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भोजपुरी सिनेमा 𑂦𑂷𑂔𑂣𑂳𑂩𑂲 𑂮𑂱𑂢𑂵𑂧𑂰 | |
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पर्दों की संख्या | 269(बिहार) |
निर्मित कथा चित्र (2019) | |
कुल | 150 |
भोजपुरी सिनेमा का मुख्य क्षेत्र बिहार में है।[1] इसके अलावा यह सिनेमा उत्तर प्रदेश ,और नेपाल में भी अपनी जगह बना चुका है।[2][3] भोजपुरी की पहली फिल्म "गंगा मैया तोहे पियरी चढ़इबो" विश्वनाथ शाहाबादी द्वारा 1963 में प्रदर्शित की गई थी। भोजपुरी की सर्वाधिक कमाई करने वाली फिल्मों में ससुरा बड़ा पैसा वाला भी गिनी जाती है। जिसमे मनोज तिवारी मुख्य भूमिका में थे। भोजपुरी फिल्म उद्योग अब 2000 करोड़ रुपये का एक उद्योग है।[4]
1960 के दशक में, भारत के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने बॉलीवुड अभिनेता नाजीर हुसैन से मुलाकात की और उन्होंने भोजपुरी में एक फिल्म बनाने के लिए कहा, जिसकी वजह से 1963 में पहली भोजपुरी फिल्म रिलीज हुई। भोजपुरी सिनेमा का इतिहास अच्छी तरह से फिल्म गंगा मैया तोहे पीयरी चढ़ाईबो के साथ शुरू होता है, जिसे विश्वनाथ प्रसाद शाहाबादी द्वारा निर्मित किया गया था। बॉलीवुड सिनेमा के कई प्रमुख सितारे, जिनमें अमिताभ बच्चन भी शामिल हैं,उन्होंने भी भोजपुरी फिल्मों में काम किया है। मिथुन चक्रवर्ती की भोजपुरी की पहली फिल्म भोले शंकर, जो 2008 में रिलीज़ हुई।
भोजपुरी सिनेमा पर अश्लीलता के आरोप लगते रहे हैं।[5] और इसी वजह से इसे फूहड़ और घटिया सिनेमा भी कहा जाता है। भोजपुरी की अधिकतर फिल्में अश्लीलता के कारण कारोबार करती हैं[6] तथा बहुत सी फिल्में तो परिवार के साथ बैठकर देखने लायक भी नहीं हैं। हालांकि भोजपुरी कलाकार इन आरोपों का खंडन भी करते रहे हैं। पर यह भी सत्य है कि भोजपुरी में बनने वाली बहुत सी फिल्मों को भारतीय केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड द्वारा A/व (व्यस्कों वाला) प्रमाण पत्र दिया गया है जो ये साबित करता है कि भोजपुरी सिनेमा में अश्लीलता का स्थान रहा है।[7][8][9]
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