प्रेमन्द्र मित्र (बांग्ला: প্রেমেন্দ্র মিত্র; १९०४–१९८८) बंगाली भाषा के कवि और उपन्यासकार थे। उन्हें साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में योगदान के लिए १९६१ में भारत सरकार ने पद्म श्री पुरस्कार से पुरस्कृत किया।[1][2] इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह सागर थेके फेरा के लिये उन्हें सन् 1957 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।[3]