भाषा की राजनीति

फ्रांसीसी बहुल ब्रसेल में एक जगह फ्लेमी भाषा बोलने वाले लोग रहते हैं, इस कारण दोनों भाषाओं में निर्देश दिये गए हैं।

भाषा की राजनीति करने वाले लोग भाषाई मतभेद उत्पन्न कर उसका राजनीतिक लाभ उठाते हैं। सामान्यतः भाषा की राजनीति राजनेताओं द्वारा की जाती है। जिसमें कई नेता चाहे वे किसी अन्य भाषा में आम तौर पर बात करते हों, लेकिन जनता के सामने उनकी भाषा में बात करते हैं, जिससे जनता को विश्वास हो कि वह नेता उन्हीं का है। इस तरह का कार्य नेता अपना रिश्ता जनता से जोड़ने के लिए करते हैं। इसके अलावा भी कई प्रकार से भाषा की राजनीति की जाती है।

आधिकारिक भाषा

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किसी भी देश में उसकी भाषा के संरक्षण और विकास के लिए यह आवश्यक है कि उसी भाषा में सरकार कार्य करे और सभी सुविधाओं को भी उसी भाषा में प्राप्त किया जा सके। इस कारण हर देश में आधिकारिक भाषा चुना जाता है। जिससे उसी भाषा में सरकार कार्य कर सके। यह भाषा उस देश में सबसे अधिक लोगों द्वारा बोली, समझी जाती है या उस देश में निर्मित भाषा होती है। लेकिन कुछ देशों में एक से अधिक भाषाओं के बोले और समझे जाने व कई भाषाओं का जन्म स्थान होने के कारण आधिकारिक भाषा चुनने में समस्या उत्पन्न होती है।

यदि कोई ऐसे देश की सरकार अपने देश की किसी भाषा को आधिकारिक भाषा बना ले तो विपक्ष में, मुख्य रूप से दूसरे भाषी क्षेत्रों में रहने वाले राजनीतिक दल इसका विरोध करते हैं। जिससे दूसरे भाषी लोग विपक्ष को आने वाले चुनाव में मत दे सकें। अपने चुनावी कार्यक्रमों में भी इसे ही मुद्दा बनाते हैं, जिससे इस बात को कोई न भूले और मुद्दे को और भी गंभीर बनाया जा सके।

राष्ट्रीयता

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कई भाषाएँ राष्ट्र से जुड़ी होती हैं। अपने आप को देश से जुड़ा दिखाने और मातृ भूमि से प्रेम दिखाने के लिए भी कई लोग उस देश से जुड़ी भाषा बोलते हैं और उसका प्रचार करते हैं। यह अपने देश की भाषा के संरक्षण के लिए भी आवश्यक है और उस भाषा को बोलने वाले लोगों का इससे समर्थन और सहायता भी प्राप्त होता है।

सन्दर्भ

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बाहरी कड़ियाँ

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