इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर इस लेख में सुधार करें। स्रोतहीन सामग्री ज्ञानकोश के उपयुक्त नहीं है। इसे हटाया जा सकता है। (जून 2014) स्रोत खोजें: "भारत में सिक्का-निर्माण" – समाचार · अखबार पुरालेख · किताबें · विद्वान · जेस्टोर (JSTOR) |
ईसापूर्व प्रथम सहस्राब्दी में भारत के शासकों द्वारा सिक्कों की निर्माण का कार्य आरम्भ हो चुका था। प्रारम्भ में मुख्यतः ताँबे तथा चाँदी के सिक्कों का निर्माण हुआ।[उद्धरण चाहिए]
हाल में द्वारका की प्राचीन नगरी में छेदयुक्त प्रस्तर मुद्राएँ मिली हैं जिनका काल लगभग पाँच हजार वर्ष से भी अधिक पुराना है।[उद्धरण चाहिए] यह भी अच्छी तरह ज्ञात है कि भारत में मौर्य वंश (322–185 BCE) के बहुत पहले से ही धातु के सिक्कों का निर्माण शुरू हो चुका था। आधुनिक कार्बन तिथिकरण (carbon dating) के अनुसार ये धातु के सिक्के ५वीं शदी ईसापूर्व से भी पहले के हैं।[उद्धरण चाहिए]
भारत में तुर्कों और मुगलों के शासन के समय विशेष परिवर्तन यह आया कि सिक्कों पर अरबी लिपि का प्रयोग किया जाने लगा। १९वीं शताब्दी में ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने भारत में एकसमान मुद्रा का प्रचलन किया। [उद्धरण चाहिए]
भारत में प्रथम सिक्का बिहार व पूर्वी उत्तर प्रदेश में चलाए गए थे
पुरातात्विक स्रोत
सिक्का
प्राचीन भारतीय इतिहास जानने का महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्रोत सिक्का है | सिक्कों से हमें पता चलता है :- राजा के सम्राज्य विस्तार, राजा का धर्म,सम्राज्य की चौहदी तथा आर्थिक स्थिति का विशेष जानकारी प्राप्त होता है |
सिक्कों का स्रोत एवं नाम से जाना जाता
वैदिक साहित्य में सिक्के के लिए निस्क, सतमान, कृष्णल, हिरण्यपिंड जैसे शब्दों का उल्लेख हुआ है लेकिन विद्वानों का मानना है ये सिक्के न होकर सोने की इकाई था जिसका इस्तेमाल वस्तु विनिमय में किया जाता था |
यह इतिहास -सम्बन्धी लेख एक आधार है। जानकारी जोड़कर इसे बढ़ाने में विकिपीडिया की मदद करें। |