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भारतीय शेयर बाज़ार घोटाला 1992(अंग्रेजी़1़़992 Indian stock market scam) हर्षद शांतिलाल मेहता द्वारा बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के अन्य बैंकरों और राजनेताओं के साथ मिलकर किया गया एक बाज़ार हेरफेर था। इस घोटाले ने भारत के शेयर बाजार में महत्वपूर्ण व्यवधान पैदा किया, जिससे निवेशकों को दस मिलियन अमरीकी डालर से अधिक का चूना लगा।
यह घोटाला लगभग ₹ 5,000 करोड़ की राशि के साथ भारत में अब तक का सबसे बड़ा मनी मार्केट घोटाला था । घोटाले का मुख्य आरोपी स्टॉक और मनी मार्केट ब्रोकर हर्षद मेहता था। यह नकली बैंक रसीदों और स्टांप पेपर का उपयोग करके एक व्यवस्थित स्टॉक घोटाला था जिसके कारण भारतीय शेयर बाजार में काफी गिरावट आई थी। इस घोटाले ने भारतीय वित्तीय प्रणालियों की अंतर्निहित खामियों को उजागर किया और ऑनलाइन सुरक्षा प्रणालियों की शुरूआत सहित स्टॉक लेनदेन की एक पूरी तरह से सुधार प्रणाली के रूप में सामने आया।
सुरक्षा धोखाधड़ी का तात्पर्य बैंकिंग प्रणाली से विभिन्न स्टॉकधारकों या दलालों को धन हस्तांतरित करने के विचार से है। [1]
1992 का घोटाला भारतीय शेयर बाजार में मेहता द्वारा किया गया एक व्यवस्थित धोखाधड़ी था जिसके कारण सुरक्षा प्रणालियाँ पूरी तरह ध्वस्त हो गईं। उसने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज से स्टॉक खरीदने के लिए बैंकिंग प्रणाली से 1  अरब डॉलर से अधिक का घोटाला किया। [2] मेहता ने फर्जी प्रथाओं के माध्यम से शेयरों की कीमतें ऊंची कर दीं और इन कंपनियों में अपने स्वामित्व वाले स्टॉक बेच दिए। [3]