लेखक | लील बहादुर क्षेत्री |
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मूल शीर्षक | बसाइँ |
भाषा | नेपाली |
प्रकाशक | मदन पुरस्कार पुस्तकालय |
प्रकाशन तिथि | 1957 (वि.सं.२०१४) |
प्रकाशन स्थान | ![]() |
पृष्ठ | 62 |
आई.एस.बी.एन | 9789993328964 |
बसाइँ लील बहादुर क्षेत्री द्वारा लिखित एक उपन्यास है। [1] [2] यह 1957 में साझ प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किया गया था। यह त्रिभुवन विश्वविद्यालय, नेपाल के पाठ्यक्रम में शामिल है। [3]
एक असमिया नेपाली लेखक छेत्री ने भारत में नेपाली प्रवासियों के अनुभव को शामिल करते हुए इस पुस्तक को लिखा था। पुस्तक ग्रामीण पहाड़ी नेपाल में एक गरीब किसान के जीवन को दर्शाती है और उन परिस्थितियों को दर्शाती है जिसके तहत उसे अपने गांव से दूर जाने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
यह किताब पूर्वी नेपाल के एक गुमनाम पहाड़ी गांव पर आधारित है। धन बहादुर बसनेत एक गरीब किसान हैं जो अपनी पत्नी, बहन और एक बेटे के साथ रहते हैं। किताब गांव में उसके संघर्ष को दिखाती है और बताती है कि कैसे वह दूसरों के द्वारा धोखा दिया जाता है। पुस्तक उन परिस्थितियों को दर्शाती है जिनमें गरीब नेपाली लोगों को रोजगार के लिए अपने घर से भारत में स्थानों की ओर पलायन करना पड़ता है। [4]
इस पुस्तक में गरीबी, जाति और लिंग भेदभाव सम्बन्धित अन्याय प्रमुख विषय हैं। पुस्तक दिखाती है कि कैसे अमीर लोग गरीब लोगों को दबाते हैं और कैसे उन्हें गरीबी की ओर धकेलते हैं।
माइकल हट द्वारा पुस्तक का अंग्रेजी में अनुवाद ' माउंटेन पेंटेड विद टर्मरिक ' के नाम में किया गया हे । [5]
2003 में सुभाष गजुरेल द्वारा पुस्तक को एक नेपाली फिल्म में रूपांतरित किया गया था। यह फिल्म सर्वश्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय फीचर फिल्म के अकादमी पुरस्कार के लिए नेपाल की आधिकारिक प्रविष्टि थी, हालांकि फिल्म को नामांकित नहीं किया गया था।