प्रवर्तन निदेशालय | |
Enforcement Directorate Logo | |
संस्था जानकारी | |
---|---|
वैधानिक वयक्तित्व | सरकारी : सरकारी संस्था |
अधिकार क्षेत्र | |
संघीय संस्था | भारत |
शासी निकाय | भारत सरकार |
सामान्य प्रकृति |
|
प्रचालन ढांचा | |
मुख्यालय | नई दिल्ली, भारत |
संस्था के कार्यपालक |
|
मातृ संस्था | वित्त मंत्रालय, राजस्व विभाग |
प्रवर्तन निदेशालय (Directorate General of Economic Enforcement), भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अधीन एक विशेष वित्तीय जांच एजेन्सी है जिसका मुख्यालय नयी दिल्ली में है। प्रवर्तन निदेशक, इसके प्रमुख है। पाँच क्षेत्रीय कार्यालय मुंबई, चेन्नै, चंडीगढ़, कोलकाता तथा दिल्ली हैं जिनके विशेष निदेशक प्रवर्तन प्रमुख हैं। निदेशालय में क्षेत्रीय कार्यालय अर्थात अहमदाबाद, बंगलौर, चंडीगढ़, चेन्नई, कोच्ची, दिल्ली, पणजी, गुवाहाटी, हैदराबाद, जयपुर, जालंधर, कोलकाता, लखनऊ, मुंबई, पटना तथा श्रीनगर हैं। जिनके प्रमुख संयुक्त निदेशक है। निदेशालय में उप क्षेत्रीय कार्यालय अर्थात भुवनेश्वर, कोझीकोड, इंदौर, मदुरै, नागपुर, इलाहाबाद, रायपुर, देहरादून, रांची, सूरत, शिमला हैं। जिनके प्रमुख उप निदेशक है।
मूलतः निदेशालय निम्नलिखित कार्य करता हैः
प्रवर्तन निदेशालय की स्थापना 01 मई, 1956 को हुई थी, जब विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम,1947 (फेरा,1947) के अंतर्गत विनिमय नियंत्रण विधियों के उल्लंघन को रोकने के लिए आर्थिक कार्य विभाग के नियंत्रण में एक ‘प्रवर्तन इकाई’ गठित की गई थी। विधिक सेवा के एक अधिकारी, प्रवर्तन निदेशक के रूप में, इस इकाई के मुखिया थे, जिनके संरक्षण में यह इकाई भारतीय रिजर्व बैंक से प्रतिनियुक्ति के आधार पर एक अधिकारी और विशेष पुलिस स्थापना से 03 निरीक्षकों की सहायता से कार्य करती थी । आरम्भ में केवल मुम्बई और कलकत्ता में इसकी शाखाएं थी । वर्ष 1957 में इस इकाई का ‘प्रवर्तन निदेशालय’ के रूप में पुनः नामकरण कर दिया गया था तथा मद्रास में इसकी एक और शाखा खोली गई। वर्ष 1960 इस निदेशालय का प्रशासनिक नियंत्रण, आर्थिक कार्य मंत्रालय से राजस्व विभाग में हस्तान्तरित कर दिया गया था। समय बदलता गया, फेरा ’47 निरसित हो गया और इसके स्थान पर फेरा, 1973 आ गया। 04 वर्ष की अवधि (1973-77) में निदेशालय को मंत्रीमण्डल सचिवालय, कार्मिक और प्रशासनिक सुधार विभाग के प्रशासनिक अधिकार क्षेत्र में रखा गया ।
आर्थिक उदारीकरण की प्रक्रिया के चलते हुए, फेरा, 1973, जो कि एक नियामक कानून था, उसे निरसित कर दिया गया और 01 जून, 2000 से इसके स्थान पर एक नई विधि – विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (फेमा) लागू की गई । बाद में, अंतरराष्ट्रीय धन शोधन व्यवस्था के अनुरूप, एक नया कानून धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (पीएमएलए) बना और प्रवर्तन निदेशालय को दिनांक 01.07.2005 से पीएमएलए को प्रवर्तित करने का दायित्व सौंपा गया ।