प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करते हुए ओमान के सुल्तान के विशेष दूत; अगस्त 2014।
भारत-ओमान संबंधभारतीय गणराज्य और ओमानी सल्तनत के बीच विदेशीसंबंध हैं। भारत का एक दूतावास मस्क़त (ओमान की राजधानी) में है। फरवरी 1955 में मस्कट में एक भारतीय कॉन्सलट खोला गया था जिसे 1960 में एक कॉन्सलट जनरल में और बाद में 1971 में एक पूर्ण दूतावास में बदल दिया गया था। 1973 में भारत के पहले राजदूत मस्क़त पहुंचे। [1] ओमान ने 1972 में नई दिल्ली में अपना दूतावास और 1976 में मुंबई में एक वाणिज्य दूतावास की स्थापना की। भारत और ओमान में कई सहस्राब्दियों से व्यापार और लोगों से लोगों का संबंध रहा है। ओमान में एक बड़ा भारतीय प्रवासी समुदाय (लगभग पाँच लाख से अधिक लोग, ओमान में रहने वाला किसी भी देश का सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय) है और ओमान के लिए भारत एक महत्वपूर्ण व्यापारिक भागीदार है। राजनीतिक रूप से, ओमान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए भारत की आकांक्षा का समर्थन करता रहा है।[2] इसके साथ ही ओमान ऐसा पहला खाड़ी देश है, जिसने भारत के साथ औपचारिक सैन्य-संबंध स्थापित किए हैं।[3]
भारत और ओमान के बीच व्यापार में हज़ारों सालों का इतिहास है। ओमान में हुए पुरातात्विक उत्खनन के अनुसार तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व के लगभग (शास्त्रीय युग के दौरान) भारत और ओमान के बीच व्यापार होता था।[4] बाद में, ओमान के गुजरात और मालाबार तट पर मौजूद भारतीय राज्यों के साथ संबंध थे। टीपू सुल्तान ने अपने शासनकाल के दौरान ओमान को एक राजनयिक प्रतिनिधिमंडल भेजा था।
ओमान में पाँच लाख से अधिक भारतीय नागरिक रहते हैं, जो उन्हें ओमान का सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय बनाते हैं। वे सालाना 780 मिलियन अमेरिकी डॉलर रेमिटन्स भारत भेजते हैं।[5] भारत उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए ओमानी छात्रों का एक प्रमुख स्थान है और हाल के वर्षों में ओमान से देश में आने वाले चिकित्सा पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है।[6][7][8] ओमान भी भारत में एक पर्यटन स्थल के रूप में खुद को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहा है। सन 2011 में लगभग 12,000 भारतीय पर्यटक पर्यटक वीजा पर ओमान गए थे। [9]
2010 में भारत और ओमान के बीच द्विपक्षीय व्यापार 4.5 बिलियन डॉलर था। गैर-तेल निर्यात के लिए भारत ओमान का दूसरा सबसे बड़ा गंतव्य था और आयात के लिए इसका चौथा सबसे बड़ा स्रोत था। भारतीय और ओमानी फर्मों ने उर्वरकों, फार्मास्यूटिकल्स, ऊर्जा और इंजीनियरिंग सहित कई क्षेत्रों में संयुक्त उपक्रम किए हैं। [10]भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों और ओमान ऑयल कंपनी के बीच संयुक्त उपक्रम के रूप में ओमान-भारत उर्वरक कंपनी में (ओमिफ्को) संयंत्र सुर (ओमान) और में भारत-ओमान तेल रिफाइनरी (बीना) स्थापित किए गए हैं। [11][12]
भारत ओमान से 1,100 किलोमीटर लंबी पानी के नीचे प्राकृतिक गैस पाइपलाइन के निर्माण पर विचार कर रहा है। दक्षिण एशिया गैस एंटरप्राइज (SAGE) के अनुसार यह पाइपलाइन ईरान-पाकिस्तान-भारत पाइपलाइन के विकल्प के रूप में कार्य करेगी। इस परियोजना के बारे में 1985 में पहली बार विचार किया गया था, लेकिन इसे अमल में लाने में रफ़्तार धीमी थी। [13][14][15][16]
भारतीय राजदूत रॉबिन धोवन साउथ ब्लॉक, नई दिल्ली में ओमानी रियर एडमिरल अब्दुल्ला बिन ख़ासिम बिन अब्दुल्ला अल रईसी से भेंट करते हुए; 7 सितंबर 2015
ओमान पहला खाड़ी देश है जिसने भारत के साथ रक्षा संबंधों को औपचारिक रूप दिया है। दोनों देशों ने 2006 में संयुक्त सैन्य अभ्यास किया और बाद में एक रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए। [17] 2008 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की ओमान यात्रा के बाद दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को और आगे बढ़ाया गया। भारतीय नौसेना के पास ओमान में बर्थिंग (berthing) अधिकार है, [18]और यह अदन की खाड़ी में एंटी-पायरेसी ऑपरेशन करने के लिए ओमान के बंदरगाहों का उपयोग बेस के रूप करती है। भारतीय वायु सेना 2009 के बाद से ओमान की रॉयल एयर फोर्स के साथ संयुक्त युद्धाभ्यास कर रही है। [19][20]ओमान को यमन में बढ़ती अशांति से बचाने के लिए उन्होंने ने ओमान-यमन सीमा पर बाड़ लगाने के लिए भारत से संपर्क किया है। [21]ओमान की शाही सेना मानक रूप से भारत की इंसास राइफल का प्रयोग करती है। भारत को रास अल हद्द में एक लिसनिंग पोर्ट[22][23][24][25]और मस्कट नौसैनिक अड्डे पर भारतीय नौसेना के लिए बर्थिंग अधिकार प्राप्त हैं।[26][27]
यह भारत और ओमान के बीच आयोजित होने वाला एक द्विपक्षीय समुद्री युद्धाभ्यास है। इसे पहली बार 1993 में आयोजित किया गया था, और इसका दसवां संस्करण जनवरी 2016 में आयोजित किया गया था।[28]
↑Dominguez, Gabriel; Bedi, Rahul (February 14, 2018). "Indian Navy to get increased access to Omani port of Duqm, says report". Jane's Information Group. मूल से 15 फ़रवरी 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 सितंबर 2019. The MOU allows IN vessels to use the facilities at Duqm Port during visits “in terms of services and the use of the dry dock for maintenance”, according to the report, which was published during Indian Prime Minister Narendra Modi’s two-day visit to the sultanate.