भगवान् , विष्णु पुराण के पाँचवें अध्याय में ऋषि पराशर के अनुसार वह है जो ऐश्वर्य, धर्म, यश, श्री, ज्ञान तथा वैराग्य से युक्त है।
भागवत पुराण के अनुसार जिसे तत्व का ज्ञानी कहते हैं, जो तत्व का ज्ञान देता है, उसे ब्रह्म, परमात्मा तथा भगवान् इत्यादि शब्दों से पुकारा जाता है।
विष्णु पुराण के अनुसार भगवान् की प्राप्ति ज्ञान और कर्म के द्वारा की जा सकती है।
वेदों में भगवान् शब्द का उल्लेख नहीं है परंतु इसके पर्यायवाची ईश्वर, परमात्मा, ब्रह्म, रुद्र, विष्णु, अग्नि, इंद्र आदि का है।
श्लोक १.१६४.४६:
अर्थात, एक सच्चे विप्र को बहुत तरह से पुकारा जाता है जैसे अग्नि, यम, मातरिश्वा आदि।
श्लोक १३.४.१६:
अर्थात, जो सबके बीच एकमात्र सर्वोच्च सत्ता के रूप में विचरण करता है।
पुराणों में यह ईश्वर के नाम में उल्लिखित है।
उपनिषदों में ब्रह्म के नाम से उल्लिखित है।
महाभारत व भगवद गीता में कृष्ण ने अर्जुन को दिए गए उपदेश में स्वयं को ‘भगवान’ कहा है।
वाल्मीकि रामायण में राम को भगवान कहा गया है।
मनुस्मृति व याज्ञवल्क्य स्मृति में भगवान का उल्लेख और उनकी पूजा पद्धतियों का वर्णन है।
अगम और तंत्र शास्त्र में शिव और शक्ति की पूजा विधियों में भगवान् शब्द का वर्णन है।
अद्वैत वेदांत में शंकराचार्य जी ने भगवान को निर्गुण ब्रह्म कहा है, जो निराकार, अनंत और अपार है।
भगवान् कहलाए जाने वाले पात्रों की सूची: