पृथ्वी का भूवैज्ञानिक इतिहास इसके शैलों के स्तरों के अध्ययन के आधार पर निकाला जाता है। पृथ्वी का निर्माण लगभग 4.54 बिलियन वर्ष पूर्व हुआ।
प्रारंभ में पृथ्वी चट्टानी, गर्म और वीरान ग्रह थी, जिसका वायुमंडल विरल था जो हाइड्रोजन व हीलीयम से बना था। आज से 460 करोड़ सालों के दौरान इस ग्रह पर जीवन का विकास हुआ।
पृथ्वी की संरचना परतदार है। वायुमंडल के बाहरी छोर से पृथ्वी के क्रोड तक जो पदार्थ हैं वे एक समान नहीं हैं। वायुमंडलीय पदार्थ का घनत्व सबसे कम है। पृथ्वी की सतह से इसके भीतरी भाग तक अनेक मंडल हैं और हर एक भाग के पदार्थ की अलग विशेषताएँ हैं।
ग्रहाणु व दूसरे खगोलीय पिंड ज्यादातर एक जैसे ही घने और हल्के पदार्थों के मिश्रण से बने हैं। उल्काओं के अध्ययन से हमें इस बात का पता चलता है। बहुत से ग्रहाणुओं के इकट्ठा होने से ग्रह बनें। पृथ्वी की रचना भी इसी प्रकम के अनुरूप हुई है। जब पदार्थ गुरुत्वबल के कारण संहत हो रहा था, तो उन इकट्ठा होते पिंडों ने पदार्थ को प्रभावित किया। इससे अत्यध्कि ऊष्मा उत्पन्न हुई। यह क्रिया जारी रही और उत्पन्न ताप से पदार्थ पिघलने/गलने लगा। ऐसा पृथ्वी की उत्पत्ति के दौरान और उत्पत्ति के तुरंत बाद हुआ। अत्यध्कि ताप के कारण, पृथ्वी आंशिक रूप से द्रव अवस्था में रह गई और तापमान की अधिकता के कारण ही हल्के और भारी घनत्व के मिश्रण वाले पदार्थ घनत्व के अंतर के कारण अलग होना शुरू हो गए। इसी अलगाव से भारी पदार्थ (जैसे लोहा), पृथ्वी के केन्द्र में चले गए और हल्के पदार्थ पृथ्वी की सतह या ऊपरी भाग की तरफ आ गए। समय के साथ यह और ठंडे हुए और ठोस रूप में परिवर्तित होकर छोटे आकार के हो गए। अंततोगत्वा यह पृथ्वी की भूपर्पटी के रूप में विकसित हो गए। हल्के व भारी घनत्व वाले पदार्थों के पृथक होने की इस प्रक्रिया को विभेदन (Differentiation) कहा जाता है। चंद्रमा की उत्पत्ति के दौरान, भीषण संघट्ट (Giant impact) के कारण, पृथ्वी का तापमान पुनः बढ़ा या फिर ऊर्जा उत्पन्न हुई और यह विभेदन का दूसरा चरण था। विभेदन की इस प्रक्रिया द्वारा पृथ्वी का पदार्थ अनेक परतों में अलग हो गया। पृथ्वी के धरातल से क्रोड तक कई परतें पाई जाती हैं। जैसे: पर्पटी (Crust), प्रावार (Mantle), बाह्य क्रोड (Outer core) और आंतरिक क्रोड (Inner core)। पृथ्वी के ऊपरी भाग से आंतरिक भाग तक पदार्थ का घनत्व बढ़ता है।
पृथ्वी के वायुमंडल की वर्तमान संरचना में नाइट्रोजन एवं ऑक्सीजन का प्रमुख योगदान है। वर्तमान वायुमंडल के विकास की तीन अवस्थाएँ हैं। इसकी पहली अवस्था में आदिकालिक वायुमंडलीय गैसों का ह्रास है। दूसरी अवस्था में, पृथ्वी के भीतर से निकली भाप एवं जलवाष्प ने वायुमंडल के विकास में सहयोग किया। अंत में वायुमंडल की संरचना को जैव मंडल के प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया ने संशोधित किया।
प्रारंभिक वायुमंडल में हाइड्रोजन व हीलियम की अधिकता थी और वह सौर पवन के कारण पृथ्वी से दूर हो गया। ऐसा केवल पृथ्वी पर ही नहीं, वरन् सभी पार्थिव ग्रहों पर हुआ। अर्थात् सभी पार्थिव ग्रहों से, सौर पवन के प्रभाव के कारण, आदिकालिक वायुमंडल या तो दूर धकेल दिया गया या समाप्त हो गया। यह वायुमंडल के विकास की पहली अवस्था थी। पृथ्वी के ठंडा होने और विभेदन के दौरान, पृथ्वी के अंदरूनी भाग से बहुत सी गैसें व जलवाष्प बाहर निकले। इसी से आज के वायुमंडल का उद्भव हुआ। आरंभ में वायुमंडल में जलवाष्प, नाइट्रोजन, कार्बन डाई ऑक्साइड, मीथेन व अमोनिया अधिक मात्रा में, और स्वतंत्र ऑक्सीजन बहुत कम थी। वह प्रक्रिया जिससे पृथ्वी के भीतरी भाग से गैसें धरती पर आईं, इसे गैस उत्सर्जन (Degassing) कहा जाता है। लगातार ज्वालामुखी विस्फोट से वायुमंडल में जलवाष्प व गैस बढ़ने लगी। पृथ्वी के ठंडा होने के साथ-साथ जलवाष्प का संघनन शुरू हो गया। वायुमंडल में उपस्थित कार्बन डाई ऑक्साइड के वर्षा के पानी में घुलने से तापमान में और अधिक गिरावट आई। फलस्वरूप अधिक संघनन व अत्यध्कि वर्षा हुई। पृथ्वी के धरातल पर वर्षा का जल गर्तों में इकट्ठा होने लगा, जिससे महासागर बनें। पृथ्वी पर उपस्थित महासागर पृथ्वी की उत्पत्ति से लगभग 50 करोड़ सालों के अंतर्गत बनें। अर्थात महासागर 400 करोड़ साल पुराने हैं।
लगभग 380 करोड़ साल पहले जीवन का विकास आरंभ हुआ। यद्यपि लगभग 250 से 300 करोड़ साल पहले प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया विकसित हुई। लंबे समय तक जीवन केवल महासागरों तक सीमित रहा। प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया द्वारा ऑक्सीजन में बढ़ोतरी महासागरों की देन है। धीरे-धीरे महासागर ऑक्सीजन से संतृप्त हो गए और वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा 200 करोड़ वर्ष पूर्व पूर्ण रूप से भर गई।
पृथ्वी की उत्पत्ति का अंतिम चरण जीवन की उत्पत्ति व विकास से संबंधित है। निःसंदेह पृथ्वी का आरंभिक वायुमंडल जीवन के विकास के लिए अनुकूल नहीं था। आधुनिक वैज्ञानिक, जीवन की उत्पत्ति को एक तरह की रासायनिक अभिक्रिया बताते हैं, जिससे पहले जटिल जैव (कार्बनिक) अणु (Complex organic molecules) बने और उनका समूहन हुआ। यह समूहन ऐसा था जो अपने आपको दोहराता था। (पुनः बनने में सक्षम था), और निर्जीव पदार्थ को जीवित तत्त्व में परिवर्तित कर सका। हमारे ग्रह पर जीवन के चिह्न अलग-अलग समय की चट्टानों में पाए जाने वाले जीवाश्म के रूप में हैं। 300 करोड़ साल पुरानी भूगर्भिक शैलों में पाई जाने वाली सूक्ष्म संरचना आज की शैवाल (Blue green algae) की संरचना से मिलती-जुलती है। यह कल्पना की जा सकती है कि इससे पहले समय में साधरण संरचना वाली शैवाल रही होगी। यह माना जाता है कि जीवन का विकास लगभग 380 करोड़ वर्ष पहले आरंभ हुआ। एक कोशीय जीवाणु से आज के मनुष्य तक जीवन के विकास का सार भूवैज्ञानिक काल मापक्रम से प्राप्त किया जा सकता है।
इयान (Eons) | महाकल्प (Era) | कल्प (Period) | युग (Epoch) | आयु/आधुनिक वर्ष पहले | जीवन/मुख्य घटनाएँ |
नवजीवन (cenzozoic) (आज से 6.3 करोड़ वर्ष पहले ) |
चतुर्थ कल्प | अभिनव | 0 से 10,000 | आधुनिक मानव | |
अत्यन्त नूतन | 10,000 से 20 लाख वर्ष | आदिमानव | |||
तृतीय कल्प | अतिनूतन | 20 लाख से 50 लाख | आरम्भिक मनुष्य के पूर्वज | ||
अल्पनूतन | 50 लाख से 2.4 करोड़ | वनमानुष , फूल वाले पौधे और वृक्ष | |||
अधिनूतन | 2.4 करोड़ से 3.7 करोड़ | मनुष्य से मिलता-जुलता वनमानुष जंतु | |||
आदिनूतन | 3.7 करोड़ से 5.8 करोड़ | खरगोश | |||
पुरानूतन | 5.7 करोड़ से 6.5 करोड़ | छोटे स्तनपायी : चूहे , आदि। | |||
मध्यजीवी (Mesozoic) 6.5 करोड़ से 24.5 करोड़ वर्ष पहले स्तनपायी | क्रीटेशियस | 6.5 करोड़ से 14.4 करोड़ | डायनोसोर का विलुप्त होना। | ||
जुरेसिक | 14.4 से 20.8 करोड़ | डायनासोर का युग। | |||
ट्रियासिक | 20.8 से 24.5 करोड़ वर्ष | मेंढक व समुद्री कछुआ। | |||
पुराजीव ( 24.5 करोड़ वर्ष से 57.0 करोड़ वर्ष पहले ) | परमियन | 24.5 करोड़ से 28.6 वर्ष | रेंगने वाले जीवों की अधिकता , जलस्थलचर। | ||
कार्बोनिफेरस | 28.6 से 36.0 करोड़ वर्ष पहले | रेंगने वाले जंतु , रीढ़ की हड्डी वाले पहले जीव | |||
डेवोनियन | 36.0 से 40.8 करोड़ | स्थल व जल पर रहने वाले जीव | |||
प्रवालादि/ सिलरियन |
40.8 करोड़ से 43.8 करोड़ | स्थल पर जीवन के प्रथम चिह्न : पौधे | |||
ओर्डोविसयन | 43.8 से 50.5 करोड़ | पहली मछली | |||
कैम्ब्रियन | 50.5 से 57.0 करोड़ वर्ष | स्थल पर कोई जीवन नहीं ; जल में बिना रीढ़ की हड्डी वाले जीव। | |||
प्रागजीव (Proterezoic) | पूर्व-कैम्ब्रियन (57 करोड़ से 4 अरब 80 करोड़ वर्ष पहल ) | 57 करोड़ से 2 अरब 50 करोड़ वर्ष | कई जोड़ो वाले जीव | ||
आद्य महाकल्प | 2.5 अरब से 3.8 अरब वर्ष पहले | ब्लू-ग्रीन शैवाल ; एक कोशीय जीवाणु | |||
हेडियन | 3.8 अरब से 4.8 अरब वर्ष पहले | महाद्वीप व महासागरों का निर्माण ; महासागरों व वायुमंडल में कार्बन डाईआक्साइड की अधिकता | |||
तारों की उत्पत्ति | 5 अरब से 13.7 वर्ष पहले | 5 अरब वर्ष पहले | सूर्य की उत्पत्ति | ||
सुपरनोवा | 12 अरब वर्ष पहले | ब्रह्मांड की उत्पत्ति | |||
बिग बैंग | 13.7 अरब वर्ष पहले |