजूद भी बाप माँ के बाद बच्चों के सबसे बड़े शुभचिंतक होते हैं और देखरेख के बड़े दायित्व का निर्वाह वे करते हैं।