बाब ए'ख़ैबर (उर्दू: باب خیبر) (या बाब ए-ख़ैबर या बाब-ए-ख़ैबर)[1] एक स्मारकनुमा द्वारगाह है जो पाकिस्तान के फाटा (संघीय प्रशासित कबायली क्षेत्र) सूबे में विख्यात ख़ैबर दर्रे के प्रवेश स्थान पर स्थित है। यह जमरूद के क़िले के पास, दक्षीण-पूर्व की ओर जी॰टी॰ रोड(तेरख़म राजमार्ग वाले हिस्से) पर पेशावर से तक़रीबन 20 कि॰मी॰ की दूरी पर जमरूद कस्बे में स्थित है।[1]
बाब ए-ख़ैबर (या बाब-ए-ख़ैबर) एक उर्दू-फ़ारसी शब्द है; इसका अर्थ है ख़ैबर का दरवाज़ा, या सामान्यतः ख़ैबर द्वार। फ़ारसी भाषा में बाब(باب) का अर्थ होता है द्वार। इस शब्द को अक़सर बड़े स्मारकीय द्वारगाहों के उदात्त नामकरण के लिये इस्तेमाल किया जाता है(जैसे की बाब-ए-पाकिस्तान)
बाब ए-ख़ैबर का निर्माण 10वीं शताब्दी में पहली बार हुआ था, और इसे अंतिम बार 1964 में इसक नव-निर्माण किया गया था। पुनःनिर्मित स्मारक की उद्धाठन 11 जून 1965 में पाकिस्तान के ततकालीन राष्ट्रपति फ़ील्ड मार्शल अय़ूब ख़ान द्वारा किया गया था। यह स्मारक एक मूल रूप से ईंट-युक्त, सरल बनावट वाला, द्वार-स्मारक है, जिसकी रूपाकृती किसी सामान्य देर्ह्य-मध्यकालीन या शुरुआती-अधूनिक कालीन क़िले के संगत की है। यह ख़ैबर दर्रे का स्मारकीय द्वार है और अक़सर इसे ख़ैबर पख़्तूनख़्वा प्रांत की पहचान के रूप मों भी देखा जाता है क्सोंकी ख़ैबर हमेशा से ही पश्चिम और मध्य-एशिया के लिये उपमहाद्वीप का द्वार रहा है और पुरातन समय से ही न जाने कितने व्यापारी, शरणार्थी, पर्यटक और आक्रमणकारीयों ने इसी रासते से भारतवर्ष में प्रवेश किया है। यह स्मारक इसी पुरातन परम्परा की शागिर्द है। यह जी॰टी॰ रोड पर स्थित है, जो बांग्लादेश के चटगाँव और पश्चिम बंगाल के हावड़ा से ख़ैबर तक आती है, और यहां से आगे ख़ैबर दर्रे को पार कर तोरख़म बाॅडर क्रौसिंग(पाक-अफ़ग़ान सीमा), और आगे सीधे काबुल(अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी) तक जाती है।
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निर्देशांक: 34°00′09″N 71°22′48″E / 34.0025°N 71.3800°E