प्रेम ग्रंथ | |
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प्रेम ग्रंथ का पोस्टर | |
निर्देशक | राजीव कपूर |
लेखक | जैनेन्द्र जैन |
निर्माता |
राजीव कपूर रणधीर कपूर ऋषि कपूर |
अभिनेता |
शम्मी कपूर, ऋषि कपूर, माधुरी दीक्षित, अनुपम खेर, ओम पुरी, प्रेम चोपड़ा |
संपादक | राजीव कपूर |
संगीतकार | लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल |
प्रदर्शन तिथियाँ |
24 मई, 1996 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
प्रेम ग्रंथ राजीव कपूर द्वारा निर्देशित और आर. के. फिल्मस द्वारा निर्मित 1996 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। फिल्म में ऋषि कपूर और माधुरी दीक्षित मुख्य सितारें हैं और ये फिल्म बलात्कार के विषय से संबंधित है। फिल्म एक व्यावसायिक विफलता थी।[1]
मुख्य पुजारी स्वामी धर्म भूषण महाराज (अनुपम खेर) का वकील पुत्र सोमेन (ऋषि कपूर) एक दृढ़ चरित्र, दृढ़ विश्वास और साहस वाला व्यक्ति है। वह समानता और स्वतंत्रता के सिद्धांतों में विश्वास करता है और अक्सर सामाजिक न्याय और धर्म के मुद्दों पर अपने पिता से बहस करता है। वह विशेष रूप से केदार नाथ (प्रेम चोपड़ा) से असहमत है, जो मंदिर में खजाने का शोषण करने के लिए उसके पिता का उपयोग करता है। उसके चाचा नंदलाल (शम्मी कपूर) एक समृद्ध डेयरी फार्म के मालिक हैं और अन्यायपूर्ण और पुराना मानते हुए धर्म और सामाजिक दायित्वों के मामलों से खुद दूर रहते हैं।
सोमेन वार्षिक त्यौहार में एक सुंदर युवा महिला कजरी (माधुरी दीक्षित) से मिलता है और उससे पहली नजर में ही खिंचा चला जाता है। उसके निचले सामाजिक स्तर के बावजूद उनके प्यार की शुरुआत हो जाती है। वे अप्रत्याशित रूप से अलग होते हैं। वह कजरी को खोजने के लिए अपनी पूरी कोशिश करता है, लेकिन सब व्यर्थ में जाता है। कजरी और उसके पिता बलिराम अपने गांव बंसिपुरा वापस जा रहे होते हैं, जहां मार्ग में कजरी का अपहरण कर लिया जाता है और एक शराबी रहस्यमय आदमी द्वारा बलात्कार किया जाता है। कजरी उस आदमी के बच्चे के साथ गर्भवती हो जाती है। कजरी की मां की बहन उसे जूते बनाने वाले से विवाहित करना चाहती है, लेकिन तब कजरी गुप्त रूप से गाँव छोड़ देती है और उस आदमी के बच्चे को जन्म देती है जिसने उसके साथ बलात्कार किया। उसने लोगों को खाना देने के लिए आग्रह किया ताकि वह बच्चे को दूध पिला सके और वह जीवित रहे। बच्चा तब मर जाता है और कजरी बच्चे के अंतिम संस्कार के लिये स्वामी धर्म भूषण से मिलती है, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। कजरी बच्चे को दफना देती है।
एक साल गुजरता है और वे फिर से मिलते हैं। सोमेन ने कजरी को अपने चाचा नंदलाल के खेत पर काम करते हुए पाया और दोनों का प्यार फिर उमड़ता है। वह उसके प्रति अपना प्यार व्यक्त करने की कोशिश करता है, लेकिन वह टाल-मटोल करती है। वह सोमेन को एक पत्र लिखती है कि वह बलात्कार पीड़िता है, एक अविवाहित मां थी, और अपने समाज से अन्यायपूर्ण ढंग से बहिष्कृत है। वह भी सोमेन से प्यार करती है, लेकिन हर पल में उसके अतीत का दुर्भाग्य उसके दिमाग पर होता है। इस बीच, केदारनाथ ने एक महिला को जीवित जला दिया क्योंकि वह रूप सहाय (गोविंद नामदेव) नामक एक शक्तिशाली व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज करना चाहती थी।
कजरी और सोमेन नंदलाल के डेयरी फार्म में व्यस्त हैं, लेकिन धर्म भूषण वहाँ आता है और बताता है कि कजरी अपने मृत बच्चे का अंतिम संस्कार करने का अनुरोध कर रही थी, लेकिन वह बच्चे के पिता को नहीं जानती थी। तब सोमेन चाला जाता है, लेकिन नंदलाल सच बताता है कि कजरी के साथ बलात्कार किया गया था और यह उसकी गलती नहीं है। कजरी की चाची से पता चलता है कि जिस व्यक्ति ने उसके साथ बलात्कार किया वह रूप सहाय है, जिसने एक बार उसकी चाची से भी बलात्कार किया था।
कजरी श्रीपुर जाती है और सोमेन को बताती है कि रूप सहाय वो शराबी आदमी था जिसने उसके साथ बलात्कार किया था। कजरी, सोमेन और बलिरम फिर रूप सहाय और केदारनाथ को दशहरा पर जलाते हैं और फिर सोमेन कजरी से शादी करता है।
सभी गीत आनंद बख्शी द्वारा लिखित; सारा संगीत लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल द्वारा रचित।
क्र॰ | शीर्षक | गायक | अवधि |
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1. | "बाजू बंध" | अलका याज्ञनिक, सुरेश वाडकर | 7:36 |
2. | "दिल देने की रुत" | अलका याज्ञनिक, विनोद राठौड़ | 7:55 |
3. | "इस दुनिया में प्रेम ग्रंथ" | अलका याज्ञनिक, विनोद राठौड़ | 6:05 |
4. | "जंगल में शेर" | अलका याज्ञनिक, विनोद राठौड़ | 8:32 |
5. | "तेरी कसम में हूँ" | विनोद राठौड़ | 5:26 |
6. | "मैं कमजोर औरत" | लता मंगेशकर | 9:23 |