गृह ऋण बीमा (home loan insurance) अथवा बंधक बीमा (mortgage insurance) ऋण के लिए आवेदन करते समय ऋणदाताओं (बैंकों) द्वारा मांगी गई गारंटी है। इस बीमा पॉलिसी को किसी बंधक-समर्थित (गिरवी रखी गयी) प्रतिभूति पर करवायी जाती है। गिरवी रखने वाले व्यक्ति द्वारा बीमा राशी चुकाने में असमर्थतता की स्थिति में ऋणदाता या निवेशक बंधक ऋण बीमा से नुकसान की भरपाई करता है। बीमाकर्ता के की इच्छा के अनुसार बंधक बीमा सार्वजनिक या निजी हो सकता है।[1]
सामान्यतः अचल संपत्ति ऋण लम्बे वक्त के लिए जाते हैं अतः ऐसे इस लम्बी अवधि में यदि ऋण लेने वाला व्यक्ति अपनी नौकरी खो देता है अथवा व्यापार में नुकसान हो जाता है या किसी बिमारी के कारण या निधन के कारण सम्बंधित व्यक्ति ऋण चुकाने में असफल हो जाये तो उस स्थिति में उस ऋण से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए ऋणदाता बीमा की मांग करता है।
ऑस्ट्रेलिया में ऋण लेने वाले को गृह ऋण के लिए क्रय मूल्य के 80% से अधिक बंधक बीमा का भुगतान ऋणदाता को करना होता है।[2]
भारत में सामान्य रूप से गृह ऋण के लिए बीमा लेना आवश्यक नहीं है लेकिन सामन्यतः ऋणदाता बीमरहित ऋण देने से मना कर देते हैं। हालांकि इसके लिए वो ऋण की राशी बढ़ा देते हैं और ऋण लेते समय इसका भुगतान ऋणदाता द्वारा किया जाता है और बाद में सामान्य ऋण के साथ इसका किस्तों में भुगतान प्राप्त करता है।[3]
सिंगापुर में यदि हाउसिंह एंड डेवलप्मेट बोर्ड (आवास और विकास समिति) के घरों के मालिक बंधक पर मासिक किस्त का भुगतान करने के लिए अपने केंद्रीय भविष्य निधि (सीपीएफ) खातों में शेष राशि का उपयोग करते हैं तो उनके लिए बंधक बीमा कराना अनिवार्य है। हालांकि उनके पास सीपीएफ बोर्ड या निर्धारित निजी बीमाकर्ताओं द्वारा प्रशासित बंधक बीमा चुनने का विकल्प है। दूसरी ओर, सिंगापुर में निजी घरों के मालिकों के लिए बंधक बीमा लेना अनिवार्य नहीं है।[4][5]