बृहस्पति देव त्रिगुण | |
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जन्म |
1920 भारत |
मौत |
2013 |
बृहस्पति देव त्रिगुण (1920 - 2013) एक वैद्य अथवा आयुर्वेदिक चिकित्सक थे। वो पल्स निदान के विशेषज्ञ और पल्स निदान के आयुर्वेदिक तकनिज्ञ थे।
उन्हें १९९२ में पद्म भूषण और २००३ में भारत सरकार का द्वितीय सर्वश्रेष्ठ नागरीक सम्मान पद्म विभूषण मिला।
त्रिगुण अखिल-भारतीय आयुर्वेदिक कांग्रेस के अध्यक्ष[1] और आयुर्वेद शोध के लिए केन्द्रिय परिषद के निदेशक तथा आयुर्वेद राष्ट्रीय अकादमी के अध्यक्ष सहित विभिन्न सरकारी पदों पर नियुक्त हुये। वो भारत के राष्ट्रपति के निजी चिकित्सक भी रहे।[2] उन्होंने आयुर्वेदिक दवाओं के मानकीकरण तथा भारत के आयुर्वेदिक चिकित्सा महाविद्यालयों के प्रमाणीकरण के क्षेत्र में भी कार्य किया।
त्रिगुण ने महाऋषि आयुर्वेद के विकास के लिए महर्षि महेश योगी और अन्य आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के साथ सहयोग किया।[3] उनकी प्राथमिक शिक्षा दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन के पास सराय काले खान में अभ्यास किया। उन्होंने विश्व के विभिन्न हिस्सों में यात्राएँ की और यूरोप में उन्होंने अपने आयुर्वेदिक क्लिनिक खोले।[4] उनकी अमेरिका यात्रा में चिकित्सा संस्थानों जैसे यूसीएलए, हार्वर्ड और जॉन्स हॉप्किन्स में आयुर्वेद पर संभाषण किया।[5]
सन् २००३ में त्रिगुण को भारत सरकार ने द्वितीय सर्वोच्य नागरीक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया।[6]
वैद्य बृहस्पति देव त्रिगुण का १ जनवरी २०१३ को सराय काले खान, निजामुद्दीन, नई दिल्ली स्थित उनके घर पर निधन हो गया।[7][8] उनके पुत्र नरेन्द्र त्रिगुण और वैद्य देवेन्द्र त्रिगुण उसी स्थान पर उनके कार्य को आगे बढ़ा रहे हैं।[9]
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