पूजा ढांडा (जन्म: 01 जनवरी 1994) हरियाणा में हिसार ज़िले के बुढ़ाना से फ्रीस्टाइल कुश्ती लड़नेवाली पहलवान हैं.[1]
पूजा ने 2018 में हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में विश्व प्रतियोगिता के 57 किलो भार वर्ग में कांस्य पदक, 2010 के यूथ ओलंपिक में रजत पदक और 2018 के गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ खेलों में 60 और 57 किलो भार वर्ग में जीत हासिल की. पूजा ने ओलंपिक और विश्व चैम्पियनशिप पदक विजेताओं को भी हराया है.[2] पूजा ढांडा को कुश्ती में उनके शानदार प्रदर्शन के लिए भारत सरकार ने अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया है.[3]
पूजा ढांडा की माँ कमलेश ढांडा और पिता अजमेर खुद एथलीट रहे हैं |[4] बचपन में पूजा ने पहले जूडो खेलना शुरू किया. 2007 में उन्हें अपनी उम्र के कारण जूडो को चुनना पड़ा (कुश्ती महासंघ की प्रतियोगिताओं में शामिल होने के लिए निश्चित आयु प्राप्त करना आवश्यक है).
पूजा ने जूडो में राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीते और रिकॉर्ड भी बनाए. 2007 में उन्होंने पहली बार हैदराबाद में एशियाई कैडेट जूडो चैम्पियनशिप में कांस्य पदक फिर अगले ही साल अपने प्रदर्शन को सुधारते हुए 2008 में स्वर्ण पदक अपने नाम किया.[5] [6]
इन उपलब्धियों के बावजूद, भारत के पूर्व पहलवान और कोच कृपा शंकर बिश्नोई ने जुडोका पूजा को कुश्ती में अपना करियर बनाने की सलाह दी. पूजा ने उनकी सलाह मानी और 2009 में हिसार के रहने वाले कोच सुभाष चंदर से कुश्ती सीखने लगीं.[7] एक ही साल में पूजा को कुश्ती में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सफलता मिली जब 2010 में उन्होंने सिंगापुर में समर यूथ ओलंपिक में रजत पदक हासिल किया.[8] पूजा ने 2013 में राष्ट्रीय प्रतियोगिता के फ़ाइनल में प्रसिद्ध पहलवान बबीता फोगट के ख़िलाफ़ जीत दर्ज की और 2014 में एशियाई चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीता. लेकिन 2015 में एक लिगामेंट चोट ने उनके करियर को लगभग ख़त्म ही कर दिया.[9]
उन्हें मुंबई में एक सर्जरी करवानी पड़ी और लंबे इलाज से गुज़रना पड़ा. सरकार ने उनके इलाज में मदद की, लेकिन स्वास्थ्य लागत, फिजियोथेरेपिस्ट की फ़ीस और किराए ने युवा पहलवान के लिए बहुत मुश्किलें पैदा कीं। हरियाणा के खेल विभाग में कुश्ती कोच के रूप में कार्यरत पूजा उस दौरान अवैतनिक अवकाश पर थीं.[10]
जूडो से 2009 में कुश्ती में आने के बाद ढांडा ने पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा में 2010 यूथ ओलंपिक के 60 किलो भार वर्ग में पोडियम का स्वाद चखा.[11] 2013 में उन्होंने पहली बार वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में भाग लिया लेकिन पहले राउंड में हारने के बाद वो स्पर्धा से बाहर हो गईं.[12] हालाँकि, उसी वर्ष वह फ़ाइनल में बबीता फोगट को हराकर राष्ट्रीय चैंपियन बनीं. अगले वर्ष 2014 में अस्ताना में हुए एशियाई कुश्ती चैम्पियनशिप में कांस्य पदक हासिल किया।
2017 में, पूजा ने राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में जीत के साथ अखाड़े में शानदार वापसी की. 2018 में उन्होंने प्रो रेसलिंग लीग सीज़न 3 में ओलंपिक चैंपियन हेलेन मारुलिस को दो बार हराया. इसके बाद कॉमनवेल्थ खेलों में रजत पदक और उसी वर्ष विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीता.[13] पूजा को खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए 2019 में भारत के प्रतिष्ठित अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
भारत का प्रतिनिधित्व
वर्ष | पदक | इवेंट | स्थान | वेट क्लास |
2018 | सिल्वर | कॉमनवेल्थ गेम्स | गोल्ड कोस्ट | 57 kg[14] |
2018 | कांस्य | विश्व चैंपियनशिप | बुडापेस्ट | 57 kg[15] |
2017 | कांस्य | एशियाई इंडोर और मार्शल आर्ट्स चैंपियनशिप | अश्गाबात | 58kg |
2014 | कांस्य | एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप | अस्ताना | 58kg |
2010 | सिल्वर | यूथ ओलंपिक गेम्स | सिंगापुर | 60 kg |