वृहत्त्रयी से तात्पर्य आयुर्वेद के तीन महान ग्रंथों के समूह से है। ये तीन ग्रंथ हैं-
किन्तु संस्कृत काव्य में बृहत्त्रयी से तात्पर्य किरातार्जुनीयम्, शिशुपालवध एवं नैषधीयचरित से है, और आज के समय मे यही अर्थ प्रसिद्धि पाए हुए हैं।