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बिन्ध्याबासिनी देवी | |
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जन्म |
5 मार्च 1920 मुज़फ़्फ़रपुर, बिहार, भारत |
मौत |
18 अप्रैल 2006 कंकरबाग, पटना, बिहार, भारत |
पेशा | लोक संगीत |
जीवनसाथी | शीधेश्वर चन्द्र वर्मा |
बच्चे | दो बेटे- (संतोश कुमार सिन्हा और सुधीर कुमार सिन्हा) और एक बेटी- (पुष्पारानी मधु) |
पुरस्कार |
पद्म श्री संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार संगीत नाटक अकादमी फैलोशिप अहिल्या बाई पुरस्कार |
बिंध्यवासिनी देवी भारतीय संगीतकार और विंध्य कला मंदिर की संस्थापक हैं। यह पटना में स्थित संगीत अकादमी हैं जो संगीत को बढ़ावा देती हैं। विंध्य कला मंदिर लखनऊ में स्थित भातखंडे विश्वविद्यालय से 55 साल से जुड़ी हुआ है। जिसे अब उनकी बहु शोभा सिन्हा और उनके पुत्र सुधीर कुमार सिन्हा चला रहे हैं।[1][2] उनका जन्म भारत के बिहार राज्य के मुज़फ़्फ़रपुर जिला में हुआ था। उन्हें मैथिली, भोजपुरी और मगही संगीत में विशेषज्ञता प्राप्त हैं।[1] उन्होंने अनेक लोकप्रिय गीत भी गाए हैं जिसमें छोटा दुल्हा के,विवाह गीत प्रसिद्ध है।[3] उनके कई गीत का सीडी प्रारूप भी जारी किए गए हैं। [4][5][6]
उनको भारत सरकार ने 1974 में भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया। [7] संगीत नाटक अकादमी ने उन्हें 1991 में अपना वार्षिक पुरस्कार दिया।[8] 2006 में उन्हें साहित्य अकादमी फैलोशिप भी दी गई।[9][10] मध्य प्रदेश सरकार ने उन्हें 1998 में अहिल्या बाई पुरस्कार से नवाजा।[1][2] बिंध्यवासिनी देवी जी की मृत्यु 86 वर्ष उम्र में 18 अप्रैल, 2006 को हो गयी। उस समय उनके दो पुत्र और एक पुत्री थीं।
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