बंधुआ मजदूर प्रथा (समापन) अधिनियम, 1976 भारत की संसद द्वारा पारित एक अधिनियम है जो बँधुआ मज़दूरी की बंधुआ मजदूरी की कुप्रथा को समाप्त करने के लिए लागू की गयी है।
बंधुआ मज़दूरी की कुप्रथा के उन्मूलन हेतु यह अधिनियम पारित कराया गया था ताकि जनसंख्या के कमज़ोर वर्गों के आर्थिक और वास्तविक शोषण को रोका जा सके और उनसे जुड़े एवं अनुषंगी मामलों के सम्बंध में कार्रवाई की जा सके। इसने सभी बंधुआ मज़दूरों को एकपक्षीय रूप से बंधन से मुक्त कर दिया और साथ ही उनके कर्जो को भी परिसमाप्त कर दिया। इसने बंधुआ प्रथा को कानून द्वारा दण्डनीय संज्ञेय अपराध माना।
यह कानून श्रम मंत्रालय और संबंधित राज्य सरकारों द्वारा प्रशासित और कार्यान्वित किया जा रहा है। राज्य सरकारों के प्रयासों की अनुपूर्ति करने के लिए मंत्रालय द्वारा बंधुआ मज़दूरों के पुनर्वास की एक केन्द्र प्रायोजित योजना शुरू की गई थी। इस योजना के अंतर्गत, राज्य सरकारों को बंधुआ मज़दूरों के पुनर्वास के लिए समतुल्य अनुदानों (५०:५०) के आधार पर केन्द्रीय सहायता मुहैया कराई जाती है।