प्रायोगिक ज्ञान

प्रायोगिक ज्ञान एक शिक्षा प्रक्रिया है जिसमे अनुभव के मध्यम से शिक्षित किया जाता है और जिसे अधिक विशेष रूप से परिभाषित किया जाता है जिसमे "प्रतिबिंब द्वारा शिक्षा प्राप्त होता है"।[1] प्रायोगिक ज्ञान दुहराव शिक्षा तथा प्रभोधक शिक्षा से काफ़ी अलग है, जिसमे शिष्य अपेक्षाकृत निष्क्रिय भूमिका निभाता है।[2] ये सक्रिय अध्ययन जैसे अभिनय सीखना, साहसिक सीखने, स्वतंत्र चुनाव सीखने, सहकारी शिक्षा, और सेवा करने के सात पढ़ना, से सम्भन्धित ज़रूर है लेकिन ये सब इसके पर्याय नही है।[3]

प्रायोगिक ज्ञान का अक्सर इस्तेमाल अनुभवात्मक शिक्षा से किया जाता है जिसे इसका पर्याय बी बोलते है लेकिन अनुभवात्मक शिक्षा, शिक्षा का एक व्यापक दर्शन है और प्रायोगिक ज्ञान व्यक्तिगत सीखने की प्रक्रिया को समझता है। [4] जैसे की अगर अनुभवात्मक शिक्षा से तुलना किया जाए तो प्रायोगिक ज्ञान ठोस मुद्दा है जो शिष्य और सीखने के संधर्ब से सम्भन्धित है।

अनुभवात्मक के मध्यम से शिक्षा का प्राप्त करना सामान्य अवधारणा से प्राचीन है। लगभग ३५० बॅ.ए. मे एरिसटॉटल ने निचोमाचेआन आचार मे लिखा था, "हम उन्हे कर सकते हैं इस से पहले की उन चीज़ो को सीखने के लिए, हम उन्हे ऐसा करने से सीखना।"[5] लेकिन शैक्षिक दृष्टिकोण के व्यक्त, प्रायोगिक ज्ञान बहुत अधिक हाल का विंटेज है। इसकी शुरूवात १९७० मे हुआ, डेविड. आ. कोल्ब ने प्रायोगिक ज्ञान के आधुनिक सिद्धांत को विकसित करने मे मदद किया और वे जॉन ड्यूयी, कर्ट लूयिन, और जीन पियजे के कामो से काफ़ी आकर्षित थे।[6]

कोल्बा अनुभवात्मक अधिगम मॉडल

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प्रायोगिक ज्ञान व्यक्ति के सीखने की प्रक्रिया पर केंद्रित करता है। प्रायोगिक ज्ञान का एक उदाहरण है, चिड़ियाघर मे जाकर वाहा के पर्यायावरण से अवलोकन और बातचीत द्वारा ज्ञान प्राप्त करना बजाय किताबो से जानवरो के बारे मे पढ़ना। इस प्रकार एक व्यक्ति खोजो एवं प्रयोगो द्वारा प्रत्यक्ष ज्ञान प्राप्त कर सकता है बजाय सुने या दूसरो के अनुभव के बारे मे पढ़े बिन। वैसे ही, व्यावसायिक स्कूल, इंटेर्नशिप, तथा नौकरी का पिच्छा के अवसरो मे शिष्य अपनी रूचि के क्षेत्र मे मूल्यवान प्रायोगिक ज्ञान प्रधान कर सकते है जो छात्र के वास्तविक समय पर्यावरण मे योगदान करेगा।[7]

प्रायोगिक ज्ञान का तिहाई उदाहरण है, कैसे बाइक की सवारी की जाती है।[8] ये प्रक्रिया उदाहरण स्पष्ट करेगा कैसे प्रायोगिक ज्ञान इस्तेमाल करते है ४ चरण मॉडेल के द्वारा जैसे कोल्ब द्वारा निर्धारित किया गया था। इस उदाहरण के बाद, "ठोस अनुभव" चरण मे, शिक्षार्ती शारीरिक रूप से, "यहा और अब" मे बाइक अनुभव करता है।[9] यह अनुभव रूप, "अवलोकन और प्रतिबिंब के लिए आधार" और शिक्षार्थी को विचार करने का अवसर दिया जाता है। शिक्षार्थी को सही या ग़लत का फ़ैसला करने का समय दिया जाता है। बाइक सवारी करने के लिए हर नये प्रयास को पिछले अनुभव, विचार, और चिंतन के एक चक्रीय पैटर्न द्वारा सूचित किया जाता है।

अनुभवात्मक अधिगम के तत्व

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प्रायोगिक ज्ञान बिना एक अध्यापक के मौजूदगी के हो सकता है और ये एक व्यक्ति के प्रत्यक्ष अनुभव के अर्थ लेने की प्रक्रिया के लिए पूरी तरह से सम्भन्धित है| हालाँकि ज्ञान का फ़ायदा एक निहित प्रक्रिया है जो वास्तविक रूप से होता है लेकिन वास्तविक अनुभव सीखने के लिए कुछ तत्वों का होना ज़रूरी होता है।[10] कोल्ब के अनुसार ज्ञान लगातार दो व्यक्तिगत और पर्यावरण के अनिभाओ के मध्यम से प्राप्त होता है। कोल्ब कहता है की एक अनुभव से वास्तविक ज्ञान हासिल करने के लिए शिक्षर्ती मे चार क्षमताओं का होना ज़रूरी है। वे निम्नलिखित है:

  • शिक्षार्थी सक्रिया रूप से अनुभव मे शामिल होने के लिए तैयार होना चाहिए;
  • शिक्षार्थी अनुभव पर प्रतिबिंब करने के लिए सक्षम होना चाहिए;
  • शिक्षार्थी के अधिकारी और अनुभव, अवधारणा करने के लिए विश्लेषणात्मक कौशल का उपयोग करना चाहिए;
  • शिक्षार्थी अनुभव से प्राप्त नये विचारों का उपयोग करने के लिए निर्णय लेने और समस्या को सुलझाने के कौशल होने चाहिए।

इस प्रकार प्रायोगिक ज्ञान शिक्षण या सीखने की तकनीक को विकसित करने के लिए एक अवसर प्रदान करता है।

सन्दर्भ

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  1. Felicia, Patrick (2011). Handbook of Research on Improving Learning and Motivation. पृ॰ 1003. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 1609604962.
  2. Beard, Colin (2010). The Experiential Learning Toolkit: Blending Practice with Concepts. पृ॰ 20. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780749459345. मूल से 8 जून 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 23 सितंबर 2015.
  3. Itin, C. M. (1999). Reasserting the Philosophy of Experiential Education as a Vehicle for Change in the 21st Century. The Journal of Physical Education 22(2), 91-98.
  4. Breunig, Mary C. (2009). "Teaching Dewey's Experience and Education Experientially". प्रकाशित Stremba, Bob; Bisson, Christian A. (संपा॰). Teaching Adventure Education Theory: Best Practices. पृ॰ 122. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780736071260. मूल से 10 जून 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 23 सितंबर 2015.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: editors list (link)
  5. Nicomachean Ethics, Book 2, Ross translation (1908).
  6. Dixon, Nancy M.; Adams, Doris E.; Cullins, Richard (1997). "Learning Style". Assessment, Development, and Measurement. पृ॰ 41. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9781562860493. मूल से 8 जून 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 23 सितंबर 2015.
  7. McCarthy, P. R., & McCarthy, H. M. (2006). When Case Studies Are Not Enough: Integrating Experiential Learning Into Business Curricula. Journal Of Education For Business, 81(4), 201-204.
  8. Kraft, R. G. (1994).Bike riding and the art of learning.In L. B. Barnes, C. Roland Christensen, & A. J. Hansen (Eds.), Teaching and the case method.Boston: Harvard Business School Press.
  9. Kolb, D. (1984). Experiential Learning: experience as the source of learning and development. Englewood Cliffs, NJ: Prentice Hall. p. 21
  10. Merriam, S. B., Caffarella, R. S., & Baumgartner, L. M. (2007). Learning in adulthood: a comprehensive guide. San Francisco: John Wiley & Sons, Inc.