ब्रह्मसरोवर | |
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स्थान | थानेसर, हरियाणा |
निर्देशांक | 29°58′N 76°50′E / 29.96°N 76.83°Eनिर्देशांक: 29°58′N 76°50′E / 29.96°N 76.83°E |
द्रोणी देश | भारत |
अधिकतम चौड़ाई | 1,800 फीट (550 मी॰) |
अधिकतम गहराई | 45 फीट (14 मी॰) |
ब्रह्मसरोवर भारत के हरियाणा राज्य के थानेसर में स्थित एक सरोवर है जो हिन्दुओं द्वारा अत्यन्त पवित्र माना जाता है।[1] सूर्यग्रहण के अवसर पर यहां विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। इस अवसर पर लाखों लोग ब्रह्मसरोवर में स्नान करते हैं। कई एकड़ में फैला हुआ यह तीर्थ वर्तमान में बहुत सुन्दर एवं सुसज्जित बना दिया गया है। कुरूक्षेत्र विकास बोर्ड के द्वारा इसे बहुत दर्शनीय रूप प्रदान किया गया है तथा रात्रि में प्रकाश की भी व्यवस्था की गयी है।
कुरूक्षेत्र के जिन स्थानों की प्रसिद्धि संपूर्ण विश्व में फैली हई है उनमें ब्रह्मसरोवर सबसे प्रमुख है। इस तीर्थ के विषय में विभिन्न प्रकार की किंवदंतियां प्रसिद्ध हैं। इस तीर्थ के विषय में महाभारत तथा वामन पुराण में भी उल्लेख मिलता है। जिसमें इस तीर्थ को परमपिता ब्रह्मा जी से जोड़ा गया है। ब्रह्म सरोवर के उत्तरी तट पर कई धर्मशाला बनी हुई है जिनमें रोड़ धर्मशाला,गुर्जर धर्मशाला तथा जाट धर्मशाला मुख्य हैं ।इन दोनों धर्मशाला में सैलानियों को तीन समय का भोजन मुफ्त दिया जाता है।
मिथकों की कहानियों के अनुसार, ब्रह्मा ने एक विशाल यज्ञ के बाद कुरुक्षेत्र की भूमि से ब्रह्माण्ड का निर्माण किया। यहां का ब्रह्म सरोवर सभ्यता का पालना माना जाता है। सरोवर का उल्लेख ग्यारहवीं शताब्दी के अल बरुनी के संस्मरणों में भी मिलता है, जिसे 'किताब-उल-हिंद' कहा जाता है। सरोवर का उल्लेख महाभारत में भी है कि युद्ध के समापन के दिन दुर्योधन ने खुद को पानी के नीचे छिपाने के लिए इसका इस्तेमाल किया था।
भगवान शिव को समर्पित एक पवित्र मंदिर सरोवर के भीतर है, जो एक छोटे से पुल से सुलभ है। शास्त्रों के अनुसार, इस सरोवर में स्नान करने से [अश्वमेध यज्ञ]' करने की पवित्रता बढ़ती है। पूल में प्रत्येक वर्ष नवंबर के अंतिम सप्ताह और दिसंबर की शुरुआत में गीता जयंती समारोह के दौरान एक सांस लेने वाला दृश्य दिखाई देता है, जब पानी में तैरते दीपों का गहरा दान ’समारोह होता है और [आरती] होती है। यह वह समय भी होता है जब दूर-दूर से प्रवासी पक्षी सरोवर में आते हैं। सरोवर के पास [बिड़ला गीता] मंदिर और बाबा नाथ की हवेली का आकर्षण हैं।
कहा जाता है कि यहाँ स्थित विशाल तालाब का निर्माण महाकाव्य महाभारत में वर्णित कौरवों और पांडवों के पूर्वज राजा कुरु ने करवाया था। कुरुक्षेत्र नाम 'कुरु के क्षेत्र' का प्रतीक है।