बी. सरोजा देवी | |
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2 सितंबर 2008 को नई दिल्ली में 54 वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में सरोजा देवी। | |
जन्म |
7 जनवरी 1938 बेंगलुरु, भारत |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
उपनाम |
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पेशा | अभिनेत्री |
कार्यकाल | 1955–वर्तमान |
जीवनसाथी | श्री हर्षा (वि॰ 1967; नि॰ 1986) |
बच्चे | 1 |
पुरस्कार |
भैरप्पा सरोजा देवी[1] जिन्हें उनके लोकप्रिय नाम बी. सरोजा देवी (जन्म; 7 जनवरी 1938) से जाना जाता है, एक भारतीय अभिनेत्री हैं जिन्होंने कन्नड़, तमिल, तेलुगु और हिन्दी फिल्मों में अभिनय किया है। उन्होंने छह दशकों में लगभग 200 फिल्मों में अभिनय किया है।[2][3] उन्हें "अभिनय सरस्वती" और "कन्नड़थु पिंगिली" जैसे नामों से भी पुकारा जाता है।
सरोजा देवी को, 17 साल की उम्र में, उनकी पहली फिल्म 'महाकवि कालीदास' (1955) जो कि कन्नड़ भाषा की में बनी थी, में काम करने का अवसर मिला। तेलुगु सिनेमा में, उन्होंने पांडुरंगा महात्म्य (1959) के साथ अपनी शुरुआत की, और 1970 के दशक के अंत तक कई सफल फिल्मों में अभिनय किया। उनकी पहली तमिल फिल्म नादोदी मन्नान (1958) थी जिसने उन्हें तमिल सिनेमा की शीर्ष अभिनेत्रियों में से एक बना दिया। सरोजा देवी की पहली हिन्दी फिल्म पैगाम (1959) थी जिसमे उन्होने दिलीप कुमार के साथ अभिनय किया था। 1967 में अपनी शादी के बाद भी वो लगातर अभिनय में सक्रिय रहीं। पैगाम के अलावा उन्होने कई अन्य हिंदी फिल्मों में भी अभिनय किया।
उन्होंने 1955 और 1984 के बीच 29 वर्षों में लगातार 161 फ़िल्मों[4] में मुख्य नायिका की भूमिका निभाई। 1969 में सरोजा देवी को, भारत का चौथा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म श्री और 1992 में तीसरा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण, प्रदान किया गया। बैंगलोर विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की मानद उपाधि और तमिलनाडु से कलीममणि पुरस्कार से भी इन्हें सम्मानित किया गया है।