बिष्ट व विष्टसंस्कृत के विशिष्ट नामक शब्द का अपभ्रंश है। इसे हजारों वर्ष पूर्व, हिमालयी क्षेत्र के कुछ खण्डों नेपाल, कुर्मान्चल (कुमांऊॅं), केदारखण्ड (गढ़वाल), जालन्धर (हिमाचल प्रदेश), और सुरम्य कश्मीर में उपनाम के रूप प्रयोग किया जाता है। इस उपनाम की उत्पत्ति का आधार अभी तक अज्ञात ही है। यह उपनाम रूपी शब्द नाम के पश्चात ही लगाया जाता है, जो आज भी इन्हीं क्षेत्रों में प्रयोग किया जाता है। यह बिष्ट नामक उपनाम अधिकॉशत: ठाकुर, क्षत्रिय यानि हिन्दू राजपूत लोग ही अपने नाम के साथ लगाते हैं।[2]
नेपाल के बिष्ट - बिष्ट व विष्ट नेपाली क्षत्रिय समुह क्षेत्री जाति के एक पारिवारिक नाम है। ये ऐतिहासिक पाँच काजी परिवारोंमे से एक है। अन्य चार परिवार थापा, बस्नेत, कुँवर और पाण्डे है। राजा पृथ्वीनारायण शाहके समयमें दो विष्ट बन्धु; गजबल विष्ट और अतिबल विष्ट ने युद्धमें साहयता कि थी। तबसे उनको काजी पदसे सम्मानित किया गया और दरबारके घरानियाँ क्षत्रिय समूह में प्रवेश मिल गया।[3]
कुमांऊॅं के बिष्ट - प्राचीन काल में अधिकांशत: कुमांऊॅं क्षेत्र के राजपूतवंशावलियों के ठाकुर यानि क्षत्रिय लोग अपने नाम के साथ बिष्ट नामक उपनाम का प्रयोग करते थे। शनै-शनै कालान्तर के साथ विभिन्न राजपूत समुदायों ने भी बिष्ट नामक उपनाम को अपने नाम के साथ उपनाम के रूप में जोड़ना शुरू कर दिया था। जो वर्तमान में भी जारी है। अब कुमांऊॅं, गढ़वाल तथा हिमाचल प्रदेश में कई प्रकार के बिष्ट पाये जाते हैं।[उद्धरण चाहिए]
गढ़वाल के बिष्ट - गढ़वाल में भी बिष्ट एक उपनाम के रूप में प्रयोग किया जाता है। जिसे प्रायः राजपूत लोग अपने नाम के बाद लगाते हैं।[उद्धरण चाहिए]
हिमाचल प्रदेश के बिष्ट - हिमाचल प्रदेश में भी बिष्ट नामक उपनाम के लोग पाये जाते है। जिसे अधिकॉशत: ठाकुर, क्षत्रिय यानि राजपूत लोग अपने नाम के साथ प्रयोग करते हैं।[उद्धरण चाहिए]