बरगी बांध | |
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बांध का जलाशय | |
स्थान | बरगी, जबलपुर जिला, मध्य प्रदेश |
निर्देशांक | 22°56′30″N 79°55′30″E / 22.94167°N 79.92500°Eनिर्देशांक: 22°56′30″N 79°55′30″E / 22.94167°N 79.92500°E |
निर्माण आरम्भ | 1975 |
आरम्भ तिथि | 1988 |
संचालक | नर्मदा घाटी विकास विभाग, मध्य प्रदेश |
बाँध एवं उत्प्लव मार्ग | |
घेराव | नर्मदा नदी |
~ऊँचाई | 69.80 m |
लम्बाई | 5357 m |
जलाशय | |
बनाता है | बरगी जलाशय |
बरगी बांध, भारत के मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी पर बनने वाले 30 प्रमुख बांधों की श्रृंखला में से पहले पूर्ण किए गए बांधों में से एक है।[1] बरगी बांध द्वारा बरगी व्यपवर्तन परियोजना और रानी अवंतीबाई लोधी सागर परियोजना नाम की दो प्रमुख सिंचाई परियोजनाएँ विकसित की गई हैं। नर्मदा मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी नदी है, जो पश्चिम की ओर बहती है और अरब सागर में मिलती है। इसकी कुल लंबाई 1312 किमी है, जिसमें से 1072 किमी मध्य प्रदेश की भूमि में बहती है।
केंद्रीय जल और विद्युत आयोग ने 1968 में 2,980 वर्ग किलोमीटर में सिंचाई और 100 मेगावाट (2x45 मेगावाट + 2x5 मेगावाट) की जल विद्युत उत्पादन क्षमता के लिये इस बांध निर्माण के प्रस्ताव पर विचार किया। (स्रोत: डीपीआर, मप्र शासन १९९६,)। बाद में बरगी व्यपवर्तन परियोजना की योजना बनाई गई, जिससे कुल सिंचाई क्षमता बढ़कर 4,370 वर्ग किलोमीटर हो जाती।[1] बांध निर्माण का काम 1974 में शुरू हुआ और 1990 में पूरा हुआ, जब यह बांध अपनी पूरी क्षमता से भर गया। हालाँकि प्रस्तावित बिजली उत्पादन 105 मेगावाट था, वर्तमान में इस जल विद्युत उत्पादन संयंत्र में केवल 90 मेगावाट बिजली उत्पन्न हो रही है।[2] 45 मेगावाट की दो स्वतंत्र इकाइयाँ स्थापित की गई हैं और वे मुख्य रूप से सांयकाल के दौरान की जरूरते पुरा करती हैं।
बांध की ऊंचाई 69 मीटर और लंबाई 5.4 किमी है। और इससे बनी एक झील, लगभग 75 किमी की लंबाई और 4.5 किमी चौड़ाई के साथ 267.97 वर्ग किमी पर फैली हुई है।[3] जबलपुर, मंडला और सिवनी जिले का गठन, बांध में पानी के 422.76 मीटर तक पहुंचने के बाद किया गया।
इतिहास