भोपाल की लड़ाई

मराठा सेना और भोपाल नवाब की सेना के बीच लड़ाई हो ही नहीं पाई। मराठा सेना ने बाजीराव पेशवा प्रथम के नेतृत्व में जब भोपाल पर चढ़ाई करने के लिए श्यामपुर दोराहे पर लश्कर रोका, तब से लेकर 90 दिन तक भोपाल नवाब की सेना किले से बाहर ही नहीं निकली। आखिर में बिना लड़े ही हारकर भोपाल के नवाब ने अपनी तरफ से समर्पण प्रस्ताव लेकर एक हिजड़े को भेजा। जिसके बाद मराठा सेना विजय होकर लौट गई।

सन्दर्भ

[संपादित करें]