प्रकाश बाबा आमटे | |
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प्रकाश बाबा आमटे अपनी पत्नी मंदाकिनी आमटे के साथ | |
जन्म |
26 दिसम्बर 1948 |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
पेशा | सामाजिक कार्यकर्ता |
कार्यकाल | 1973 - वर्तमान |
जीवनसाथी | मंदाकिनी आमटे |
बच्चे | 3 |
पुरस्कार |
पद्म श्री रेमन मैगसेसे पुरस्कार |
प्रकाश बाबा आमटे एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं, जो महाराष्ट्र से आते हैं। आमटे और उनकी पत्नी मंदाकिनी आमटे को उनके सामाजिक कार्यों के लिए 2008 में रेमन मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।[1] वह महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले और पड़ोसी राज्य तेलंगाना और मध्य प्रदेश में माडिया गोंडों के बीच 'लोक बिरादरी प्रकल्प' चलाते हैं।[2] नवंबर 2019 में उन्हें बिल गेट्स द्वारा आईसीएमआर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया।[3]
प्रकाश आमटे बाबा आमटे के दूसरे बेटे हैं।[2] उन्होंने गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज (जीएमसी), नागपुर से मेडिकल की डिग्री प्राप्त की,[2] और गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज (जीएमसी), नागपुर में पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई के दौरान उनकी मुलाकात अपनी पत्नी मंदाकिनी से हुई।[2]
1973 में, आमटे ने हेमलकसा में लोक बिरादरी प्रकल्प की शुरुआत की, जो आदिवासी समुदायों के विकास के लिए था, जिनमें प्रमुखत: माडिया गोंड, एक आदिवासी समुदाय जो गढ़चिरौली जिले के जंगलों रहते हैं।[4] उन्होंने बिना बिजली के तकरीबन बीस साल तक वहां रहकर आपातकालीन शल्यचिकित्सा करते रहे। इस प्रकल्प के अंतर्गत उन्होंने एक अस्पताल, लोक बिरादरी प्रकलप दवाखाना, आवासीय विद्यालय, लोक बिरादरी प्रकल्प आश्रम शाला, और घायल जानवरों के लिए एक अनाथालय की स्थापना की।[5] यह प्रकल्प प्रतिवर्ष लगभग 40,000 व्यक्तियों को स्वास्थ्य सेवा प्रदान करता है।[6] डॉ. प्रकाश और उनका परिवार महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले के हेमलकसा में एक बड़ी पशु संरक्षण सुविधा भी चलाते हैं जहां दुर्लभ, संरक्षित और लुप्तप्राय जानवरों की देखभाल की जाती है।[2]
प्रकाश बाबा आमटे ने दो आत्मकथाएँ प्रकाशित की हैं, पहला हैं, प्रकाशवत्, जो मूल रूप से मराठी में लिखी गई थीं और अब अंग्रेजी, गुजराती, कन्नड़, संस्कृत और हिंदी भाषा में अनुवाद किया गया हैं। इनकी दूसरी पुस्तक का नाम है, रानमित्र। [7]
आमटे को कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं: