इस आसन में शरीर की आकृति फन उठाए हुए भुजंग अर्थात सर्प जैसी बनती है इसीलिए इसको भुजंगासन या सर्पासन (संस्कृत: भुजंगसन) कहा जाता है।
भुजंगासन सुर्य नमस्कार के 12 आसनों में 7 वे नंबर आनेवाला एक आसन हैं, भुजंगासन में ' भुजंग ' का अर्थ होता हैं, साप और' आसन ' का अर्थ होता हैं, योग मुद्रा। इस आसन को करते वक्त फन फैलाये हुऐ साप की तरह शरीर की आकृति बनती हैं, इसिलिए इसे यह नाम दिया गया हैं। भुजंगासन पदमासन का एक महत्वपूर्ण आसन हैं, इसे सर्पासन भी कहते है, और यह अष्टांग योग का भी एक प्रमुख आसन हैं, अंग्रेजी में इसे कोबरा पोज ( cobra pose ) कहते हैं।
~~ सावधानी ~~ इस आसन को करते समय अकस्मात् पीछे की तरफ बहुत अधिक न झुकें। इससे आपकी छाती या पीठ की माँस-पेशियों में खिंचाव आ सकता है तथा बाँहों और कंधों की पेशियों में भी बल पड़ सकता है जिससे दर्द पैदा होने की संभावना बढ़ती है। पेट में कोई रोग या पीठ में अत्यधिक दर्द हो तो यह आसन न करें
इस आसन से रीढ़ की हड्डी सशक्त होती है। और पीठ में लचीलापन आता है। यह आसन फेफड़ों की शुद्धि के लिए भी बहुत अच्छा है और जिन लोगों का गला खराब रहने की, दमे की, पुरानी खाँसी अथवा फेंफड़ों संबंधी अन्य कोई बीमारी हो, उनको यह आसन करना चाहिए। इस आसन से पित्ताशय की क्रियाशीलता बढ़ती है और पाचन-प्रणाली की कोमल पेशियाँ मजबूत बनती है। इससे पेट की चर्बी घटाने में भी मदद मिलती है और आयु बढ़ने के कारण से पेट के नीचे के हिस्से की पेशियों को ढीला होने से रोकने में सहायता मिलती है। इससे बाजुओं में शक्ति मिलती है। पीठ में स्थित इड़ा और पिंगला नाडि़यों पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। विशेषकर, मस्तिष्क से निकलने वाले ज्ञानतंतु बलवान बनते है। पीठ की हड्डियों में रहने वाली तमाम खराबियाँ दूर होती है। कब्ज दूर होता है। तथा बवाशीर मे भी लाभ देता है।
1) सायटिका में फायदेमंद ( beneficial of sciatica ) :- सायटिका एक बिमारी होती हैं, जो तंत्रिका जो रीढ के पिछे होती है, जो हमारे पीठ से निकलकर निंतबो से होते हुऐ, पैैरों तक जाती हैं, उसमें तेेेज दर्द होता हैंं, रोजाना भुजंगासन करने से सायटिका में काफी मदत मिलती हैं, क्योंकि इसमें रीढ की हड्डी लचीली बनती हैं।
2) पाचन में फायदेमंद ( beneficial of digestion ) :- भुजंगासन करनेे वाले व्यक्ति का पाचन अच्छा रेहता हैं, और उन्हें कब्ज ,एसीडिटी की समस्या नहीं होती ,इसके आलावा उस व्यक्ति को मल त्याग ने में भी परेशानी नहीं होती , और पेट भी साफ रेहता हैं।
3) किडनी के लिए फायदेमंद ( beneficial for kidney ) :- नियमित भुजंगासन करने से हमारे शरीर की संकुचित रेहती हैं, जिससे वहा खुन का ठेेेहराव होता हैं, इससेे किडनी का कार्य अच्छा रेहता हैं, इसके आलावा यह फेेेफडों को भी ठिक रेहता हैं, जिससे सांस लेने में दिक्कत नहीं आती हैं।
4) तनाव दूर करें ( release stress ) :- यह आसन तनाव को कम करनेवाले एडरनल ग्रंथी को प्रभावित करता हैं, और इस के स्त्राव में भी मदत करता हैंं, जिससे तनाव, चिंता, डिप्रेशन को कम करने में यह आसन उपयोगी होता हैं।
5) मधुमेह में फायदेमंद ( beneficial of diabetes ) :- भुजंगासन मधुुुमेह को कम करने में भी फायदेमंद होता, इसे नियमित करने से इंंन्सुलिन मात्रा सही बनी रेहती है और यह रक्तपरिसंचरण भी अच्छा बना रेहता हैं।
6) हड्डियों को लचीला बनाता हैं ( makes bones flexible ) :- भुजंगासन करनेेवाले व्यक्ति की रीढ की हड्डी मजबूत बनती हैं, और यह लचीली भी होती हैंं, इसके आलावा यह छाती, कंधे, भुजाओं और पेट की मांंसपेशीयो को मजबूत करने में फायदेमंद होता हैं।
7) पीठ दर्द दूर करें ( relieve back pain ) :- भुजंंगासन करने से पीठ दर्द में भी राहत मिलती हैं, क्योकि इससे रीढ की हड्डी लचीली और मजबूत बनती है।
8) रक्तपरिसंचरण सुधारें ( improve blood circulation ) :- भुजंगासन करने से रक्त का प्रवाह अच्छा होता हैं, और इससे उनका मन भी शांंत रेहता हैं, चिडचिडेेपण और गुस्सा भी कम आता हैं।
9) अस्थमा में फायदेमंद ( beneficial of asthma ) :- यह आसन अस्थमा रोगीयों के लिए बहोतही लाभकारी होता हैं, और इससे फैफड़ों में खिचाव आता हैं, और उसमें ऑक्सीजन भी अंदर बहोत जाती हैं, जिसवजह सें सांस की सारी समस्या खत्म होती हैं।
10) स्लीप डीक्स में फायदेमंद ( beneficial of sleep dix ) :- यह आसन नियमित करने से स्लीप डिक्स की समस्या भी धीरे धीरे कम होती हैं।
11) थायराइड में फायदेमंद ( beneficial of thyroid ) :- यह आसन थायराइड और पैैैराथायराइड ग्रंथी को सक्रिय करता हैं, रोज 5 मिनट का भुजंगासन थायरााइड को कम करने में मदत करता हैं।
12) महिलाओं की माहावारी चक्र में फायदेमंद ( beneficial of women's menstrual cycle ) :- भुजंगासन महिलाओं के लिए भी फायदेमंद होता हैं, खासतौर पर महिलाओं के मासिकधर्म में यह उन्हें बहोत ही राहत देता हैं।