Saussurea obvallata | ||||||||||||||||
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वैज्ञानिक वर्गीकरण | ||||||||||||||||
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द्विपद-नामकरण | ||||||||||||||||
Saussurea obvallata (DC.) Edgew. |
ब्रह्म कमल (वानस्पतिक नाम : Saussurea obvallata) एस्टेरेसी कुल का पौधा है। सूर्यमुखी, गेंदा, डहलिया, कुसुम एवं भृंगराज इस कुल के अन्य प्रमुख पौधे हैं।
भारत में Epiphyllum oxypetalum को भी 'ब्रह्म कमल' कहते हैं। उत्तराखंड में इसे कौल पद्म नाम से जानते हैं। उत्तराखंड में ब्रह्म कमल की 24 प्रजातियां मिलती हैं पूरे विश्व में इसकी 210 प्रजातियां पाई जाती है ब्रह्म कमल के खिलने का समय जुलाई से सितंबर है ब्रह्म कमल, फैनकमल कस्तूराकमल के पुष्प बैगनी रंग के होते हैं उत्तराखंड की फूलों की घाटी में केदारनाथ में पिंडारी ग्लेशियर में यह पुष्प बहुतायत पाया जाता है इस पुष्प का वर्णन वेदों में भी मिलता है महाभारत के वन पर्व में इसे सौगंधिक पुष्प कहा गया है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस पुस्तकों केदारनाथ स्थित भगवान शिव को अर्पित करने के बाद विशेष प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। ब्रह्म कमल के पौधों की ऊंचाई 70 से 80 सेंटीमीटर होती है जुलाई से सितंबर तक मात्र 3 माह तक फूल खिलते हैं बैगनी रंग का इसका पुष्प टहनियों में ही नहीं बल्कि पीले पत्तियों से निकले कमल पात के पुष्पगुच्छ के रूप मे खिलता है जिस समय यह पुष्प खिलता है उस समय वहां का वातावरण सुगंधित से भर जाता है
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