फिदेल कास्त्रो के धार्मिक विचार सार्वजनिक चर्चा का विषय बने हुए हैं। वॉशिंगटन पोस्ट के अनुसार, क्यूबा के पूर्व राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो के कारावास से भेजे गए पत्र यह दिखाते हैं कि वह एक अद्भुत आध्यात्मिक चिन्तन वाले पुरुष थे और भगवान में सच्ची आस्था रखते थे।
कास्त्रो ने एक दिवंगत कॉमरेड को श्रद्धाँजलि देते हुए कहते है:
""मैं उसके बारे में एक अनुपस्थित व्यक्ति के रूप में कुछ नहीं कह सकता क्योंकि ऐसा कभी हुआ ही नहीं। ये केवल तसल्ली के शब्द नहीं। हम में से सिर्फ़ वही इस बात को सच्चे तौर पर और स्थाई रूप से अपनी अत्मा की गहराई में उतरने वाला ही महसूस कर सकता है। शारिरिक जीवन अल्पकालिक है जो तेज़ी से गुज़र जाता है. . . . ये सच्चाई हर मनुष्य को सिखाई जानी चाहिए कि आत्मा के अविनाशी मूल्य शारिरिक जीवन से कहीं ऊपर है। इन मूल्यों के बिना जीवन का क्या अर्थ है? फिर इसके बाद जीना है ही क्या? जो ये समझ जाते हैं और दिल खोलकर अपने शारिरिक जीवन को भलाई और इंसाफ़ के लिए बली चढ़ाते हैं - ऐसे लोग मर कैसे सकते हैं? भागवान भलाई और इंसाफ़ का सर्वोच्च प्रतीक है।""[1]
कास्त्रो का बपतिस्मा किया गया था और उसे रोमन कैथोलिक बालक के रूप में बचपन बीता था पर आगे चलकर उसने इन संस्कारों को त्याग दिया। ऑलिवर स्टोन की एक डॉक्यूमेंट्री कमान्दान्त मे कास्त्रो का कहना है कि "मैं कभी भी आस्तिक नहीं था", और केवल एक ही जीवन में पूर्ण विश्वास रखता है।[2] पोप जॉन २३ ने कास्त्रो को 1962 में कैथोलिक संस्थाओं के दमन के पश्चात ईसाई धर्म से ख़ारिज घोषित किया।[3] कास्त्रो ने खुलेआम इस धारणा की निन्दा की है कि बाइबल का प्रयोग पूरे इतिहास में अफ़रीकी पूर्वज रखनेवालों के शोशन के लिए किया जाता रहा है।[4]
1992 में कास्त्रो ने धर्म पर से कई प्रतिबंध हटाए और चर्च जानेवाले कैथोलिकों को क्यूबा की कम्यूनिस्ट पार्टी में शामिल होने की अनुमति दी। उसने अपने देश को नास्तिक के बजाए धर्मनिरपेक्ष बताना प्रारंभ किया।[5] पोप जॉन पॉल द्वीतीय ने 1998 में क्यूबा का दौरा किया, जो कि किसी भी पदधारी पोप का उस देश का पहला दौरा था। कास्त्रो औअर पोप कई सार्वजनिक सभाओं में साथ-साथ रहे। कास्त्रो गहरे नीले रंग के व्यापारिक सूट पहने थे, जो साधारण कपड़ों से अलग था और जन सभाओं में वह पोप को पूर्ण आदर से सम्बोधित किए थे। [6] दिसम्बर 1998 में कास्त्रो ने क्रिस्मस दिन के समारोहों को सरकारी रूप से पुन:स्थापित किया जिन्हें कम्यूनिस्ट पार्टी द्वारा 1969 में प्रतिबंधित किया गया था।[7] क्यूबाई जनता को क्रिस्मस की छुट्टी की अनुमति दी गई और सार्वजनिक जुलूसों पर से रोक हटा दी गई। पोप ने कास्त्रो को क्रिस्मस की छुट्टी बहाल करने पर एक धन्यवाद सन्देश टेलिग्राम द्वारा भेजा था।[8]
2003 में कास्त्रो एक रोमन चर्च के आशीर्वाद समारोह में शामिल हुए। इस बेमिसाल वारदात के पीछे मक्सद ये था कि प्राचीन हवाना की चर्च के लिए प्रार्थना की जाए और पोप की क्यूबा यात्रा की वर्षगाँठ को मनाया जाए।[9] पूर्वी धार्मिक चर्च के एक अनुभवी आध्यात्मिक नेता क्यूबा में पहली बार 2004 में आए, जो कि किसी भी लातीनी अमरीकी देश में पहली बार हुआ। क़ुस्तुंतुनिया के धार्मिक नेता पहली बार हवाना की चर्च के पवित्रिकरण में भाग लिए और कास्त्रो को सम्मानित भी किए।[10] उनके सहायकों ने कहा कि धार्मिक नेता क्यूबाई सरकार के इस निर्णय का जवाब दे रहे थे कि आर्थोडॉक्स ईसाइयों को एक छोटी-सी चर्च दी जाए जो कि हवाना के बीच में स्थित है।[11] पोप जॉन पॉल द्वीतीय की अप्रेल 2005 में मृत्यु हुई। भावुक कास्त्रो ने प्रार्थना में भाग लिया जो कि पोप के सम्मान में हवाना की सबसे बड़ी चर्च में हुई थी और वैटिकन के राजदूतावास की शोक सन्देश पुस्तक पर हस्ताक्षर भी किए।[12] 1959 में कास्त्रो अंतिम बार अपनी एक बहन के विवाह में सम्मिलित होने आए थे। कार्डिनल हायमे लूकस ऑरलेगा ई अलामीनो ने समारोह की अध्यक्षता की थी और कास्त्रो का स्वागत किया था जो काले सूट पहने हुए थे और इस बात आभार प्रकट कर रहे थे "जिस प्रकार से पवित्र पिता जॉन पॉल की मृत्यु को क्यूबा के लोगों ने हार्दिक रूप से स्वीकार किया था।"[13]
2009 में ज़बानी कही गई आत्मकथा में कास्त्रो ने कहा कि ईसाइयत "अत्यधिक इंसान-दोस्त मूल्य" प्रदर्शित करती है जो विश्व को "व्यव्हारिक मूल्यों" दे चुकी है और एक "सामाजिक न्याय" दिखाई है। इसके बाद कास्त्रो ने कहा कि अगर लोग मुझे ईसाई कहें, धार्मिक दृष्टि से नहीं बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से, तो मैं घोषित करता हूँ कि मैं ईसाई हूँ।[14]
मार्च 28, 2012 को कास्त्रो की पोप बेनेडिक्ट XVI से 30-मिनट की बैठक की जब पोप क्यूबा की तीन दिन की यात्रा पर आए थे। इससे पूर्व पोप क्यूबा पर अमरीकी प्रतिबंध हटाने की माँग कर चुके हैं। पोप ने और भी खुले क्यूबाई समाज की भी माँग की, जबकि कास्त्रो ने पोप से उनकी भूमिका और चर्च की पछली एक सदी में बदलती तस्वीर पर बात की।[15][16][17]
सितम्बर 20, 2015 को कास्त्रो ने पोप फ़्रांसिस से मुलाक़ात की जहाँ इन दोनों ने पर्यावरण बचाने और वैश्विक समस्याओं पर बातचीत की।[18]