बीना बीना-इटावा, इटावा | |
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बीना (Bina) | |
![]() बीना रेलवे जंक्शन | |
निर्देशांक: 24°11′13″N 78°12′14″E / 24.187°N 78.204°Eनिर्देशांक: 24°11′13″N 78°12′14″E / 24.187°N 78.204°E | |
देश | ![]() |
प्रांत | मध्य प्रदेश |
जिला | सागर जिला |
क्षेत्रफल | |
• कुल | 733.17 किमी2 (283.08 वर्गमील) |
ऊँचाई | 413 मी (1,355 फीट) |
जनसंख्या (2021) | |
• कुल | 4,25,567 |
भाषाएँ | |
• प्रचलित | हिंदी |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
pincode | 470113,470124,464240 |
वाहन पंजीकरण | MP-15,MP-08,MP-40 |
बीना, जिसे पहले बीना-इटावा या इटावा कहा जाता था, भारत के मध्य प्रदेश राज्य के सागर जिले में स्थित एक नगर है। यह पश्चिम मध्य रेलवे का एक प्रमुख रेलवे जंक्शन, तहसील और विधानसभा निर्वाचनक्षेत्र और औद्योगिक नगर भी है। यहाँ पर एक बहुत पुरानी जीएस फ्लोर मिल है और नई आरबी एग्रो इंडस्ट्री है यह दो बड़े औद्योगिक इकाइयाँ है यहाँ पाँच वेयरहाउस और बिना रिफायनरी भी है [1][2] यह क्षेत्र मुख्यत: मध्यप्रदेश के पश्चिमोत्तरी क्षेत्र में स्थित मालवा के पठार पर स्थित है।[3]
इसके भौतिक स्वरूप की विशेषता धसान, बेबस, सुनार, कोपरा और बामनेर नदियों की पाँच समानांतर घाटियाँ है। यह समुद्र तल से ६८३.४ मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यह क्षेत्र गंगा-यमुना के जलग्रहण क्षेत्र में स्थित है। मुख्यत: गेहूँ, धान, ज्वार, मक्का, चना, तुअर, सोयाबीन एवं तिल का उत्पादन होता है। अन्य फसले सब्जियाँ फल आदि की भी पैदावार होती है।
बीना के निकट आगासौद में भारत ओमान तेल रिफायनरी की स्थापना के अतिरिक्त बिजली उत्पादन केंद्र बनाए जा रहे है। रिफायनरी के लिए कच्चा तेल गुजरात से प्राप्त होगा। उद्योगों के उप उत्पादों से अन्य सहयोगी अनुशंसी उद्योगों को कच्चा माल उपलब्ध होगा जिससे रोजगार के अवसर बनेंगे और इस इलाके का आर्थिक एवं सामाजिक विकास होगा।
मध्यप्रदेश नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम 1973 की धारा 4 के अंतर्गत मध्यप्रदेश शासन के आवास एवं पर्यावरण विभाग की अधिसूचना क्रमांक एफ-3/32 दिनांक 13 मई 1999 से तीन जिले (सागर, विदिशा, गुना) को मिलाकर बीना पेट्रोकेमिकल औद्योगिक रीजन घोषित किया गया है। पेट्रोलियम रिफायनरी की स्थापना का उद्देश्य इस क्षेत्र के आस-पास के क्षेत्रों में आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, भौतिक एवं पर्यावरणीय विकास में संरक्षित समन्वय स्थापित करना, क्षेत्रीय असंतुलन, पिछड़ापन, बेरोजगारी दूर करना एवं पलायन को रोकना है। इसके साथ ही साथ ऊर्जा, यातायात एवं परिवहन, आर्थिक एवं सामाजिक सेक्टर में उच्च स्तरीय अधोसंरचनाओं को विकसित करना है।