भारत | |||
पूरा नाम | मदनलाल ऊधौराम शर्मा | ||
जन्म | 20 मार्च 1951 | ||
बल्लेबाज़ी का तरीक़ा | दायें हाथ का बल्लेबाज | ||
गेंदबाज़ी का तरीक़ा | दायें हाथ का गेंदबाज | ||
टेस्ट क्रिकेट | एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय | ||
मुक़ाबले | 39 | 67 | |
बनाये गये रन | 1042 | 401 | |
बल्लेबाज़ी औसत | 22.65 | 19.09 | |
100/50 | 0/5 | 0/1 | |
सर्वोच्च स्कोर | 74 | 53* | |
फेंकी गई गेंदें | 5997 | 3164 | |
विकेट | 71 | 73 | |
गेंदबाज़ी औसत | 40.08 | 29.27 | |
पारी में 5 विकेट | 4 | 0 | |
मुक़ाबले में 10 विकेट | 0 | नहीं है | |
सर्वोच्च गेंदबाज़ी | 5/23 | 4/20 | |
कैच/स्टम्पिंग | 15/0 | 18/0 | |
मदन लाल (पूरा नाम मदनलाल ऊधौराम शर्मा)[1] pronunciation सहायता·सूचना (अंग्रेजी: Madan Lal,गुरुमुखी: ਮਦਨ ਲਾਲ, उर्दू: مدن لال जन्म 20 मार्च 1951, अमृतसर, पंजाब, भारत) एक पूर्व भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी (1974–1987) के अतिरिक्त क्रिकेट कोच भी रह चुके हैं। उन्होंने दिल्ली जाईन्ट्स व इण्डियन क्रिकेट लीग के लिये कोचिंग की है।
मदन लाल ने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में हरफनमौला (आलराउण्डर) खेल दिखाते हुए 42.87 के औसत से 10,204 रन बनाये जिनमें 22 शतक शामिल हैं। उन्होंने 25.50 के औसत से साइड ऑन बालिंग करते हुए 625 विकेट चटकाये।
उन्होंने भारत की टीम में 39 टेस्ट मैच खेलते हुए 22.65 के औसत से 1,042 रन बनाये, 40.08 के औसत से 71 विकेट चटकाये और 15 कैच लपके। उन्हें हमेशा मध्य क्रम में बल्लेबाजी करने के लिये बाद में ही मैदान पर भेजा गया लेकिन हर बार वे भारतीय क्रिकेट के लिये मददगार ही साबित हुए। उनके प्रशंसक उन्हें मदनलाल के बजाय मदतलाल कहते थे। यही नहीं जब कभी वे गेंदबाजी करते हुए लगातार मेडन ओवर फेंकते तो अंग्रेज कमेण्टेटर उन्हें मेडनलाल कहकर प्रचारित करते थे।
1983 के क्रिकेट विश्व कप में मदनलाल के योगदान को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता जब उन्होंने हरफनमौला खेल दिखाते हुए लगभग हारती जा रही बाजी को जीत में बदल दिया था।
मदन लाल ने 1968 से 1972 तक पंजाब क्रिकेट टीम की ओर से रणजी ट्राफी के लिये क्रिकेट खेला। उसके बाद उन्होंने केन्द्र की ओर रुख किया और 1972 से 1989 तक लगातार अठारह साल वे दिल्ली क्रिकेट टीम में ही खेले।
मदन लाल ने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में हरफनमौला (आलराउण्डर) खेल दिखाते हुए 42.87 के औसत से 10,204 रन बनाये जिनमें 22 शतक शामिल हैं। उन्होंने 25.50 के औसत से साइड ऑन बालिंग करते हुए 625 विकेट चटकाये।
मदन लाल ने 1975 के क्रिकेट विश्व कप में टेस्ट मैच की पहली गेंद इंग्लैण्ड के ओपेनिंग बैट्समैन डेनिस ऐमिस को फेंकी थी।[2] उसके बाद उन्होंने 67 एक दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय मैचों में अपनी उल्लेखनीय भूमिका निभायी। 1983 में खेले गये विश्व कप क्रिकेट में विजयी भारतीय टीम में कपिल देव, कीर्ति आज़ाद, मोहिंदर अमरनाथ, रोजर बिन्नी व बलविन्दर सन्धू के साथ मदन लाल के योगदान को भी भुलाया नहीं जा सकता। खासतौर से फाइनल में, जब उन्होंने गेंद और बल्ले से विरोधी टीम को ध्वस्त करके रख दिया था।
मदन लाल दायें हाथ के बल्लेबाज हैं उन्हें सदैव मध्य क्रम में ही बल्लेबाजी करने भेजा गया। इसके अतिरिक्त वे मध्यम गति के तेज गेंदबाज भी हैं जो हमेशा दायें हाथ से ही गेंद फेंकते हैं। इसके अतिरिक्त वे फुर्तीले क्षेत्ररक्षक भी हैं। कुल मिलाकर वे एक विश्वसनीय आलराउण्डर रहे हैं और कई मौकों पर उन्होंने अपने हरफनमौला अन्दाज़ में खेलते हुए यह सिद्ध करके भी दिखाया है।
मदन लाल को क्रिकेट में उल्लेखनीय योगदान के लिये 1989 में अर्जुन पुरस्कार दिया गया।
क्रिकेट से अवकाश लेने के बाद भी मदन लाल खाली नहीं बैठे बल्कि कुछ न कुछ करते ही रहे। रिटायर होने के बाद उनकी निम्न उपलब्धियाँ रहीं:
मदन लाल ने नई दिल्ली में अपने नाम से "मदनलाल क्रिकेट अकादमी" की स्थापना भी कर रखी है जिसमें वे प्रतिवर्ष युवा व प्रतिभाशील क्रिकेटरों को ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान प्रशिक्षण देते हैं। पिछला ग्रीष्मकालीन शिविर उन्होंने मई 2012 में आयोजित किया था जिसमें उन्होंने आस्ट्रेलिया से कोच बुलाकर प्रशिक्षण दिया था।[4]