ब्राज़ील, रूस, भारत और चीन |
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ब्रिक |
ब्रिक यानी बीआरआईसी विश्व की सर्वाधिक तेजी से विकसित होती अर्थव्यवस्थाओं वाले विकासशील देशों- ब्राजील, रूस, भारत और चीन का संगठन है। इस शब्द का पहली बार प्रयोग 2001 में गोल्डमैन शश ने किया था। ये चारों देश संयुक्त रूप से विश्व का एक-चौथाई क्षेत्र घेरते हैं और इनकी जनसंख्या विश्व की कुल आबादी का 40 प्रतिशत से अधिक है। इन देशों का सकल घरेलु उत्पाद 15.435 ट्रिलियन डॉलर है।[1]
गोल्डमैन शश का तर्क था कि ब्राजील, रूस, चीन और भारत की अर्थव्यवस्थाएँ आर्थिक रूप से इतनी मजबूत हैं कि 2050 तक ये चारों अर्थव्यवस्थाएं वैश्विक परिदृश्य पर हावी होगी। हालांकि शश का ये उद्देश्य कतई नहीं था कि ये चारों देश राजनीतिक गठजोड़ कर किसी संगठन का निर्माण करें। शश का आकलन था कि भारत और चीन उत्पादित वस्तुओं और सर्विस के सबसे बड़े प्रदाता होंगे, वहीं ब्राजील और रूस कच्चे माल के सबसे बड़े उत्पादक हैं। ब्राजील जहाँ लौह अयस्कों की आपूर्ति में प्रथम है तो रूस तेल एवं प्राकृतिक गैस के मामले में शीर्ष पर है।[1]
ब्रिक देशों की पहली आधिकारिक बैठक 16 जून, 2009 को रूस के येकेटिनबर्ग में हुई थी।4328836,00.html[मृत कड़ियाँ] 17 जून, 2009 को हुई बैठक में इन देशों ने आपसी सहयोग बढ़ाने पर बल दिया। इसमें एक वैश्विक मुद्रा बनाने की बात कही गई थी। 4 सितम्बर, 2009 में इसकी बैठक लन्दन में हुई थी। इसमें यह तय हुआ कि स्थिर वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए विश्व मुद्रा कोष जैसी अन्तरराष्ट्रीय संस्थाओं में बदलावों की ज़रूरत है। साथ ही बदलाव की इस प्रक्रिया में विकासशील देशों की बराबर हिस्सेदारी होनी चाहिए।[2][3] 2010 की बैठक ब्राजील में आयोजित की जाएगी।
दिसम्बर 2005 में प्रकाशित एक गोल्डमैन सैचस पेपर ने समझाया कि मेक्सिको को मूल ब्रिक्स में क्यों शामिल नहीं किया गया था।[5] द इकोनॉमिस्ट अपने "पॉकेट वर्ल्ड इन फ़िगर्स" में सामाजिक-आर्थिक राष्ट्रीय आँकड़ों की एक वार्षिक तालिका प्रकाशित करता है। ब्रिक थीसिस के आर्थिक आधार के लिए। यह यह भी दर्शाता है कि कैसे, उनके भिन्न आर्थिक आधारों के बावजूद, विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं के बीच वैश्विक रैंकिंग में आर्थिक संकेतक उल्लेखनीय रूप से समान हैं। इससे यह भी पता चलता है कि, जबकि मेक्सिको को ब्रिक थीसिस में जोड़ने के लिए आर्थिक तर्क दिए जा सकते हैं, दक्षिण कोरिया को शामिल करने का मामला काफी कमजोर दिखता है।