पी॰ टी॰ उषा | |
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जन्म |
पिलावुळ्ळकण्टि तेक्केपरम्पिल् उषा[1] 27 जून 1964 पय्योली, कोज़िकोड, केरल, भारत |
आवास | पय्योली, कोज़िकोड |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
उपनाम | पय्योली एक्स्प्रेस, सुनहरी कन्या |
पेशा | धावक |
संगठन | भारतीय रेल |
ऊंचाई | ५'७ |
प्रसिद्धि का कारण | पद्म श्री |
जीवनसाथी | वी श्रीनिवासन |
बच्चे | उज्ज्वल |
माता-पिता | पैतल, लक्ष्मी |
वेबसाइट ptusha.org |
पिलावुळ्ळकण्टि तेक्केपरम्पिल् उषा (मलयालम: പിലാവുളളകണ്ടി തെക്കേപറമ്പില് ഉഷ) (जन्म २७ जून १९६४), भारत के केरल राज्य की एथलीट हैं। वे आमतौर पर पी॰ टी॰ उषा के नाम से जानी जाती हैं, । "भारतीय ट्रैक और फ़ील्ड की रानी" मानी जानी वाली पी॰ टी॰ उषा भारतीय खेलकूद में १९७९ से हैं। वे भारत के अब तक के सबसे अच्छे खिलाड़ियों में से हैं।[2] उन्हें "पय्योली एक्स्प्रेस" नामक उपनाम दिया गया था।
पी॰ टी॰ उषा का जन्म केरल के कोज़िकोड जिले के पय्योली ग्राम में हुआ था। १९७६ में केरल राज्य सरकार ने महिलाओं के लिए एक खेल विद्यालय खोला और उषा को अपने जिले का प्रतिनिधि चुना गया।
१९७९ में उन्होंने राष्ट्रीय विद्यालय खेलों में भाग लिया, जहाँ ओ॰ ऍम॰ नम्बियार का उनकी ओर ध्यानाकर्षित हुआ, वे अंत तकha उनके प्रशिक्षक रहे। १९८० के मास्को ओलम्पिक में उनकी शुरुआत कुछ खास नहीं रही। १९८२ के नई दिल्ली एशियाड में उन्हें १००मी व २००मी में रजत पदक मिला, लेकिन एक वर्ष बाद कुवैत में एशियाई ट्रैक और फ़ील्ड प्रतियोगिता में एक नए एशियाई कीर्तिमान के साथ उन्होंने ४००मी में स्वर्ण पदक जीता। [तथ्य वांछित] । १९८३-८९ के बीच में उषा ने एटीऍफ़ खेलों में १३ स्वर्ण जीते। १९८४ के लॉस ऍंजेलेस ओलम्पिक की ४०० मी बाधा दौड़ के सेमी फ़ाइनल में वे प्रथम थीं, पर फ़ाइनल में पीछे रह गईं। मिलखा सिंह के साथ जो १९६० में हुआ, लगभग वैसे ही तीसरे स्थान के लिए दाँतों तले उँगली दबवा देने वाला फ़ोटो फ़िनिश हुआ। उषा ने १/१०० सेकिंड की वजह से कांस्य पदक गँवा दिया। ४००मी बाधा दौड़ का सेमी फ़ाइनल जीत के वे किसी भी ओलम्पिक प्रतियोगिता के फ़ाइनल में पहुँचने वाली पहली महिला और पाँचवी भारतीय बनीं।
१९८६ में सियोल में हुए दसवें एशियाई खेलों में दौड़ कूद में, पी॰ टी॰ उषा ने ४ स्वर्ण व १ रजत पदक जीते। उन्होंने जितनी भी दौड़ों में भागल लिया, सबमें नए एशियाई खेल कीर्तिमान स्थापित किए। १९८५ के में जकार्ता में हुई एशियाई दौड-कूद प्रतियोगिता में उन्होंने पाँच स्वर्ण पदक जीते। एक ही अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में छः स्वर्ण जीतना भी एक कीर्तिमान है।[तथ्य वांछित]
उषा ने अब तक १०१ अतर्राष्ट्रीय पदक जीते हैं। वे दक्षिण रेलवे में अधिकारी पद पर कार्यरत हैं। १९८५ में उन्हें पद्म श्री व अर्जुन पुरस्कार दिया गया।
Medal record | ||
[[Image:|Center|100px]] पी॰ टी॰ उषा | ||
महिलाओं की दौड़-कूद | ||
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एशियाई खेल | ||
रजत | 1982 नई दिल्ली | 2 |
स्वर्ण | 1986 सियोल | 4 |
रजत | 1986 | 1 |
रजत | 1990 बीजिंग | 3 |
रजत | 1994 हिरोशिमा | 1 |
कराची अंतर्राष्ट्रीय आमंत्रण खेलों में ४ स्वर्ण पदक प्राप्त किए।
हिसार अंतर्राष्ट्रीय आमंत्रण खेलों में १ स्वर्ण पदक प्राप्त किया। लुधियाना अंतर्राष्ट्रीय आमंत्रण खेलों में २ स्वर्ण पदक प्राप्त किए।
नई दिल्ली एशियाई खेलों में २ रजत पदक जीते।
नई दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय आमंत्रण खेलों में २ स्वर्ण पदक प्राप्त किए।
प्राग के विश्व ग्रां प्री खेल में ४००मी बाधा दौड़ में ५वाँ स्थान
लंदन के विश्व ग्रां प्री खेल में ४००मी बाधा दौड़ में कांस्य पदक
ब्रित्स्लावा के विश्व ग्रां प्री खेल में ४००मी बाधा दौड़ में रजत पदक
पेरिस के विश्व ग्रां प्री खेल में ४००मी बाधा दौड़ में ४था स्थान
बुडापेस्ट के विश्व ग्रां प्री खेल में ४००मी दौड़ में कांस्य पदक
लंदन के विश्व ग्रां प्री खेल में रजत पदक
ओस्त्रावा के विश्व ग्रां प्री खेल में रजत पदक
कैनबरा के विश्व कप खेलों में ४००मी बाधा दौड़ में ५वाँ स्थान व ४००मी में ४था स्थान
जकार्ता की एशियाई दौड़-कूद प्रतियोगिता में ५ स्वर्ण व १ कांस्य पदक
सियोल के एशियाई खेलों में ४ स्वर्ण व १ रजत पदक
मलेशियाई मुक्त दौड़ प्रतियोगिता में १ स्वर्ण पदक
सिंगापुर के लायंस दौड़ प्रतियोगिता में ३ स्वर्ण पदक
नई दिल्ली के चार राष्ट्रीय आमंत्रिण खेलों में २ स्वर्ण पदक
कुआला लंपुर की मलेशियाई मुक्त दौड़ प्रतियोगिता में २ स्वर्ण पदक
नई दिल्ली के अंतर्राष्ट्रीय आमंत्रिण खेलों में ३ स्वर्ण पदक
कलकत्ता दक्षिण एशिया संघ खेलों में ५ स्वर्ण पदक
रोम में दौड की विश्व चैंपियनशिप में भाग लिया। ४००मी बाधा दौड़ के फ़ाइनल में प्रवेश पाने वाली वे पहली भारतीय बनीं।
नई दिल्ली में ओलंपिक पूर्व दौड़ प्रतियोगिता में २ स्वर्म पदक
सियोल ओलंपिक में ४००मी बाधा दौड़ में हिस्सा लिया।
कलकत्ता में अंतर्राष्ट्रीय आमंत्रण खेलों में ३ स्वर्ण पदक
मलेशियाई मुक्त दौड़ प्रतियोगिता में ४ स्वर्ण पदक
पुणे के अंतर्राष्ट्रीय अनुमति खेलों में १ कांस्य पदक
पुणे के अंतर्राष्ट्रीय अनुमति खेलों में १ कांस्य पदक
पुणे के अंतर्राष्ट्रीय अनुमति खेलों में १ रजत पदक
नई दिल्ली में राजा भालेंद्र सिंह दौड़ प्रतियोगिता में २ स्वर्ण व १ रजत पदक बैंकाक एशियाई खेलों में ४x४०० रिले दौड़ में १ रजत पदक
नई दिल्ली में राजा भालेंद्र सिंह दौड़ प्रतियोगिता में 1 स्वर्ण पदक
जकार्ता, इंडोनेशिया में १९८५ की एशियाई दौड़-कूद प्रतियोगिता में उषा ने १००, २००, ४००, ४०० बाधा व ४x४०० रिले में ५ स्वर्ण जीते। उन्होंने ४x४०० रिले में कांस्य भी जीता। किसी भी महिला द्वारा किसी एक ही दौड़ प्रतियोगिता में सबसे अधिक पदक जीतने का यह कीर्तिमान है। [तथ्य वांछित]
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भारत की ५० सार्वाधिक ओजस्वी महिलाएँ (आईऍसबीऍन ८१-८८०८६-१९-३), इंद्र गुप्त द्वारा