बतुकम्म | |
---|---|
बतुकम्म मनाती औरतों का एक समूह | |
अन्य नाम | फूलों का पर्व |
अनुयायी | तेलंगाना की महिलाओं द्वारा |
प्रकार | गौरी पूजा का त्यौहार |
उत्सव | फूलों का गोपुरम निर्मित करके पूजा और नृत्य |
आरम्भ | महालय अमावस्या |
समापन | दुर्गाष्टमी |
तिथि | सितंबर/अक्टूबर |
आवृत्ति | वार्षिक |
समान पर्व | दशहरा |
श्रृंखला |
तेलंगाना की संस्कृति |
---|
लोग |
व्यंजन |
दृश्यकला |
साहित्य |
टूरिजम |
सिनेमा |
तेलंगाना प्रवेशद्वार |
बतुकम्मा पर्व भारत के तेलंगाना राज्य में महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला एक क्षेत्रीय पर्व है।[1] पूरे तेलंगाना क्षेत्र में यह बतुकम्मा पर्व शालिवाहन संवत के अमावस्या तिथि से शुरू हो कर नौ दिनों तक मनाया जाता हैं।
फूलों से सात लेयर से गोपुरम मंदिर की आकृति बनाई जाती है। तेलगु में बतुकम्मा का मतलब होता है, देवी माँ जिन्दा है। इस दिन बतुकम्मा को महागौरी के रूप में पूजा जाता है। यह त्यौहार स्त्री के सम्मान के रूप में मनाया जाता है।
बतुकम्मा से मिलता जुलता ही, तेलंगाना में बोडेम्मा पर्व मनाया जाता है जो सात दिनों तक चलने वाला गौरी पूजा का ही पर्व है, जिसे कुँवारी लड़कियों द्वारा मनाया जाता है।[2][3]